साहित्यकार परिचय
श्रीमती कल्पना कुर्रे
माता /पिता – श्रीमती गीता घृतलहरे, श्री हेमचंद घृतलहरे
पति – श्री शिवदयाल कुर्रे
संतत–् पुत्र – 1. अभिनव 2. रिषभ
जन्मतिथि – 19 जून 1988
शिक्षा-
प्रकाशन-
पेशा – गृहणी
पता – ग्राम – कातलबोड़़
पोस्ट – देवरबीजा,
तहसील – साजा,
जिला – बेमेतरा (छ.ग.)
संपर्क- मो. – 8966810173
“भूत”
एक परिवार था जहां चार बेटियां थी पांचवें का बेसब्री से इंतजार हो रहा था कि इस बार लड़का हो जाए पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था पांचवीं बार भी लड़की ही हुई पर इसे कुदरत का फैसला कहे या किस्मत का लिखा इस बार चौंकाने वाली बात थी कहते हैं कि इस दुनिया को और इसमें रहने वाले सभी मनुष्यों को भगवान ने बनाया है तो हम सभी को भगवान ने ही बनाया है,यह भी कहते हैं कि सभी को अपना रंग रूप अपने-अपने कर्मों से मिलता है उसी प्रकार उस पांचवी लड़की को भी भगवान ने ही बनाया है जिसका शरीर तो ठीक-ठाक ही था पर उसका रूप बिल्कुल किसी दूसरे ग्रह का लगता था।
जैसे की कोई एलियन हो उसका चेहरा आम इंसानों जैसा बिल्कुल भी नहीं था भगवान ने बनाया है सोचकर मां बाप ने उस बच्ची का नाम भगवंतिन रखा था उसके चेहरे की तरह उसका दिमाग भी अविकसित था वह बड़ी होने लगी जब वह घर से बाहर निकलती थी तो सब उस पर हंसते थे कई बच्चे उसे देखकर डर जाते और वहां से भाग जाते थे उसकी आवाज भी स्पष्ट नहीं थी तुतलाते हुए कुछ बोलती भी तो कोई समझ नहीं पता था कोई उसके इशारों से समझ जाते कि वह क्या बोलना चाहती है।
वह दिन भर इधर-उधर घूमती रहती अपने गांव की नदी में नहा कर आ जाती ।उसे बचपन से ही चूड़ियां पहनने का शौक था वह बाजार में चुड़ियां मांग कर पहन लेती थी। गांव के लोगों ने उसका कुरुप चेहरा देखकर उसका नया नाम रख दिया “भूत” गांव का बच्चा-बच्चा और बड़े बूढ़े भी उसे भूत ही कहने लगे सभी लोग उसे देखते ही भूत -भूत बोलते हैं पर वह बुरा नहीं मानती वह तो भूत नाम से ही खुश हो जाती उसमें अच्छे और बुरे में फर्क करनें समझ जो नहीं थी। भूत अपने परिवार के साथ रहती थी पर उसकी दादी उससे नफरत करती थी उसके होने पर परिवार की बदनामी समझती थी और भूत के कारण उसके परिवार वाले शर्म महसूस करते थे उसे घर से बाहर जाने से मना करते थे भूत के मां-बाप की अच्छी खेती बाड़ी थी।
एक दिन भूत अपनी बहनों के साथ खेल रही थी दादी जो की भूत को पहले से ही ना पसंद करती थी उसने देखा कि भूत दीये के पास बैठी है ,दादी ने मौके का फायदा उठाकर भूत के कपड़ों में आग लगा दी भूत का आधा शरीर जल गया उसे अस्पताल ले जाया गया उसका इलाज शुरू हुआ वह बच गई पर कई महीनो के इलाज के बाद बड़ी मुश्किल से वह ठीक हो पाई ,उसका चेहरा तो बज गया वही चेहरा जिसके कारण उसे भूत नाम मिला था पर उसके हाथों और पैरों के नसों में खिंचाव हो गया था जब वह पूरी तरह ठीक हो गई तो फिर से वह गलियों में घूमने लगी बाजार में जाकर चूड़ियां मांग कर पहनकर अपने पड़ोसियों को दिखाने लगी।
बीतते समय के साथ वह बड़ी हो गई उसके माता-पिता और बड़ी बहन डायबिटीज के मरीज थे सभी बहनों की शादी अच्छे परिवारों में हो गई दादी के बाद मां-बाप डायबिटीज से चल बसे। बड़ी बहन गरीब परिवार में शादी करके गई थी वह अपने मायके में भूत की देखभाल के लिए रहने लगी घर में सिर्फ 3 सदस्य ही रह गए थे बड़ी बहन भूत और भूत के जीजा ,जीजा का व्यवहार भूत के प्रति अच्छा नहीं था वह भूत पर अत्याचार करने लगा था बड़ी बहन के विरोध करने पर उसे बहुत मारता पिटता था। भूत घर का कुछ काम करने की कोशिश करती पर खाना नहीं बन सकती थी बड़ी होने के बाद भी उसका दिमाग छोटे बच्चों जैसा ही था भूत के जीजा ने भूत को प्रेग्नेंट कर दिया भूत की बड़ी बहन सब जानती थी भूत के जीजा ने उसे बच्चा गिराने वाली दवाई खिला दी पर उसके जीजा का क्रुरपन खत्म नहीं हुआ यह सिलसिला आगे भी चलता रहा ।
वह दूसरी बार मां बनने वाली थी इस बार फिर उसे बच्चा गिराने वाली दवाई खिला दी गई,भूत की बड़ी बहन जो कि पहले से ही डायबिटीज की मरीज थी। मारपीट और बीमारी ऊपर से भूत की चिंता के चलते उसका भी देहांत हो गया। बहन के जाने के बाद घर में भूत और उसका जीजा बस रह गए भूत का जीजा उसके लिए खाना बनाता घर का काम करता पर उसने भूत को तकलीफ देना बंद नहीं किया वह तीसरी बार मां बनने वाली थी भूत का जीजा गांजेबाज था वह इधर-उधर रहता था कुछ महीने बीत गए भूत का पेट दिखाने लगा गांव में बात फैल गई तब उसके जीजा ने फिर से भूत को बच्चा गिराने वाली दवाई खिला दी सातवां महीना शुरू हो गया था भूत की तबीयत बिगड़ रही थी इसलिए उसे अस्पताल ले गए तभी जांच में पता चला कि भूत के पेट में दो जुड़वा बच्चे हैं पर वह दोनों नहीं बचे,भूत को पता भी नहीं था वह माॅं बनने वाली हैं उसके साथ क्या हो रहा है ।
पुलिस और जेल जाने के डर से भूत के जीजा ने बयान में बताया कि वह भूत का पति है जब भूत ठीक होकर घर आई तो गांव वालों ने उसकी शादी उसके जीजा के साथ करा दी क्योंकि भूत दुनिया में अकेली थी और बहने भी भूत को देखने कभी कभार ही आती थी साल भर भी हो जाता कोई भूत को देखने नहीं आते थे इसलिए भूत की भलाई सोचकर सभी ने मिलकर दोनों की शादी करवा दी कुछ ही महीनों में वह चौथीं बार मां बनने वाली थी वह अपने पड़ोसियों के घर जाया करती थी कभी भूख लगे तो उनसे खाना मांग कर खा लिया करती थी।
जिस लड़की का नाम भूत रखा गया जिसका दिमाग अभी भी बच्चों जैसा था वह अपना अच्छा बुरा समझने में असमर्थ थी वह जानती भी नहीं थी कि उसके साथ हो क्या रहा है अचानक से ही उसमें परिवर्तन होने लगा मानो जैसे प्रकृति परिवर्तित होती है जीवन दान देती है इस तरह भूत में परिवर्तन आया जब उसे प्रसव पीड़ा हुई वह चुपचाप एंबुलेंस में बैठ गई अस्पताल में उसको बेटा हुआ वह डॉक्टर से कहती मेरा बेटा हुआ है मेरे लिए मिठाई लावो, वह अपने बच्चे को देखकर बहुत खुश थी घर आने के बाद वह अपने बच्चे को दिनभर घूमाती पड़ोसियों के घर ले जाती और उसे गोद में लेने के पैसे मांगती कोई भी उसके बच्चे को पैसा दे देता तो उस पैसों से चूड़ियां लेकर पहन लेती और नदी में जाकर नहा कर आ जाती फिर भी उसका बच्चा स्वस्थ था जैसे भगवान की कृपा थी। धीरे-धीरे वह अपने बच्चे का बहुत ख्याल रखने लगी।
मानसिक रूप से कमजोर होने के बाद भी वह अपने माॅं होने का फर्ज अच्छे से निभाती है जिस लड़की को लोगों ने भूत नाम दिया था सब बच्चे उसे डर कर भाग जाया करते थे उसके बच्चे के लिए वही उसकी पूरी दुनिया है।
‘आज उसका बच्चा 4 साल का हो गया है वह अपने बच्चे को बहुत प्यार करती है सभी के लिए उसका रूप भूत जैसा है, पर अपने बच्चों के लिए वह एक माॅं है जिसका चेहरा देखकर वह हंसता है, रोता है, जीता है और अपनी माॅं से बहुत प्यार करता है।