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‘सामाजिक समरसता की मिसाल गिरोला’ मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

-माता मावली देवी को समर्पित गिरोला वासियों की आस्था।

(मनोज जायसवाल)
रायपुर-जगदलपूर राष्ट्रीय राजमार्ग 30 मध्य बस्तर कोण्डागांव जिला मुख्यालय से 10 किमी तथा ग्राम पंचायत मसोरा से पूर्व की ओर मसोरा हाडीगांव मार्ग  पर राजमार्ग 30 से तीन किमी पर  बसा है,आदिवासी बाहूल्य ग्राम गिरोला। सात पारा से मिलकर बने गिरोला की धरती मां शीतला एवं माता ”मावली देवी” की असीम कृपा के चलते हर कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं। अभी तक गांव मे किसी भी प्रकार से ऐसी समस्या नहीं आई है,जिससे यहां की सामाजिक समरसता को आंच आए। देवी माता की पुण्य कृपा कि यहां सभी समाज विशेष में सामाजिक समरसता बनी हुई है। लोगों की पूर्ण आस्था माता मावली देवी को समर्पित है। जिनसे अशीर्वाद लेकर की जाती है हर कार्य।

तकरीबन चार हजार की आबादी वाले इस गांव में दूसरे बड़े विकसित समाज के रूप में कलार समाज स्थापित है,जो तकनीकी कृषि के क्षेत्र में किसी पहचान का मोहताज नहीं है। 1980 में यहां डेयरी क्षेत्र में जागरूकता जगी और यहां के किसानों ने डेयरी को एक व्यवसाय का रूप देते कार्य किया।

वर्ष 2004-05 में कृषि विभाग द्वारा विशेष रूप से प्रोत्साहित किए जाने के चलते यहां के किसानों ने तकनीकी कृषि की ओर उन्मुख हुए। जहां पहले पहल गांव के दिलीप दीवान,सदाबृज दीवान,जितेंद्र दीवान एवं अन्य लोगों ने तकनीकी कृषि की ओर अपना पूरा ध्यान लगाया और ये सफल होते गए। इनकी सफलता को देखते गांव के अन्य किसानों ने भी अपनाया। तकनीकी कृषि में ये समृद्व किसान गांव ही नहीं दूसरे गावों से कई लोगों ने इन्होंने रोजगार दिया। शाक सब्जी उत्पादन अपितु मिर्च की कृषि काफी लाभदायी रही और तो और बीज उत्पादन में इनकी महती भुमिका आज छत्तीसगढ़ में माना जाने लगा है।

अनुकूल जलवायु वाले इस गांव में कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी सफलता का पूरा श्रेय यहां जल स्तर का होना है,जहां कृषि के लिए पर्याप्त जल उपलब्धता के चलते यह संभव हो पाया।

जिला मुख्यालय से सटे इस गांव में बिजली के सब स्टेशन, शिक्षा के लिए स्कूल,अस्पताल के साथ ही यहां के लोगों द्वारा गांव में कृषि के अतिरिक्त अन्य व्यवसाय की ओर लगे होने के चलते यह गांव आसपास के केंद्रीय गांव  है। यहां कुल सात पारा है।

”गिरोला” का नाम मध्य बस्तर कोण्डागांव तक सीमित नहीं है,अपितु यहां के लोगों का सहज,सरल जीवन बस्तर आने वाले विदेशी सैलानियों को भी आकृष्ट करता है।

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