”मजदूर है, मजबूर” श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

मजदूर है, मजबूर
वह मजदूर जो बड़े-बड़े बिल्डिंगों को खड़ी करता है,लोकार्पण के बाद वहां नहीं घुस सकता। सब्जी फार्म में काम करने वाले मजदूर बिना मालिक की आज्ञा से किसी फल को अपने बच्चों के लिए तोड़ नहीं सकता। होटल में काम करते मजदूर बिना मालिक की आज्ञा न खा सकता है और न अपने बच्चों के लिए कुछ नहीं ले जा सकता।
बड़े बड़े रेस्टारेंट में लोगों के लिए स्वादिष्ट भोजन बनाने वाला मजदूर के लिए वह भोजन कभी नसीब नहीं होता। नसीब इनके लिए अलग से किसी अन्य मजदूर द्वारा बनाया गया भोजन होता है। आज वे लोग भी मजदूर बन कर सोशल मीडिया में मजदूर बने अपना चित्र वायरल करते ऐसे संवेदना का परिचय दे रहे हैं,जैसे लोग नहीं जानते कि वो मजदूर दिवस के बाकी दिनों में मजदूरों से कैसे व्यवहार करते हैं।
कैसे उनकी भावनाएं भरी दुपहरी में काम करते मजदूरों और उनके बच्चों के लिए नहीं जागती। लेकिन कभी मजदूरों के घर आप गए हो? कैसे गरीब होने के बावजूद उनकी भावनाएं उनकी झोपड़ियों में आने वाले के लिए जगती है और कैसे टुटी फुटी कुर्सी तो लकड़ी के अदद पाटे को सामने रखकर दिली निष्ठा और सम्मान से आपकी ओर बढ़ाते हैं।
कीमत उस टूटी फुटी कुर्सी की नहीं, कीमत उनकी सम्माननीय भावनाओं का है,जो आपमें नहीं। उनके जिस खानपान को स्टेटस बनाने की सोच है,वो तो उनके नित्य की बात है,जो मजदूर की मजबुरी है। प्रत्येक दिन अपनी आजीविका के लिए संघर्ष और भविष्य की चिंता न करना। वर्तमान तकाजा मार रहा हो तब वो भविष्य की क्या चिंता करे।
जिन्होंने मजदूर यानि कि गरीबी को नजदीकी से समझ लिया उसके लिए दुनिया की अन्य बातों को समझना कठिन नहीं है। आर्थिक रूप से सक्षम होने के नाते खुद का घमंड एक दिन धरातल में ले ही आता है। क्योंकि जीवन का यह दस्तुर है,अकेला आए हैं तो अकेला ही जाना है। किशोरावस्था पार करने पर शादी में जरूर पति-पत्नी मिल कर चल रहे हों।
पर कटू सत्य है कि पति जाय या पत्नी कोई न कोई एक दिन पहले जाएगा और आप हो जाओगे अकेला। फिर अकेला उन कठिनाईयों का सामना करते दुनियां से विदा लोगे। इसलिए निश्चित रूप से अपने आपे में ही सृदृढ़ और मस्त रहे।