”कल्चुरी कलार वंशों के देव सहस्त्रार्जुन”श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

”कल्चुरी कलार वंशों के देव सहस्त्रार्जुन”
– मॉं महामाया,रतनपुर कल्चुरी वंशो की देवी रही है।
विश्व में मंडला मध्यप्रदेश में राजा सहस्रार्जुन जो कलार समाज का ईष्ट देव है,के तब की उपस्थिति के सारे प्रमाण मिलते हैं। बताया जाता है कि कल्चुरी नरेश सहस्रबाहु ने सहस्रधारा की रचना की, जो कि आज भी यहां एक मनोरम स्थली रूप में विद्यमान है।
नरेश सहस्त्रबाहु जिसकी सहस्रों भुजाएं थीं, ने नर्मदा प्रवाह को सहस्रों धाराओं में विभाजित कर दिया था। सहस्रबाहु अर्जुन की कीर्ति न कल्चुरी वंश के समय अपितु आज भी कलार समाज में इनकी पूजा के बगैर कोई शुभ कार्य नहीं होते। मंडला में भगवान के मंदिर के बाद छत्तीसगढ के कांकेर जिले में चारामा विकासखंड के ग्राम भोथा में सामाजिक जनों ने सहस्रार्जुन की भव्य एवं खुबसुरत प्रतिमा का निर्माण कर स्थापित किया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ कलार समाज के सामाजिक भवनों में भगवान की सुंदर प्रतिमा राजधानी क्षेत्र के अमुमन गावों में देखने मिलेंगी।
सहस्त्रार्जुन ही सहस्र भुजाओं वाली प्रतिमा बनाने में मुर्तिकारों को काफी परिश्रम करना पडता है,तब जाकर मुर्ति बन पाती है। छत्तीसगढ़ में बडे-छोटे समाज जरूर हो पर सबके ईष्टदेव सहस्त्रार्जुन ही है,जहां कभी कोई भेद नहीं रहा है।
कल्चुरीकालीन राजाओं के काल में छत्तीसगढ का रतनपुर बिलासपुर राजधानी रहा। मॉं महामाया देवी कल्चुरीवंशों की आराध्य देवी रही तब से आज तक कल्चुरी के साथ अन्य सभी लोग पूरी आस्था से देवी को मानते आ रहे हैं।
बिलासपुर से महज 25 किमी की दूरी पर स्थित है, मॉं महामाया मंदिर जहां नवरात्रि सर्वाधिक भीड होती है। अन्य समय भीड कम होती है।
मंदिर ट्रस्ट द्धारा श्रद्धालुओं के रूकने की अच्छी व्यवस्था है। एक दिन रात के मात्र 250 रूपये की चार्ज पर साफ सुथरे कमरे निवास में रूक कर अलसुबह माता का आराम से दर्शन लाभ ले सकते हैं। आसपास कई अन्य दर्शनीय स्थल जिसमें खुटाघाट जलाशय के साथ आगे अमरकंटक की सैर कर सकते हैं।
हालांकि 250 रूपये के अल्प चार्ज पर समिति श्रद्वालुओं को रहने के लिए रूम उपलब्ध कराती है,लेकिन विवाह सीजन या अन्य अवसरों पर बडे लोग पूरा आश्रम ही बुक करा लिये होते हैं, जिसके चलते दूरस्थ जगहों से आए श्रद्वालुुओं को धोखा होने से काफी परेशानियों का सामना करना पडता है,क्योंकि निजी लाज में किराया अधिक होने से लोगों को बाहर ही रात बितानी पडती है, या बिलासपुर मुख्यालय आकर रूकना पडता है। जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।