साहित्यकार परिचय-
श्रीमती देवश्री गोयल
जन्म- 23/10/67
माता-पिता – स्वर्गीय अमल कुमार श्रीमती प्रतिमा देवी
शिक्षा – स्नातकोत्तर हिंदी साहित्य,लोक प्रशासन, समाजशास्त्र, अंग्रेजी साहित्य
प्रकाशन – “दिल की बोली करब ऐ अहसास में” अभी हाल ही में 4 लघुकथा का प्रकाशन..
USA से छपने वाली हम हिंदुस्तानी में लघुकथा का प्रकाशन, hindi भाषा .कॉम में कहानी कविता का प्रकाशन
सम्मान- अनुसूचित जनजाति विकास परिषद सर्वपल्ली राधा कृष्णन शिक्षक सम्मान,…अभी खाते में बड़ी उपलब्धि शामिल नही है…2017 से लिखना शुरू किया।
सम्प्रति – प्रधान अध्यापक जगदलपुर
संपर्क- .सनसिटी लाल बाग के पास मकान नम्बर 162 जगदलपुर छतीसगढ़ 494001
Email…goyalsd2@gmail.com माे. 8085721011
”मातृहीन”
रात को तकरीबन 10 -11 बजे पुलिस चौकी में जब एक किशोरवय बच्चे ने हाथ में खून से सना हथौड़े के साथ कदम रखा… तो वहां एकदम से हड़कंप मच गया। बच्चे ने इंस्पेक्टर के सामने बिना किसी लाग लपेट के एक ही वाक्य कहा”सर मैंने मेरी माँ को मार डाला है इसी हथौड़े से …!आप मुझे फांसी पर चढ़ा दीजिए..”!
छोटा- सा कस्बानुमा गांव दीवानगंज …!ठंडी की रात …!इस दृश्य को देख और उस मासूम से दिखने वाले बच्चे की बात सुनकर सबके रोंगटे खड़े हो गए.!. इंस्पेक्टर ने जल्दी से सामने आकर उस बच्चे से पूछा ,””क्या नाम है तुम्हारा ?” “क्यों मार डाला तुमने अपनी माँ को ?”क्या करती थी वो “?”मेरी माँ का नाम मंजू था..और वो बहुत ही अच्छी थी..!”कह कर उस मासूम के आंखों से तर- तर आंसू बहने लगे..! मेरा नाम राम है…! मेरी माँ मुझे छोड़कर मेरे दोस्त के साथ रहने चली गई थी “…!अनुभवी इंस्पेक्टर ने ताड़ लिया कि “अवयस्क बच्चे से अपराध तो हुआ है लेकिन क्यो”?इसकी तह तक जाना होगा।उन्होंने अपने मातहतों को आवश्यक निर्देश दिया और बच्चे को बैठने को कह कर कहीं फोन लगाने में व्यस्त हो गये.!
इंस्पेक्टर ने पूरी छान बीन कर पूरी घटना की सच्चाई जान ली..!वयस्क होते बेटी या बेटे के सामने माता -पिता का व्यवहार अत्यंत संयमित होना चाहिए… कभी -भी रिश्तों में दोगलापन नहीं आना चाहिए..! राम के साथ गांव के एक बड़े उम्र के लड़के रवि से दोस्ती थी…!वह सायकिल से दूर गांव से हाईस्कूल पढ़ने दिवान गंज आता था…!राम की माँ गांव के अस्पताल में नर्स थी .!पिता बहुत दूर शहर में नौकरी करते थे…!त्यौहार के अलावा कभी2 ही आते थे… एक छोटा भाई लखन अभी 5वीं में पढ़ रहा था..!खुशहाल और संतुष्ट जीवन..!राम का दोस्त रवि अक्सर उनके घर देर हो जाने से रुक भी जाया करता था…!जाने किन कलुषित पलों में मंजू देवी का आकर्षण रवि की तरफ हो गया…!कच्ची उम्र का राम कुछ समझे न समझे इतना जरूर समझ पा रहा था कि कुछ गलत हो रहा है …!
किसी से कुछ भी न कह पाने के कारण कुंठित हो रहा था…!अक्सर उसकी मां रवि के साथ सायकिल में बैठ कर दूर दराजों के गांवों में सर्वे करने निकल जाया करती थी…!और काफी रात घर आती थी…!रवि शराब का सेवन भी करने लगा था और अब उसका व्यवहार दोस्ताना नहीं रह गया था…!पड़ोस के लोग उन्हें देख अजीब सी फब्तियां कसते थे।एक दिन जब पिता घर आये तो राम ने सब कुछ बता दिया…!मंजू देवी के सर पर न मालूम क्या भूत सवार था…दो टूक शब्दों में अपने पति को कह दिया”खुद तो यहां रहते नहीं हो मेरी जरूरतों को कौन पूरा करेगा …!सौदा सुलुफ, आना जाना सब रवि ही करता है”।
“वो सब ठीक है पर …मैं ये बाकि सब क्या सुन रहा हूं..?”? “सही सुन रहे हैं मैं इस लड़के को नहीं छोड़ सकती…!” कह कर वो अंदर चली गई “”छि अपने बच्चे की उम्र के लड़के के साथ ऐसा घिनौना सम्बन्ध बनाते हुए शर्म नहीं आई इसे..!”क्रोध से राम के पिता की आंखों से चिंगारियां निकल रही थी…!सुबह उन्होंने अपनी पत्नी को पुनः सम्भल कर रहने कहा….!किन्तु वो प्रेमांध कामांध औरत खुद घर छोड़ कर चली गई। राम के पिता ने बच्चों से कहा मैं शहर कुछ दिनों की छुट्टी लेकर वापस आता हूं ..!”2/4 दिनों में ही मैं तुम दोनों को अपने साथ शहर ले जाऊंगा।” तुम दोनों अब शहर मेरे साथ ही रहना.. ।
पिताजी के शहर जाने के बाद राम अपनी माँ से मिलकर वापस घर चलने को मिन्नतें करने लगा…!”तेरे पिता जब मुझे चिल्ला रहे थे तब क्यों कुछ नहीं बोला ?? तूने ही अपने पिता को सब अनाप शनाप बताया है न ?? ।अब मेरे पास क्यों आया है बोल??”मुझे रवि ने अगर अपने साथ नहीं रखा होता तो मैं कहाँ रहती?”रवि रवि रवि?? कौन है ये रवि मां आपका क्या ये आपका बेटा है ? “जो आप इसको त्याग नहीं पा रहे हो ?”” इतने मासूम सवाल से भी उस मां का कलेजा नही पसीजा..! “नहीं वो तुम्हारा भाई नहीं है …वो तुम्हारा पिता जैसा है ! मेरे पापा तो हैं न …फिर रवि मेरा पापा क्यों बनेगा??”
मैं तेरे को नही समझा सकती …तू जा यहां से…!”
राम ने पिता के रूप में किसी की भी कल्पना नहीं कि थी उसका माथा भन्ना गया उसने आव देखा न ताव सामने रखा हथौड़ा अपनी मां के सर पर दे मारा..!मार जोर से पड़ी थी…!खून देख राम अपने घर भाग आया…!और कुछ देर बाद थाने पहुंच गया।
अगले दिन अखबार में एक खबर छपी
“अज्ञात हमलावरों के द्वारा महिला की हत्या की गई….।मासूम बच्चे हुए अनाथ …मातृहीन…! इंस्पेक्टर साहेब ने अपनी जांच तेज कर दी है…!जल्द ही हत्यारा पकड़ा जाएगा…!