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सामाजिक सत्ता‘ कलम बिठाती है तो गिराती भी है!मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर छ.ग.

(मनोज जायसवाल)
किसी घर को बनाने में जितना वक्त लगता है,गिराना पल भर का है। ठीक ऐसा ही सामाजिक सत्ता का है! सियासी सत्ता के तो दिनों नहीं मिनटों में भरभरा कर गिरने के किस्से नहीं अपितु धरातलीय सच से सब वाकिफ हैं जो बताने की बात नहीं है। किसी को ये किस्सा समझ में आता है,किसी को नहीं। राजनीति के चौसर में पाला कब किधर भारी हो जाये, नहीं कहा जा सकता।

कलम की ताकल
पैनी कलम की ताकत बौद्धिक परिपूर्ण और जानकार को समझ में आता है कि यह तो होना ही था, किंतु सामाजिक एवं सियासी शीर्ष नेतृत्वकर्ता को भी समझ में नहीं आता। वह तो सत्ता के मद और घमंड में चूर रहता है तो समझने की गंभीरता कहां रहेगी? सत्ता के मद में चूर रहने वालों को जब सत्ता जाती है तभी समझ में आता है‚ तब बयान आता है कि कलम की ताकत का उन्हें ऐसा अंदाजा नहीं था।

पढ़ते हैं,सब
सत्ता जाने के बाद ही उन्हें पता चलता है कि कलम की इतनी ताकत है,जो सत्ता को डिगा दे। उसी वक्त उन्हें यह जवाब भी मिल जाता है,जहां शीर्ष नेतृत्वकर्ता यह सवाल करते थे कि उसे कौन पढ़ता है? आपकी बौद्धिक   परिपक्वता नहीं है तो आप यह बात अपने तक रखें। अपने जैसा दूसरों को ना समझें कि अन्य लोग भी नहीं पढ़ते। कोई मैटर,खबर,आलेख,रचनाएं सभी इग्नोर नहीं करते। वर्तमान में सोशल पटल हो या पोर्टल चैनल जो कि हर के हाथ में है, जिसे इतने अधिक लोग जरूर पढते हैं,जितने लोग दैनिक समाचार पत्र नहीं पढ़ते। आज सामाजिक सत्ता या फिर राजनीतिक चुनावों में किसी पक्ष विपक्ष का पलड़ा यदि भारी होता है तो कलम की ताकत भी निहीत है।

अखबार से ज्यादा
वर्तमान पीढ़ी आज सोशल पटल पर घंटों बने होते हैं। दैनिक समाचार पत्र भी पढ़ना हो तो लिंक का सहारा लेते हैं। सबसे पहले बात यह कि जब घटना दुर्घटना अन्य त्वरित खबर मिल रहा हो, सामाजिक सत्ता चुनाव पर आलेख पढ़ने मिल रहे हों जो दैनिक समाचार पत्र में नहीं मिलने वाला तो वह अखबार में खबर क्यों खोजेगा? उन्हें स्वयं पता है कि समाचार पत्र यह धरातलीय सच नहीं परोसने वाला। आज स्थिति यह है कि खबर लिखने वाले कई पत्रकार खुद समाचार पत्रों की सुर्खियां नहीं पढ़ रहे इससे बड़ी क्या बात हो सकती है?

मन से निकाल दें
पोर्टल चैनल का जमाना है, इसके प्रति लोगों का विश्वास भी। शेयर के नाम हर हाथों में लिंक साझा किए जा रहे हैं,लेकिन जो आधुनिक सोशल पटल,पोर्टल के जानकार नहीं है उन्हें ऐसा लगता है कि इसे कौन पढ़ता है? पूर्व में भी लिखा जा चुका है यह सवाल करने वाले स्वयं इलेक्ट्रानिक दुनिया से दूर होते हैं। उन्हें मन से यह बात निकाल देनी चाहिए कि पोर्टल कौन पढ़ता है। आपकी यह सोच और बातें लोगों के सामने खुद के लिए इस बात को स्वीकार करने के सबूत है कि आप तकनीक की इस दुनियां में पीछे है।

 

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