”कभी ऐसा हाथरस जैसा कांड ना हो”श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)
”कभी ऐसा हाथरस जैसा कांड ना हो”
देश में संविधान के पालनार्थ उस वक्त ही कहा गया था कि यह देश भविष्य में वैज्ञानिक तथ्यों पर भी चलेगा जहां पाखंड अंधविश्वास का नाम न होगा। लेकिन यह क्या अंधविश्वास के नाम ना समाज के अंतिम व्यक्ति ग्रामीण अपितु सभ्य एवं शिक्षित जन गिरप्त में है। यह जानते हुए भी कि बिना कर्म के कुछ भी संभव नहीं है। अंधविश्वास के फेर में हाथरस मे हुए भगदड में 121 लोगों की असामयिक मौत बेहद दुखद है।
उत्तरप्रदेश के हाथरस में हुए इस भगदड में किसी के मांग की सिंुदुर उजड गई तो कोई बेघरबार हो गया। कोई बर्बाद हो गया तो किसी को जिंदगी भर के लिए मर कर कर जीने के लिए दंश मिल गया। इसके अतिरिक्त किसी को अंधविश्वास,पाखंड के नाम कुछ नहीं मिला।
आज यह जो अंधविश्वास के नाम भीड उमडती है, एक दूसरे को कही सुनी बातों को लेकर होती है,जहां किसी वस्तु तो चरणों की धुली माथे पर लगाने से उनके विकास,बेडा पार होने की वो तुच्छ कहानी होती है,जो किसी भी दृष्टि से संभव नहीं है।
जैसा कि अन्य घटनाओं में होता है,इस घटना के बाद सियासी बयानबाजी का दौर भी चल रहा है। उत्तरप्रदेश में बहुजन समाजवादी पार्टी की मायावती ने सोशल पोस्ट एक्स के जरीये गरीबों,दलितों,पीडितों को अपनी दुख दूर करने के लिए भोले बाबा जैसे अनेकों बाबाओं के अंधविश्वास पाखंडवाद में आकर अपने दुःख और नहीं बढाना चाहिए बल्कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर के बताए मार्ग पर चलकर अपनी तकदीर खुद बदलनी होगी।
मामले पर राज्य सरकार को दोषियों के विरूद्व सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।ऐसे अन्य बाबाओं के विरूद्व भी कार्रवाई होनी चाहिए इधर हाथरस कांड पर पहली दफा सुरजपाल उर्फ भोले बाबा ने चुप्पी तोडते हुए मीडिया में आकर 02 जुलाई की घटना में मौत पर दुख जताते हुए आहत होने की बात कही है। जबकि उन्हें भी आरोपी माना जा रहा है। भोले बाबा साजिश की बात कहते दिखायी दे रहे हैं।
हाथरस कांड के मुख्य आरोपी माने जाने वाले देवप्रकाश मधुकर को भी गिरप्तार किया गया है,इधर पुलिस द्वारा और भी गिरप्तारियां की जा सकती है,निश्चित रूप से इतनी बडी घटना जिसमें 121 लोगों की मौत हो जाती है,देश के प्रत्येक बडे कार्यक्रमों पर ऐसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो। जैसा कि यह भी बात सामने आ रहा है कि सत्संग स्थल से बाहर होने के लिए एक ही द्वार था। इसके साथ जांच में जो भी तथ्य आएंगे उन कमियों पर सुधार जरूरी है।
सत्संग हादसे पर जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की जांच में और भी बहुत सारी बातें सामने आएंगी जिस पर लोगों की निगाहें टिकी हुई है। हजारों करोडों का साम्राज्य खडा करने वाले इन बाबाओं का दुःख की इस घडी में क्या सहयोग किया जा रहा है‚यह भी विचारणीय है।