आलेख

”हर हैहयवंशियों के घर लगे सहस्त्रार्जुन का छायाचित्र”मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर छ.ग.

(मनोज जायसवाल)

नाटककार, निर्देशक, प्रोड्यूसर, अभिनेता, पत्रकार, संपादक, कवि और ‘नया थिएटर’ के संस्थापक रायपुर में जन्मे हबीब तनवीर ने बहादूर कलारीन नामक लोककथा उठायी जिसका बेहतर प्रतिसाद मिला। छत्तीसगढ के ही वर्तमान में बालोद अंतर्गत सोरर गांव में उस बहादुर कलारीन और राजा के प्रेम में पडते हुए दिखलाया गया था।

लेकिन राजा उनके प्रेम का प्रतिदान नहीं देता। उसका बेटा छछान कुल एक सौ छब्बीस औरतों से विवाह करता है, मगर उन्हे छोड़ता चलता है। किसी भी औरत से नहीं बनना कारण है ऐसे कई उन सब बातों से सकते में आयी मां सारे गांव वालों से कहती है कि कोई छछान को एक घुंट पानी भी ना दे!

बता दें तब हबीब तनवीर बहादुर कलारीन नाटक को पेश कर रहे थे तब भी उनके मन में वो बातें थी कि राजनीतिक टीका टिप्पणी की छोड गांव में भी यह नाटक स्वीकार की जाएगी भी कि नहीं? लेकिन बता दें बहादुर कलारीन के तब के नाटक रंगमंच में प्रदर्शन में बाद वर्तमान तक तो छत्तीसगढी फिल्में भी बन चुकी है।

इसके बाद भी मैं कहता हूं कि अभी भी बहादुर कलारीन की गाथा कलार समाज में आज की पीढी के युवाओं को नहीं है। जबकि हमारे ईष्टदेव सहस्रार्जुन के बारे में अमुमन को पता है। पूरा विश्व जानता है। अन्य समाजों में जिस प्रकार ईष्टदेव की प्रतिष्ठा घरों घर की जा रही है इसका अभाव भी हमें दिखायी देता है। आने वाले समय में प्राथमिकता के साथ यह कार्य होना चाहिए कि प्रत्येक कलार घर में भगवान सहस्रार्जुन की फोटो लगे।

बहादुर कलारीन की गाथा को सविस्तार अध्ययन कर बताये जाने की जरूरत है। ऐतिहासिक गाथा उपलब्धता नहीं होना बड़ा कारण हो सकता है। इसके लिए निश्चित रूप से सर्च किया जायेगा और तथ्यों के साथ कहानी सामने लाने का प्रयास करेंगे।

LEAVE A RESPONSE

error: Content is protected !!