कविता काव्य देश

”जिज्ञासा”डॉ. विजय पंजवानी, साहित्यकार, समाजसेवी धमतरी(छ.ग.)

”जिज्ञासा”

विमान की परिचारिकाएं
सजी-संवरी
कर्तव्य परायण
स्वागत की मुस्कान लिए

हिदायतो के छोटे-छोटे भाषण…..
भरसक अपने स्वर में
मिठास लाते हुए
शिष्टाचार में दक्ष

मेकअप भी नहीं छुपा पा रहा है
उनके अधेड़ होने के चिन्ह

जिज्ञासा है-कब थकेंगी?

error: Content is protected !!