”परंपराओं के साथ छत्तीसगढ में लालभाजी”श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर‚कांकेर (छ.ग.)
श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)
”परंपराओं के साथ छत्तीसगढ में लालभाजी”
छत्तीसगढ प्रदेश में नाम अनुकूल बहुतायत चीजें 36 प्रकार की होती है। इसी़ तारतम्य में यहां 36 प्रकार की भाजियां बनायी जाती है। यहां की नियम परंपराओं में लाल भाजी का अपना स्थान है। जिसकी महत्ता ना खाने में अपितु हिंदु धर्म के सबसे बडे त्यौहार दीपावली के साथ गांव बनाने देवी कार्य तथा मानव जीवन की महती वैवाहिक आयोजनों में देखने मिलती है।
लाल भाजी छत्तीसगढ़ के सभी कोनों में बिकते देखा जा सकता है। इन दिनों बस्तर अंचल में लाल भाजी बहुतायत से निकल रही है। कांकेर बाजार में तो हमेशा आसपास के सब्जी उत्पादकों द्वारा लाए गए यह लाल भाजी ज्यादातर बाजारों में नजर आ रही है। खनिज व पोषक तत्वों से भरपूर लाल भाजी शाकाहारियों के लिए असीम स्वाद भरा होता है।
विटामिन से भरपूर,परंपरा का निर्वाह भी
कैल्शियम,फास्फोरस,विटामिन ए एवं सी भी प्रचुर मात्रा में होते है। इस वजह से पुराने कब्ज को दूर करने सहित कई अन्य बिमारियों को दूर करने में भी इसका अहम स्थान है। छत्तीसगढ़ में विवाह उत्सव पर जब बाराती वधु पक्ष के यहां बारात लेकर आते हैं तब रिश्ते में उनकी सालियों द्वारा लाल भाजी खिलाने की परंपरा है। लाल भाजी के नाम पर छत्तीसगढ कला संगीत जगत में कई गीत रचे गए। कई एलबम भी इसके नाम किया गया है,जिससे इसकी महत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पर यहां लाल भाजी ये नहीं अपितु पान खिलाया जाता है। जिस लाल भाजी को हम चाव से खाते हैं देश के अन्य प्रदेशों में अलग नाम से जाना जाता है,जैसे बिहार में इसे लाल साग कहा जाता है। इन दिनों कांकेर,लखनपुरी,चारामा,भानुप्रतापपुर,केशकाल धमतरी,सारंगढ,रायगढ,धमधा,दुर्ग, भिलाई सहित सभी नगरों के बाजारों में देखी जा सकती हैै, लाल भाजी।
कैसे बनायें?
बनाने की विधियों में प्रमुख रूप से पहले लाल भाजी को अच्छी तरह धो लें। इसके बाद अब बरीक काटे अब प्याज आलू काटे। कढा़ई में तेल गरम कर जीरा और लाल मिर्च डाले।अब प्याज डालकर भूने। अब आलू डालकर पकाएं अबलाल मिर्च पाउडर नमक और थोडी़ हल्दी डाले। अब लाल भाजी डाले और भूने अब टमाटर डाले और पकने दें। तैयार लाल भाजी के साथ खाएं।असल लाल भाजी की पहचान है कि ये बनाये जाने के बाद पूरी तरह लाल हो जाती है, यहां तक कि चांवल एवं आलू भी लाल हो जाता है। लाल भाजी को काटे जाने पूर्व भी इसके रस से हाथ लाल हो जाते हैं।चना दाल के साथ भी गावों में अक्सर लाल भाजी बनायी जाती है।