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‘नयनों की सागर में,मतवाली दुनिया’ मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

(मनोज जायसवाल)
चाहे साहित्य जगत हो, जहां देश के साहित्यकारों ने अपने काव्य में ‘नायिका’ की आखों का विस्तार से वर्णन किया। श्रृंगार रस के कवियों ने तो अपने मुताबिक ‘नायिका’ के रूप का वर्णन करते हुए मुख्यतः उनकी ‘नयन’ यानि ‘आंख’ को केंद्र माना।
आंखों के कई नाम दिए गए काव्य में। ‘साहित्य’ के साथ हम अगर सिने कला जगत की बात करें तो अतीत से अभी तक आंखों को लेकर जितने गीत लिखे गये अमूमन सफलता के पायदान पर लोकप्रिय रहे। फिल्म ‘उमराव जान’ के वो गीत जो प्रसिद्ध अभिनेत्री रेखा पर फिल्माया गया 1981 में रिलीज हुइ इस फिल्म को आशा भोंसले ने स्वर दिया था.. इन आंखों की मस्ती,मस्ताने हजारों है….। फिल्म हिम्मतवाला में श्रीदेवी अभिनीत फिल्म नैनों में सपना, सपनों में सजना… इंदीवर के लिखे गीत को प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर ने स्वर दिया।1983 की ब्लाॅकबस्टर फिल्म थी।
1998 में रिलीज हुई फिल्म ‘दुल्हे राजा’ के गीत अंखियों से गोली मारे ….जो अभिनेता गोविदा और रवीना टंडन पर फिल्माया गया था। इस फिल्म की सफलता इतना कि आज भी यह गीत उतना ही जवां है। यही नहीं गीत के इन बोल पर ही एक और फिल्म का निर्माण हुआ जो बाक्स आफिस पर इतना हिट हुआ कि सफलता के सारे रिकार्ड तोड़ डाले। दिल धड़काये सीटी बजाये, बीच सड़क पे नखरे दिखाए सारे ओ करके इशारे वो लड़की आंख मारे…..2018 में रिलीज फिल्म सिम्बा के इस गीत को स्वर दिया कुमार सानु,नेहा कक्कड़,मिल्खा सिंग ने। आंखों की सुंदरता का वर्णन और लोकप्रियता जितना कला सिने जगत में भुनाया गया कि आज भी कई नये गीत आंखों को लेकर लिखे जा रहे हैं। आंख है, भरी भरी… चलाओ ना नैनों से बाण रे, अंखियों को रहने दे, अंखियों के झरोखों से, मैंने,मेरे नैना तेरे नैनों से .. मीठी आदि।
सीधे शब्दों में कहें तो न बालीवुड अपितु क्षेत्रीय फिल्मों में भी अनमोल आंखों की सुंदरता का वर्णन करते गीत लिखा गया और सबमें यह हिट रहे। ऐसा लगता है कि साहित्य जगत में इतना नहीं मिलेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में आंखों की सुंदरता, स्वस्थ्यता बनाये रखने के लिए तमाम सावधानियां और जानकारीयां हर लोगों को दिया जाता रहा है। शायद यही कारण है कि आंखें के प्रति अब आम लोगों में काफी सजगता बढ़ी है और अपनी आंखों पर विशेष ध्यान देने लगे हैं। आंखों की महत्ता पर इतना जागरूकता हुई है कि इस जीवन के नहीं होने पर दूसरों के लिए आई डोनेट हेतु भी काफी संख्या में लोग आने लगे हैं।
आंखों की सुरक्षा के लिए आज चश्मा बहूत जरूरी है। जरूरी के साथ ही चश्मा फैशन का भी रूप लिया और चश्मे को भी सिने कला जगत में कई गीतों में भुनाया गया। शायरों की नजर में तो बिना आंखों की वर्णन किए तो शायद शायरी ही न बने। कुल मिला कर कहें कि आंख के बगैर दुनिया में बेताबी ही बेताबी है। नयी पीढ़ी की बात करें तो आज के युवा अमुमन किसी लड़की को देखते यह चर्चा कर रहे होते हैं कि वे नयन सुख कर रहे हैं। उनकी मानें तो उन्हें देखने भर से उनकी आंखों को चैन और सुख मिलता है।
योग की दृष्टि से भी आंखों की सुंदरता के लिए उपाय बताये गये हैं, व्यायाम के जरीये स्वस्थ्य रखा जा सकता है, कि हमारी आंखें भी उन वर्णन किये जा रही बड़ी बड़ी आंखों की तरह सबको आकर्षित तो करे साथ ही आंखों की ज्योति सलामत रहे।

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