कविता काव्य राज्य

”ख्वाबों के परिंदे” कु. माधुरी मारकंडे साहित्यकार‚धमतरी(छ.ग.)

साहित्यकार परिचय
कु. माधुरी मारकंडे
जन्मतिथि – 05.01.1995,बलियारा(धमतरी)
माता-पिता – श्रीमती दिलेश्वरी, श्री नारायणदास मारकंडे
शिक्षा – एम ए राजनीति विज्ञान, डीसीए
प्रकाशन – एक कविता संविधान नियमित लेखन

सम्मान – 2013 निबंध प्रतियोगिता में कलेक्टर द्वारा
सम्प्रति-
संपर्क-  ग्राम बलियारा पोस्ट भोथली जिला-धमतरी (छ.ग.) मो. 9329124373

 

 

”ख्वाबों के परिंदे”

इस जीवन धरा पर
ख्वाबों के परिंदे
ना जाने कहां तक उड़ते हैं……।

क्योंकि हकीकत से कोई वास्ता नहीं होता इसका
ये झूठ में ही गोता लगाते हैं

सुना तो था
ख्वाब सच होते हैं
किंतु ख्वाब जितने पूरे होते हैं
उतने ही झूठे लगते हैं…..।

क्योंकि ख्वाबों के परिंदे
बड़े लुभावने होते है
जो अंतर्मन में उच्च श्रृंखलाओं
को भर
बड़े प्रसन्न होते हैं…..।

ख्वाब तो
मन की अंधेरे गलियों को
रोशन कर
टिमटिमाते लव की भांति है….।

जो अंधेरे में ही जलता
और
सुबह होते ही बुझ जाता है….।

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