”गर्व संस्कृति से सराबोर छ.ग.धरा का”श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

”गर्व संस्कृति से सराबोर छ.ग.धरा का”
गर्व है,हमें हम उस धरा पर जहां की लोककला का देश में कोई तोड़ नहीं है के वाशिंदे हैं। मीठी छत्तीसगढ़ी बोली भाषा में देश विदेश का कोई ऐसा कोई ना होगा जो यहां आकर यही का होकर न रह गया हो।
गर्व है,अतीत के उद्भव काल का जहां चंदैनी गोंदा जैसी लोक सांस्कृतिक नाट्य मंच ना मनोरंजन अपितु जनता का आगाज बना। गर्व है यहां के स्वर कोकिला गायिकाओं, गायकों का जिनकी ओजपूर्ण आवाज में इतना दम कि मरते को जीने की आस दिला देते हैं। गर्व अतीत से आज की आधुनिक वाद्य यंत्रों का जिनकी धुन देश के अन्य प्रदेश अपितु बालीवुड को भी अपनी ओर खींच लाता है। गर्व करें माता जस गायन का जहां यह एक ऐसा प्रदेश है, जहां के मातासेवा जस गीतों से माता दुर्गा की स्तुति की जाती है।
वो खुशहाली से भर देती है। गर्व इस बात का कि कोई भी यहां ट्रेनिंग की कोई बड़ी संस्थान नहीं होने के बावजूद ,जहां गायन,वादन,डांस की शिक्षा की बदौलत ही कोई प्रतिभा आगे आये। यहां तो गाड गिफटेड स्वयं की कला से छत्तीसगढ़ कला जगत की धुरी बनी हुई है,जिसकी कोई कापी नहीं कर सकता।
गर्व संस्कृति अनुरूप बेहतर पहनावे का जिसे देख मन गदगद हो जाता है। गर्व यहां की ओज स्वरों में एक अकेले मंचों को सम्हालने वाली किरण शर्मा, गरिमा‚ स्वर्णा दिवाकर‚ लक्ष्मी करियारे,चम्पा निषाद, संगीता मानिकपुरी, मालती, क्षत्राणी जैन,सुनीता गंगराले,बैजयंती यादव, कंचन जोशी, ममता साहू, जैसे नई पीढ़ी की गायिकाओं के साथ मंजी गायिका ममता चंद्राकर,अनुराग चौहान, कविता वासनिक,छाया चंद्राकर,अलका चंद्राकर का जिन्होंने यहां की कला जगत में गायन को नया आयाम दिया। पंडवानी गायन को प्रख्यात गायिका तीजन बाई ने देश विदेश में पहूंचाया। भरथरी गायन को विश्व पटल पर स्व. सुरूज बाई खांडे ने मान बढाया।
गर्व सुनील सोनी,स्व.मिथलेश साहू,स्व.कुबेर गीतपरिया,गोफेलाल गेंदले, सहित अनंत दूर तक अपनी कला प्रतिभा से मंचों को प्रफुल्लित कर देने वाले उन सभी कलाकारों का जिनके सुमधुर आवाज ने सबको कायल कर रखा है।