साहित्यकार परिचय
कु. माधुरी मारकंडे
जन्मतिथि – 05.01.1995,बलियारा(धमतरी)
माता-पिता – श्रीमती दिलेश्वरी, श्री नारायणदास मारकंडे
शिक्षा – एम ए राजनीति विज्ञान, डीसीए
प्रकाशन – एक कविता संविधान नियमित लेखन
सम्मान – 2013 निबंध प्रतियोगिता में कलेक्टर द्वारा
सम्प्रति-
संपर्क- ग्राम बलियारा पोस्ट भोथली जिला-धमतरी (छ.ग.) मो. 9329124373
”जल जंगल जमीन ”
बादलों से
टप -टप टपकते नीचे जमीं पर
और
झर-झर झरते झरनों में
निर्मल मृदु रस
जीवन का अमूल्य धरोहर है….।
इसे व्यर्थ ना बहाएं
क्योंकि बूंद-बूंद से घड़ा भरता है
और
घड़े के साथ यह जीवन
तृप्त होता है….।
जंगल
एक-एक पेड़ों की डालियों से
जंगल सजता है
एक-एक टीलों से
पहाड़ों पर वेदीयां बनती है….।
एक-एक बूंदो से
नदियों में धाराएं प्रवाहित
होती है…….।
क्योंकि जंगल है
तभी तो जीवन में मंगल है
इसे चंद पैसों के लालच में
व्यर्थ मत काटो
मत काटो
क्योंकि इसके
अद्भुत छवि को गढ़ने में
सदियों लग जाते हैं ….।
जमीन
जिसके नसीब में होता है
उसके हिस्से में ही
जमीन होता है…..।
अन्नदाता वहीं होता है
जो मिट्टी से मिट्टी में मिल
इस जमीं को सींचता है….।
शानो शौकत की
शौक नहीं
अपनी मेहनत से हम सबको
तृप्त करता है
तभी तो इस जमीं का
रखवाला अन्नदाता कहलाता है….।