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‘डंडसेना कलार समाज चुनाव प्रचार-प्रसार जोरों पर’ मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर छ.ग.

(मनोज जायसवाल)

-कुछ बैठे हुए मैथमेटिक्स हल करने लगे तो कुछ मैदान में मेहनत कर

इन दिनों बस्तर में प्रमुख समाज के रूप में डंडसेना कलार समाज के संभागीय चुनाव के तारतम्य मुख्य रूप से अध्यक्ष के लिए प्रचार प्रसार जोरों पर है। बस्तर प्रवेश दृवार  चारामा विकासखंड में तो रोज किसी न किसी गांव में बैठकें हो रही है।

परिवर्तन के नाम पर हर गांव से खबरें आ रही है,जहां कई सामाजिक प्रमुख आगे आकर मुखर हो रहे हैं। परिवर्तन ग्रुप के सदस्य उन लोगों को तवज्जो नहीं दे रहे ना ही देना चाहते जिनकी मानसिकता परिवर्तन करने का नहीं है।

इस चुनाव प्रचार में एक बहुत अच्छी चीज देखने मिली वह यह है कि दोनों प्रमुख दमदार प्रत्याशी जो कि बाहर की दुनियां में सियासी पार्टियों से संबंद्ध  है,समाज कार्य में कभी एक दूसरे पर कमेंट नहीं कर रहे। व्यक्तिगत रूप से भी कभी इन प्रत्याशियों के मुंह से ऐसा नहीं सुना जा रहा है। हालांकि गांवों में होने वाली बैठकों में परिवर्तन ग्रुप यदि विजयी होता है तो सामाजिक क्रियान्वयन में निश्चित रूप से बदलाव और समाज के अन्य जागरूक लोगों को समाजसेवा का अवसर दिये जाने की बातें कही जा रही है।

 

सबसे अव्वल बात तो यह है कि पूर्व या वर्तमान प्रत्याशियों पर कोई नकारात्मक टिप्पणी भी नहीं कर रहा लेकिन इतना तो कटू सत्य है कि पूर्व कार्यकाल में नाम के अंतिम अक्षर वालों पर जरूर कहा जा रहा है कि ये अक्षर वालों ने अपनों को देखा। लेकिन इस अक्षर से महादेव का नाम भी आता है, लेकिन वे एक नहीं अनेक हैं।  इसलिए बोलने से बच रहे हैं। 

हालांकि परिवर्तन वाट्सअप ग्रुप में एक सदस्य ने पूर्व पदाधिकारी की जमकर खिंचाई भी कर डाली। मामा के नाम संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे बाप दादा को बीच में मत लाना नहीं तो पूरा पिक्चर और भूगोल बदल देंगे, खून हमारा पानी नहीं हुआ है।

 

हिदायत देते कहा- पद और सत्ता न आपके बाप का है ना मेरे बाप और दादा, व्यवहार बना कर चलें, दायरे में रहे सबका एक दूसरे से रिश्तेदारी है आप भी तो पद में थे आपने समाज के लिए क्या कर डाला।

तो वहीं एक सदस्य ने अलबेलापारा,खपरा पारा में तमाम स्वजातीय कलार बंधुओं की दूकान होने के बावजूद समाज के लिए सामान वहां से न खरीद कर अन्यत्र जगहों से खरीदे जाने की बात कह डाली।

 

चुनाव में आरोप प्रत्यारोप होना ही है,जिसे रोका नहीं जा सकता। पर चुंकि चुनाव सभ्य कहे जाने वाले समाज का हो रहा है,इसलिए लोग खुल कर गलत आरोप नहीं लगा रहे हैं,लेकिन परिवर्तन की बात अमूमन के श्रीमुख से सुनायी दे रही है।

इन सबके बीच यह विचार भी छन के आ रहा है कि विगत चुनावों में भी ऐसा ही परिवर्तन का माहौल बना पर डडसेना कलार सामाजिक भवन महासभा चुनाव स्थल जाते तक कई लोगों का विचार साम्य हो गया। जितना अनुमान मैदानी इलाके में प्रत्याशी के लिए लगाया गया था,उतना रिजल्ट नहीं आया।

पर अब इन बातों पर भी जरूर मंथन होगा। हालांकि अभी तक कोई भी इन बातों पर न ध्यान दे रहा है,ना ही कोई बैठक में रख रहा है। समाज में पीड़ित दुःखी लोगों पर सहानुभूति जता कर हर समस्या दूर कर लिए जाने का आश्वासन दिया जा रहा है। लेकिन जैसे इनकी टीम आज लोगों को नजर आ रही है, पदासीन रहे लोगों की टीम नहीं देखे जाने की बातें भी चर्चा का विषय है। लेकिन लगता है उनका मैथमेटिक्स भी इतना मजबूत है कि वे बैठे बैठे हल करने लगे हुए हैं। माना जा रहा है कि मैदानी इलाकों में लोगों के बीच सरोकार में नहीं जाना भी विचारणीय है।

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