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स्वच्छता के साथ पर्यावरण संरक्षण पर जोर–काँकेर मुक्तिधाम

(मनोज जायसवाल)

काँकेर(सशक्त हस्ताक्षर)। नगर के एकमात्र ‘मुक्तिधाम’ में पटी पडी गंदगियों की सफाई कर स्वच्छ कर नये स्वरूप देने की मुहीम लगातार जारी है। यहां की जानीमानी समाजसेवी संस्था जन सहयोग एवं पूर्व सैनिक सेवा परिषद के संयुक्त अभियान में आशातीत सफलताएं भी मिल रही है। लोगों को लग रहा है कि लाखों की राशि खर्च करने के बावजूद जो कार्य नहीं हो पाया वो सेवाभावी हाथों के आगे आने से अब हो रहा है।

समाजसेवी संस्था जनसहयोग एवं पूर्व सैनिक सेवा परिषद द्वारा संयुक्त रूप से काँकेर नगर के मुक्तिधाम में सुबह अलसुबह से 3 घंटे तक स्वच्छता मुहीम चलाया गया। जिसमें  बड़ी मात्रा में कूड़ा- कचरा, प्रतिबंधित झिल्ली पॉलिथीन, डिस्पोज़ेबल आइटम्स आदि इकट्ठा कर उनका वहीं निष्पादन किया गया।

इस अवसर पर पूर्व सैनिक सेवा परिषद के पदाधिकारी टी.के. जैन द्वारा आम नागरिकों से अपील की गई कि मुक्तिधाम की पवित्र भूमि को पॉलिथीन आदि के कचरों से अपवित्र ना करें।

जन सहयोग  के अध्यक्ष अजय पप्पू मोटवानी ने कहा कि हम लोग भविष्य में भी आवश्यकतानुसार मुक्तिधाम में स्वच्छता अभियान चलाते रहेंगे और साथ ही साथ वृक्षारोपण भी करेंगे ,ताकि प्रदूषित पर्यावरण में सुधार हो सके।

ये थे, उपस्थित
आज के स्वच्छता अभियान में अपने श्रमदान द्वारा निरूस्वार्थ सहयोग देने वालों में जन सहयोग के अध्यक्ष अजय पप्पू मोटवानी के अलावा बल्लू राम यादव ,जितेंद्र प्रताप देव ,डॉक्टर श्यामदेव ,मिंटू ,शैलेंद्र देहारी, करण नेताम ,पप्पू साहू ,भूपेंद्र यादव, गजेंद्र ठाकुर, प्रमोद ठाकुर ,भूतपूर्व सैनिक सेवा परिषद के टी के जैन तथा संयोग साहू आदि ने इस पुण्य कार्य में उल्लेखनीय सहयोग दिया, जिसकी प्रशंसा शहर वासियों द्वारा की जा रही है।

शहर में अब स्वस्थ्य घुम रही वृद्धा
दीन- दुखियों की हमेशा सहायता करने वाले शहर काँकेर के “जन सहयोग ” संस्था के अध्यक्ष अजय पप्पू मोटवानी ने बीती रात्रि को ऊपर नीचे रोड मरीन ड्राइव में एक वृद्ध महिला को सड़क पर सोते हुए देखा, जिसका हाथ टूटा हुआ था और वह शरीर से कमज़ोर तथा बीमार मालूम पड़ रही थी। श्रीमोटवानी ने उसे अस्पताल चलने को कहा लेकिन वृद्ध महिला तैयार नहीं हुई । तब उन्होंने वहीं एक सुरक्षित जगह में ही घर से कंबल मंगा कर उसके सोने की व्यवस्था कर दी और सवेरे आकर अस्पताल ले जाने का वादा कर लिया।

लेकिन सुबह वहां जाने पर उन्हें वृद्ध महिला वहां नहीं मिली। शायद उसके मन में अस्पताल को लेकर कुछ डर था, जिसके चलते वह गायब हो गई। श्री पप्पू कहते हैं कि हमें ऐसे ज़रूरतमंद इंसानों के लिए जो कुछ करना है ,जल्दी ही कर लेना चाहिए और अस्पताल का डर भी लोगों के मन से निकालना बहुत आवश्यक है। मुझे इस बात का दुख है कि वृद्ध महिला ने रात को भी अस्पताल जाने से इनकार किया था और सुबह-सुबह गायब ही हो गई। आसपास के क्षेत्र में बहुत ढूंढने पर भी वह कहीं नहीं मिली। समाज सेवा में इस प्रकार के कड़वे अनुभव भी होते हैं।

आज उक्त वृद्धा शहर में स्वस्थ्य होकर घुमती दिख रही है।

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