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‘सत्ता के लिए सडकों में होर्डिंग’ मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

(मनोज जायसवाल)

सत्ता के लिए और सत्ता पाने के लिए क्या कुछ नहीं किया जाता। चाहे सामाजिक सत्ता हो या सियासी सत्ता। गरीब के घर भोजन करनाǃ यह अब नया नहीं रह गया। लोगों ने देख लिया है कि गरीब घर भोजन करके किन्हें क्या नसीब होता है। ऐसा भी दिन देखने मिलता है जब गरीब के घर भोजन के बाद उसके यहां की गयी सारी व्यवस्थाएं बाद में हटा भी ली जाती है।

यह वक्त है, जब आप जनता को एहसास कराओ कि हम हमेशा हितैषी हैं। तीज त्यौहार का वक्त है। अखबारों में एड देने में जांच के दायरे में आने और रकम राशि अधिक लगने की सोच को साम्य रखते गांव गांव में इन दिनों फलेक्सी बेनर टांगे जा रहे हैं। कई लोगों को खुद का जन्म दिवस याद न रहता हो वह अपने या अपने आका के जन्म दिवस पर नगर में होर्डिंग टांग कर खुद खुश हो रहे या उन्हें खुश कर रहे हैं। ताकि उनकी सत्ता के भागीदारी में हित सध जाये।

भले ही आपकी पहूंच कष्ट से कराहते परिवार तक न हो पर उन चौंक चौराहों पर उन्हें अपनी तस्वीर दिखाने का एक ही उपाय है कि बडे फलेक्सी बेनर टांग दो। और उस एक ही बेनर में पोला,तीजा,गणेश और तो और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं दे दो। यह भी दिमागी उपज है।

लेकिन रूकिये जराǃ भले ही आम जनता कम पढे लिखे होंगे। उन्हें अन्य समझ नहीं होंगी, लेकिन चार साल बीत जाने के बाद अंतिम वर्ष में फोटोयुक्त बेनर देखकर जरूर समझ में आ जाएगा कि हां चुनाव आने वाला है। इतने वर्ष में उन कठिन वक्त में चेहरा नहीं दिखा। आज के वक्त में गरीब आदमी भी किसी से सीधे पैसे की उम्मीद नहीं करता। उसका स्वाभिमान जिंदा होता है और मेहनत किये जाने पर उनका जीवनयापन रोजमर्रा चलने की बात स्वयं स्वीकार करता है।

लेकिन उसके साथ यदा कदा कभी हादसे हो जाए या कहीं अन्याय हो तब आपका व्यक्तिगत भौतिक उपस्थिति चाहता है। जहां आप खडे हो जाते हैं वहां पर आपका पैसा नगण्य हो जाता है। राजनीति के उन लोलुपों से घिरे उनकी बात मान कर जो मोटिवेट कर रहे होते हैं आकर फैसला उनके अनुसार आप करते हैं।

कभी सोचा कि उन गरीबों के हक के लिए उनके साथ के लिए कोई मोटिवेट करने वाला नहीं होता। सत्ता के लिए आप सारे जोर आजमाइश कर सकते हैं। पर जनता अब काफी जागरूक हो चुकी है। इस बात को हमेशा ध्यान रखना। वह किसी के कहने में किसी फलेक्सी बैनर वार के चक्कर में अब नहीं आने वाली। आज कल तो सडकों के किनारों से उन गरीबों ने ध्यान भी हटा लिया है,कहना है कि क्या करना है। राजाओं की दुनियां,राजाओं का चित्र है। होर्डिंग पर प्रतिदिन ध्यान उसका जाता है,जो उसे लगाया है।

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