डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति की कृति- कठवा छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह विमोचित
(मनोज जायसवाल)
रायपुर(सशक्त हस्ताक्षर) गत 28 नवंबर 2024 को छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर पर राजधानी के न्यू सर्किट हाउस रायपुर में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के तत्वावधान में एक शानदार कार्यक्रम आयोजित हुआ। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मुख्य आतिथ्य एवं रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में संस्कृति विभाग के सचिव आई.ए.एस. अनबलगन पी., संचालक विवेक आचार्या, पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे, राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री रमेन्द्र नाथ मिश्र, डॉ जे. आर. सोनी, आयोग की सचिव डॉ. अभिलाषा बेहार की उपस्थिति में आयोजित इस गरिमामय कार्यक्रम में 12 साहित्यकारों की पुस्तकों का विमोचन संपन्न हुआ तथा प्रदेश के 6 वरिष्ठ साहित्यकारों को शाल, श्रीफल, शील्ड एवं सम्मानपत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।
पुस्तक विमोचन के क्रम में साहित्य वाचस्पति डॉ. किशन टंडन क्रांति की 57 वीं कृति- ‘ कठवा ‘ छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह का विमोचन मुख्यमंत्री एवं उपस्थित अतिथियों के हाथों संपन्न हुआ। कुल 130 पृष्ठ की ” कठवा ” पुस्तक में 25 कहानियाँ संकलित हैं। इन कहानियों में न्याय, नीति, वैराग्य, दर्शन, प्रेम, वीरता एवं सांस्कृतिक परंपराओं के ताने-बाने में इंद्रधनुषी रंग विद्यमान हैं। इस अवसर पर डॉ. किशन द्वारा मंच से “झन करव अन्न के बर्बादी, भूख जब्बड़ हे भारी” काव्य पाठ किया गया। साथ ही उन्हें शाल एवं श्रीफल भेंट कर साहित्यकार सम्मान- 2024 प्रदान किया गया। सम्मान पट्टिका में लेख था- कि “डॉ. किशन टंडन क्रांति, आप छत्तीसगढ़ माटी के दुलरवा बेटा हव। महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी बर आपके सेवा ह छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के झाँपी म जोराय रइही, आप ल सम्मान सहित मया-चिन्हारी भेंट करत हन।”
इस कार्यक्रम के दौरान सैकड़ों की संख्या में साहित्यकार उपस्थित रहे। इनमें छत्तीसगढ़ कलमकार मंच के साहित्यकार सर्व श्री जुगेश बंजारे धीरज बेमेतरा, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर कवर्धा, बूंदराम जांगड़े बिलासपुर, कार्तिक पुराण घृतलहरे, हिराऊ कुमार जांगड़े, हजारी लाल कुर्रे, मिलन मलरिहा, भुवन दास जांगड़े, अनिल जांगड़े गौंतरिहा इत्यादि उपस्थित रहे तथा उनके द्वारा काव्य पाठ कर श्रोताओं की वाहवाही बटोरी गई। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ कलमकार मंच के साहित्यकारों, इष्ट मित्रों, प्रशंसकों तथा परिवारजनों ने हर्ष व्यक्त करते हुए डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति को बधाई एवं शुभकामनाएँ दी हैं।