कविता काव्य देश

”अगर तुम ना होते” श्रीमती पद्माक्षी उपाध्याय साहित्यकार जगदलपुर (छत्तीसगढ)

साहित्यकार-परिचय

श्रीमती पद्माक्षी उपाध्याय

माता– पिता –  श्रीमती अर्चना उपाध्याय‚श्री भैरवदत्त उपाध्याय

पति – श्री सतीश अवस्थी।  संतानअक्षत(पुत्र) आद्या(पुत्री)

जन्म – 22 जून 1969 डौंडी‚छत्तीसगढ

शिक्षा – एम.ए.(हिंदी साहित्य‚समाज शास्त्र) कत्थक–विद् बीएड

 प्रकाशन– 1. आकाशवाणी जगदलपुर से विगत 30 वर्षों से चिंतन,वार्ता का नियमित प्रसारण।
                 2. विभीन्न समाचार पत्र पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन।

पुरस्कार / सम्मान –

संप्रति – गृहणी |

सम्पर्क –  प्रतापदेव वार्ड‚जगदलपुर

 

”अगर तुम ना होते”

अगर तुम न होते
माखन मिश्री खाता कौन?
यशोदा को मनाता कौन ?
गाय चराता और रास रचाता कौन
गोपियों को सताता, रूलाता कौन
पूतना,कंस, दृष्टों को मारता कौन

”गीता” का देकर ज्ञान
न्याय, सत्य धर्म का मार्ग दिखाता और
भरी सभा में द्रौपदी की लाज बचाता कौन ?
अमर हो गई ”गीता” आज भी
भटकों को राह दिखाती है,
मन उद्वेलित हो तब शांत कर
जीवन पथ सुगम बनाती है।

अगर तुम न होते तो
बंशी मधुर बजाता कौन ?
आ जाओ फिर छेड़ दो तान सुरीली,
लज्जा कितनी राधा, मीरा,
द्रौपदी की दॉंव पर लगी,
तुम जैसा कोई नहीं दूजा
तो बचाए कौन?

 

LEAVE A RESPONSE

error: Content is protected !!