”जरूरी हो गया, मिनरल वाटर”श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

”जरूरी हो गया, मिनरल वाटर”
कुछ दशक पहले किसी ने सोचा भी नहीं रहा होगा कि एक दिन प्रकृति द्धारा मुफत में उपलब्ध संसाधन स्वच्छ पेयजल को खरीद कर पीना पडेगा वह भी 20 रू. प्रतिलीटर में। निरंतर भुमिगत जल के अवैध दोहन शहरों में सीवेज लाईन के प्रदुषण के चलते मनुष्य के पीने के पानी में रिसाव के चलते स्वास्थ्य पर विपरीत असर होने लगा। स्वच्छ पेयजल हम सबका अधिकार है, लेकिन आज निरंतर औद्धोगीकरण के चलते हमारे जीवन के इस अमुल्य चीज पेयजल के दूषित होने से तरह तरह की बीमारियों से हम घिर चुके हैं।
कई जल जनित बीमारियों की वजह पेयजल का साफ न होना है। इन दिनों चाहे हम जिस कोने में जाएं मिनरल वाटर की काफी मांग है। मिनरल वाटर वह जल है जिसमें कुछ उपयोगी खनिज भी मिले हों। खनिज की उपस्थिति से पानी का स्वाद बदल जाता है। इसका औषधीय महत्व भी है। खनिज जल प्रायः किसी प्राकृतिक खनिजयुक्त झरने या किसी अन्य स्रोत से प्राप्त किया जाता है। खनिज जल में सल्फर एवं अन्य अनेकानेक लवण घुले होते हैं।
बस्तर संभाग के चारामा तहसील में आज स्थिति इतनी सृदृढ़ है कि भुमिगत पेयजल काफी अच्छी है। बनिस्बत अन्य इलाके देेखें तो आयरनयुक्त पानी से भी आम नागरिक त्रस्त हैं। हालांकि सुदूर अंचलों में सरकार द्वारा हैंडपंपों में मिनरल वाटर से छुटकारे हेतु यंत्र भी लगाये गये हैं लेकिन स्थिति नाकाफी है।
चिंता की बात कि स्वच्छ पेयजल न मिलने के चलते कईयों को अपनी जान से हाथ धोना पडता है। कहीं आयरनयुक्त पानी तो कहीं नमकीन के चलते लोग पानी नहीं पी सकते। व्यावसायिक रूप से देखा जाय तो कई कंपनियां फिल्टर यंत्र बाजार मे उपलब्ध करायी है। कुछ रेलवे स्टेशनों में भी इस प्रकार की सुविधाएं हैं। जो पैसे से ही उपलब्ध है। यही कारण है कि आज कई मिनरल वाटर कंपनियां भारतीय बाजार में विराजमान है। और यह बात भी कि सभी कंपनियां चल रही है। बोतलबंद पानी की सबसे ज्यादा खपत वाले दस शीर्ष देशों में अमेरिका, मेक्सिको, चीन, ब्राजील, इटली, जर्मनी, फ्रांस, इंडोनेशिया, स्पेन और भारत हैं।
मिनरल वाटर के चलन के चलते कई दफा रेलवे स्टेशनों पर पुरानी बोतलों में साधारण पानी भर कर घुमंतु लोगों द्वारा पेक कर बेचे जाने की खबरें भी सुनायी देती रही है इस पर ध्यान देना चाहिए। शहरों में पेयजल पाईप नाली के लीक होने के चलते सीवेज एवं गंदे पानी के मिलने से अमूमन रूप से पीलिया की शिकायतें सामने आई है। इसे देखते बचाव हेतु आम लोगों को खासकर बाहर चल रहे हों तो मिनरल वाटर लेना मजबूरी हो जाता है।
हमें गर्व होना चाहिए कि बस्तर के इस अंचल में कम से कम पानी तो बोतल बंद नहीं खरीदना पड रहा। देश के कई जगहों बडे शहरों में तो पीने का पानी खरीद कर ही पीना पड रहा है ।यह काफी चिंताजनक है। मिनरल वाटर का प्रचलन इतना बढ़ा कि अब तो कई स्थानीय जगहों पर प्लांट लगा कर प्राडक्षन कर रहे हैं। ब्रांडेड पैक के साथ स्थानीय पैक भी 20 रूपये लीटर में बिक रही है।
कोरोना काल के बाद उबले जल का प्रचलन भी बढ़ा है अब जागरूक लोग स्वयं कहीं भी आवाजाही होने पर अपने वाहनों में पानी लेकर चलने लगे हैं तो घरों में भी पानी उबाल कर उपयोग करने लगे हैं। जरूर उबले पानी में स्वाद का फर्क पड़ता है, लेकिन स्वस्थ्य रहना है तो वह सब करना पड़ रहा है,जिसे पहले हम नजरअंदाज करते आ रहे थे।
देश में कई नगर मध्यम एवं बडी नदियों के किनारे बसी है। कई नगरों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति उस नदी पर कटबंध से जल शोधित होकर घरोें तक जाता है,जहां नगर की गंदी सिवरेजयुक्त जल मिल रही है। जिसके चलते चाहे लाख शोधन करें सुक्ष्म जीवाणु कभी प्रवेश कर गया तो यही जलजनित बीमारियॉं पैदा करता है, यही कारण है कि आज जागरूक लोग मिनरल वाटर पर विश्वास करने लगे हैं। कहीं आयरनयुक्त तो कहीं नमकीन पानी का सामना करना भी प्रमुख कारण है।
मिनरल वाटर भी एक उद्वोग का रूप ले लिया है, आज छोटे-छोटे नगरों में इसके प्लांट लग गये हैं। सरोकार में पाया कि जागरूक लोग आज भी स्थापित ब्राण्ड के मिनरल वाटर बोतल लेना ज्यादा पसंद करते हैं।