आलेख

माँ शारदा देवी,मैहर (सतना) म.प्र. श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर (छ .ग.)

(मनोज जायसवाल)
-मोर आदि भवानी तुही ला मंय सुमिरंव मॉं
– देश के 52 शक्तिपीठों में एक जो मां शारदा देवी को समर्पित है
तंत्र चुड़ामड़ी में शक्तिपीठों की संख्या 52 बताई गई है,तो देवी भागवत में 108 शक्ति पीठों का उल्लेख है। देश का मध्यभाग मध्यप्रदेश के सतना जिले में त्रिकुट पर्वत पर विराजी है, माँ शारदा भवानी। इस मंदिर को मैहर माता का मंदिर कहा जाता है।

देवी माता के साथ यहां काल भैरवी,हनुमान,काली,दुर्गा,गौरीशंकर,शेष नाग,फुलमती मां,ब्रम्हादेव तथा जलापा देवी भी पूजी जाती है। बताया जाता है कि तब के अतीत में पृथ्वीराज चौहान के साथ आल्हा उदल ने युद्व किया था। जो माता के भक्त थे। तब घने जंगलों के बीच शारदा देवी मंदिर की खोज की। उन्होंने 12 साल तक यहां घोर तपस्या कर देवी मॉं को प्रसन्न किया जहां देवी मां षारदा ने उन्हें अमर होने का वरदान दिया था।

आल्हा देवी माँ को शारदा माई कहते पुकारते थे,यही कारण है कि आज भी लोग शारदा माई के नाम का उच्चारण करते हैं। अन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर के पीछे भी कई किवदंतियां है, एक मान्यता यह भी है कि भगवान शिव जब मां सती के मृत शरीर को ले जा रहे थे,तभी यहां पर हाल गिरा था। इसलिए इस जगह का नाम मै यानि मां हर यानि हार मतलब माई का हार मैहर पड़ा। तो सती के उर्ध्व ओंठ भी गिरने की बात कही जाती है।

आल्हा तालाब के पीछे स्थित पहाड़ी क्षेत्र में आल्हा उदल जहां कुश्ती किया करते थे वो अखाड़ा आज भी तब के स्वर्णिम काल का अतीत स्वयं बयां कर रहे हैं। मैहर शहर से मध्य से त्रिकुट पर्वत की ऊंचाई तकरीबन पांच किमी मानी जाती है, पर मैहर शहर का आज इतना पसराव हुआ है कि कि यह दूरी भी पता नहीं चलता। आज मैहर चहूंओर यातायात के साधनों से जुड़ा है। मैहर रेलवे स्टेशन से पहाड़ी चोटी मंदिर की दूरी 6 किमी पर स्थित है।

जहां रोपवे जैसी आधुनिक सेवाएं जुड़ी हुई है। यह मैहर रेलवे स्टेशन कटनी तथा सतना के बीच स्थित है,जहां से 162 किमी दूर पर जबलपूर शहर है। यहां से फलाईट सेवा उपलब्ध है। कला जगत की संस्कृति यहां रही है।राष्ट्रीय राजमार्ग 7 सड़क मार्ग से यह जुड़ा है।

हमारा किसी भी कथा कहानी के पीछे अंधविश्वास फैलाना,काल्पनिक बातें बताना ऐसा कोई उद्वेश्य नहीं है,अपितु जो बातें हमें मुखातिब होने पर बताया जा रहा है वही लिख रहे हैं। कोरोना काल में जरूर माँ के दर्शन के लिए तकलीफों का सामना करना पड़ा था पर अब दर्शन के लिए किसी भी प्रकार से कोई परेशानी नहीं है। बिल्कुल भक्तिभाव से आप माता का दर्शन कर सकते हैं।

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