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‘कलार समाज की नारी नेे कैकई नाम का भ्रम तोड़ा’ मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर (छ.ग.)

(मनोज जायसवाल)
-कैकई बसती है, भैंसाकट्टा में सुमित्रा,कौशिल्या है, बहन। चारामा विकासखंड का हाराडुला गांव है मायका। कैकई सहित सुमित्रा,कौशिल्या का अद्भुत संयोग। 

भगवान राम को 14 वर्ष वनवास भेजने वाली माता कैकई से पुत्र भरत मिलते हैं, तो उन्हें वह सारी बात बताती है। अपने प्राणों से प्रिय राम के लिए इस प्रकार की बात सुनते ही भरत क्रोध से भर जाता है। वह मां को काफी खरी खरी सुनाते हुए उन्हें अपनी मॉं मानने तक से भी इंकार कर देता है।

यही नहीं कैकई को वह श्राप भी देता है, कि जाओ तुम्हारा नाम भी इस दुनिया में कोई माता-पिता अपने संतानों का नहीं रखेगा। कलयुग में आज वास्तव में कैकई नाम इस घटना के चलते अमूमन नहीं रखा जाता।

लेकिन विलक्षण कहें कि छत्तीसगढ़ के कांकेर जिलांतर्गत चारामा विकासखंड के राजमार्ग लखनपुरी के पूर्वी क्षेत्र में महानदी तट में बसे ग्राम भैंसाकट्टा में कैकई नाम की माता निवास करती है। इतना ही नहीं‚ संयोग देखिये कि यह कैकई जो तीन बहनों में सबसे छोटी है,उनकी मंझली बहन सुमित्रा एवं बड़ी बहन का नाम कौशिल्या है, जो त्रेता युग में भगवान के राम काल जैसा अजब संजोग है।

प्रत्यक्ष मुखातिब हुए तो कल्चुरी समाज की कैकई सिन्हा ने बताया कि उनका मायका चारामा विकासखंड का ग्राम हाराडूला है। उनकी माता का नाम शाम बाई तथा पिता का नाम सखा राम है। तीन बहन के साथ दो भाई होते हैं बंशी राम एवं कंवल राम जो कि कृषि मजदूरी करते जीवनयापन करते हैं। कैकई के दो पुत्र भागवत एवं सदा राम सिन्हा है। भैंसाकट्टा में होने वाले रामायण आयोजन में कई दफा कैकई सिन्हा जो डंडसेना कलार जायसवाल समाज की गौरव हैं, याद किए जाते रहे हैं। यह परिवार रोजी मजदूरी कर जैसा भी जीवनयापन करे पर जिन्हें यह विचित्र संयोग पता है,वे जरूर इन्हें याद कर इनके घर जाकर अपने को धन्य मानते हैं।

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