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”कोसलपुत्री भाग 02- आलेख संग्रह विमोचित”

-सम्मान समारोह में डॉ रश्मि विपिन अग्निहोत्री और अपूर्वा त्रिपाठी को मिला सम्मान गौरवान्वित हुआ बस्तर।

 

रायपुर(सशक्त हस्ताक्षर)।जय जोहार साहित्य एवं संस्कृति संस्थान एवं वैभव प्रकाशन रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में आज छत्तीसगढ़ की नारी शक्ति पर केंद्रित पुस्तक कोसल पुत्री के दो भाग सहित चार अन्य पुस्तकों का विमोचन हुआ।

 

इस अवसर पर 108 महिला नेत्रियों का सम्मान भी हुआ। मुख्य अतिथि समाजसेवी श्रीमती कौशल्या साय ने इस अवसर पर कहा कि महिलाओं को अपनी रक्षा के लिए स्वयं सजग होना होगा। छत्तीसगढ़ की महिलाएं जीवन के विविध रंगों में लिख रही हैं। आज सभी क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ की महिलाएं आगे हैं। घर परिवार के अलावा राज्य की संस्कृति के संरक्षण में वे अत्यधिक सक्रिय हैं। श्रीमती साय ने अपने अनेक रोचक संस्मरण सुनाए। समारोह की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा ने की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ साहित्य के मामले में उर्वरा भूमि है।

 

प्रस्तुत पुस्तक अनुसंधान के बाद लिखा गया है इसलिए यह प्रमाणिक इतिहास की तरह है। विशिष्ट अतिथि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की सचिव अभिलाषा बेहार ने लेखिकाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए बधाई दी। प्रारंभ में संयोजक डॉ सीमा निगम और डॉ सुधीर शर्मा ने स्वागत भाषण दिया। विशिष्ट अतिथि डॉ रश्मि लता मिश्रा ने साहित्य और संगीत के समन्वय पर बल दिया। मुख्य अतिथि ने कोसल पुत्री, कहानी गढ़ छत्तीसगढ़ कहानी गढ़ छत्तीसगढ़ संपादक डॉ सीमा अवस्थी, गोपा शर्मा की दो पुस्तकों और प्रीति सुरेश मिश्रा के लघुकथा संग्रह का विमोचन किया।

 

इस अवसर पर पद्मश्री शमशाद बेगम, उषा बारले, बस्तर बाला युवा आइ‌कॉन अपूर्वा त्रिपाठी सहित 108 नारी शक्तियों का सम्मान किया गया जिन्होंने छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया है । कौन हैं अपूर्वा त्रिपाठी और क्यों मिला इन्हें देश का सर्वाेच्च अवार्ड ? देश के सबसे पिछड़े आदिवासी क्षेत्र कहे जाने वाले बस्तर कोंडागांव की अपूर्वा त्रिपाठी देश में एक युवा रोल-मॉडल तथा कृषि में नई प्रेरणा की किरण बनकर उभरी हैं। शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ, देश के शीर्ष संस्थानों से बौद्धिक संपदा कानून और बिजनेस कानून में बीए, एलएलबी और ‘डबल-एलएलएम’ की डिग्री हासिल करने वाली अपूर्वा वर्तमान में बस्तर, छत्तीसगढ़ में जनजातीय महिलाओं के पारंपरिक स्वास्थ्य प्रथाओं और कृषि प्रथाओं पर पीएचडी कर रही हैं।

समारोह में छत्तीसगढ़ के विविध जिलों की लेखिकाएं उपस्थित थीं। जिससमें बस्तर कोंडागांव की विख्यात लेखिका और कवयित्री , काव्य रश्मि, कभी हँसता कभी सुलगता बस्तर, और मुस्कुराता पतझड़ सहित 38 साझा संग्रह की लेखिका -डॉ रश्मि विपिन अग्निहोत्री को उनके आलेख बस्तर बाला युवा आइ‌कॉन अपूर्वा त्रिपाठी के लिए ’कौसलपुत्री रचनाकार सम्मान प्रदान किया गया।

 

बाद डॉ रमेंद्र नाथ मिश्र और डॉ महेंद्र ठाकुर की उपस्थिति में द्वितीय सत्र संपन्न हुआ। समारोह का संचालन शुभ्रा ठाकुर, डॉ सीमा अवस्थी, सुमन बाजपेयी आदि ने संयुक्त रूप से किया।
संस्था के अध्यक्ष डॉ सीमा निगम ने जानकारी देते हुए बताया  छत्तीसगढ़ में इस तरह का आयोजन पहली बार हुआ है। छत्तीसगढ़ की विशिष्ट महिला प्रतिभाओं पर आधारित कौशलपुत्री नामक पुस्तक दो भागों में प्रकाशित की गई है  जिसे छत्तीसगढ़ के ही महिला रचनाकारों ने रिसर्च कर आलेख के रूप में तैयार किया गया है। साहित्य जगत में आशा है कि इस महत्वपूर्ण आलेख संग्रह को पाठ्यक्रम में शामिल कर इसका लाभ लिया जा सकता है।

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