”फटी जीन्स के साथ सिर पर स्टाइलिश चश्मा” श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

”फटी जीन्स के साथ सिर पर स्टाइलिश चश्मा”
जिस प्रकार से फैशन की दौड़ में आज फटी जींस शहरों से लेकर नगरों गावों तक आ पहूंचा है‚ ठीक वैसा ही अतीत में आंखों की रौशनी कम होने पर लगाया जाने वाला चश्मा सिर के ऊपर बैठेगा यह किसने जाना था ǃ सबसे पहले तो यह भी उच्च वर्ग एवं माडल अभिनेता अभिनेत्रियों तक सीमित था। इसके बाद यह भी शहरों की ओर आया।
1990 के दशक के बाद 2003के दशक तक यह छाए रहा। अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म के गीत गोरे गोरे मुखड़े पे काला काला चश्मा… जैसे गीत भी चश्मा को लेकर काफी प्रसिद्ध हुए। हालांकि अभी यह फैशन जरूर कम हुआ है। फैशन का दौर तो बालीवुड से सबसे पहले शुरू होता रहा है। याद कीजिए जब तब के दशक में अभिनेता सलमान खान,भाग्यश्री के लीड रोल वाली फिल्म मैंने प्यार किया… के गीत गली गली गुंजा करते थे।
फिल्म की चर्चा तो होती थी लेकिन इसमें भाग्यश्री के सलवार सुट कितनी प्रसिद्ध हुई। युथ लड़कियों की एकमात्र पसंद भाग्यश्री की पहनी वाली सुुट पहली पसंद हुआ करता था। यही नहीं यह सूट की बिक्री तब खूब हुई इसके साथ लड़कों का वह फ्रेण्ड्स लिखी टोपी भी कितना चला यह देखने वाली बात थी।
देश के किस नगर गावों में यह टोपी देखने नहीं मिला होगाॽ महिलाओं के ब्लाऊज के पीछे कट करते लेस वाला फैशन भी कोई आज का नहीं है। अतीत में बालीवुड की कई फिल्मों को देखने पर आपको पता चलेगा कि यह फैशन तो तब भी था। स्लीवलेस जिसे मार्डन माना जाता है यह भी अतीत में इस्तेमाल किए जाते रहे हैं।
वर्तमान मार्डन फैशन के दौर में स्लीवलेस,पीछे कट एवं लेस वाली ब्लाऊज अभी किसी वर्ग विशेष उच्च मध्यम वर्ग तक नहीं रही अपितु यह तो अंतिम वर्ग तक के लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है। कहने का आशय यह है कि फैशन का दौर अब उच्च वर्ग तक बंधन में नहीं रहा। हां लेकिन स्लीवलेस जैसे फैशन आमतौर पर गावों में अभी भी कई जगह इस्तेमाल नहीं किए जाते।
बात कर रहे थे चश्मा की तो पहले नजर कमजोर होने और जरूरत पर पहना जाता था पर अब यह सामान्य हो चला है। पावर वाली चश्में ना पहनें पर धूल से आंखो को बचाने जरूर जागरूकों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं। सिर के ऊपर चश्मा वाला दौर तो समय और जरूरत के अनुसार जरूर लगाए जाते हैं। दुल्हनें शादी जैसे आयोजन के अतिरिक्त गर्मी धूप में स्टाईलिश अक्सेसरीज की डिमांड काफी ज्यादा होती है।
चश्मों में सनग्लासेस की पंसद आज भी अव्वल है।ओवर साईज फ्रेम वाली ग्लासेज गालों को कवर करते अट्रेक्टिव लुक देता है, ग्लासेस काली हो तो क्या कहने। युवा चेहरे के हिसाब से फ्रेम पसंद करते हैं। पर युवाओं में आज भी सिर के ऊपर काली चश्मा लगाने का अपना शान है।