(मनोज जायसवाल)
स्थानीय स्तर पर समाज के सुचारू संचालन का मार्ग इतना सरल तो नहीं पर कठिन भी नहीं है। कठिन इसलिए है कि सबके विचार समान नहीं होते। लेकिन सरल इसलिए भी संभव है, कि उन विचारों को एकाकार करें।
कानाफूंसी बनती है,लडाई
सामाजिक क्षेत्र में जाने पर पता चलता है कि कैसे कुछ लोगा कानाफूंसी में लिप्त होते हैं। ना पुरूष अपितु महिला पदाधिकारी भी इसके शिकार होते हैं। अधिकतर सुनने मिलता है कि अमुक व्यक्ति आपके लिए ऐसा बोल रहा था। तो कोई किसी के पद को लेकर टिप्पणी नई बात नहीं। और तो और आजकल तो सामाजिक सोशल पटल के ग्रुप पर ही किसी शब्द को लेकर लडाई झगडे होते देखे जा सकते है। कुछ लोगों ने तो इसी कानाफुंसी और लडाई झगडा देखते हुए सामाजिक सभाओं से किनारा बना लिया है।
कुलक्षणी के नाम महिला का अपमान
विशेष सामाजिक सभाओं में जहां किसी महिला पुरूष के प्रकरण निबटाये जाने का प्रयास किया जाता है। महिलाओं के कुछ प्रकरणों में सबके सामने अपनी समस्या बताने वाला पुरूष आरोप लगाते हुए अपनी ही पत्नी को जिससे संबंध विच्छेदित करना चाहता है,कुलक्षणी शब्द का प्रयोग करता है। सभा में इस शब्द को सुनकर बैठी अन्य महिलाएं भी चुपचाप सुनती रहती है। कभी किसी महिला के मुंह से यह नहीं सुना जाता कि अभी तो आरोप लग रहे हैं,आरोप प्रमाणित भी नहीं हुआ है,किसी महिला के लिए कुलक्षणी शब्द का इस्तेमाल मत करो। कुल को लांछन लगाने वाली,कुल को बदनाम करने वाली,समाज के नियमों को तोडने वाली,बुरे लक्षण वाली,दुराचारी इन सब अर्थों को समेटे है,कुलक्षणी। जिसका इस्तेमाल पुरूष के द्वारा किया जाता है।
लेकिन पुरूष के लिए इस प्रकार के कोई शब्द नहीं सुने जाते। किसी स्त्री के लिए कुलक्षणी जैसे भारी अर्थों को समेटे शब्द को सभा में बैठी अन्य स्त्रियों द्वारा चुपचाप सुनी जाना क्या उचित है? क्या किसी स्त्री के लिए पुर्ण अपमानजनक शब्दों के प्रयोग किये जाने पर मनाही किए जाने के लिए संवेदनाएं खत्म सी हो गई है‚जो किसी स्त्री को कुलक्षणी के नाम यानि कि समाज से विद्रोह करने वाली‚ परिवार में किसी की मौत होने पर कुलक्षणी के नाम पूरे आरोप उन पर थोप कर अपनी आत्म ग्लानि शांत किया जाता है‚वो जो भी किसी की बेटी है। कैसे कोई स्त्री जिसे कुलक्षणी कहा जा रहा है‚उसे भूल सकती हैॽ
क्या अब भी आप किसी महिला को बिना आरोप तय हुए कुलक्षणीन कहेंगे। क्या अब भी किसी सामाजिक मंच पर किसी पुरूष द्धारा कुलक्षणीन कहे जो पर मौन रहेंगे। यह आपकी मजी है‚ पर गहन विचार आपको करना है। ना जाने कभी किन्हीं गलतियों पर स्वयं को खडा होना पडे तब कोई स्वयं के लिए यह शब्द इस्तेमाल हो तब की बात विचारणीय है।