
साहित्यकार परिचय-
श्री संतोष श्रीवास्तव ‘सम’
जन्म-6 सितंबर 1969
माता-पिता – स्व. श्री राजेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव, श्रीमती सुशीला देवी श्रीवास्तव,
शिक्षा- एम.ए.( हिंदी साहित्य, इतिहास) , डी एड, पत्रकारिता डिप्लोमा।
प्रकाशन-1) आसमां छोड़ सूरज जब चल देगा 2) तुम प्रतिपल हो 3) इस बगियाँ में 4) शरद वर्णन 5) श्री राम वनवास गाथा कहानी संग्रह-
वे सौदागर थे। रेखाचित्र – दिशाबोध संपादन – 1)काव्य धरोहर,2)जागो भारत
वे सौदागर थे। रेखाचित्र – दिशाबोध संपादन – 1)काव्य धरोहर,2)जागो भारत
सम्मान-
1) राष्ट्र कवि दिनकर सम्मान, रायपुर में।
2) साहित्य सम्मान, वर्धा महाराष्ट्र में।
3) डाँ अम्बेडकर सम्मान
4) सफल सम्मान, जगदलपुर में।
5) अभिव्यक्ति सम्मान
6) न्यू ऋतंभरा साहित्य सम्मान ,दुर्ग में।
7) सृजन सम्मान, भिलाई में।
8) कलमकार मंच द्वारा सम्मान, बालोद में।
9) राजभाषा आयोग द्वारा सम्मान, रायपुर में।
10) रूम टू रीड इंडिया नई दिल्ली द्वारा सम्मान।
एवं अन्य विविध सम्मान।
2) साहित्य सम्मान, वर्धा महाराष्ट्र में।
3) डाँ अम्बेडकर सम्मान
4) सफल सम्मान, जगदलपुर में।
5) अभिव्यक्ति सम्मान
6) न्यू ऋतंभरा साहित्य सम्मान ,दुर्ग में।
7) सृजन सम्मान, भिलाई में।
8) कलमकार मंच द्वारा सम्मान, बालोद में।
9) राजभाषा आयोग द्वारा सम्मान, रायपुर में।
10) रूम टू रीड इंडिया नई दिल्ली द्वारा सम्मान।
एवं अन्य विविध सम्मान।
संप्रति- शिक्षक, संपादक जागो भारत ‘त्रैमासिक ‘ पत्रिका।
संपर्क-बरदेभाटा, कांकेर, जिला- कांकेर ,छत्तीसगढ़। पिन 494334 मोबाइल 9993819429
”नेताजी का समारोह”
आज शहर चका चौंध था। हर और रौनकता छाई हुई थी। शहर में बड़े-बड़े गेट लगे हुए थे। बड़े-बड़े बैनर पोस्टर से शहर लदा हुआ था।
आज जिस नेता के आने की बारी थी, उसके स्वागत के लिए जोर-शोर की तैयारी थी। आगंतुक नेता की बड़ी सी तस्वीर के सामने उनके वादों से भरा बोर्ड लगा हुआ था। जिसमें स्पष्ट लिखा था कि अब किसी को भूखा नहीं रहना होगा। कोई प्यासा नहीं रहेगा। सबकी आवाज सुनी जायेगी। सबकी बात सुनी जायेगी। सभी की हर समस्या हल होगी।
कुछ ही समय के पश्चात आगंतुक नेता मंच पर विद्यमान थे। उनको सुनने लोगों का हजुम उमड़ पड़ा था।
इसी बीच एक गरीब वृद्धा उन नेताजी से मिलने अपनी इच्छा जाहिर करती है। परंतु उसकी आवाज व्याप्त शोर में दब जाती है और न जाने कहा उसकी बात गुम हो जाती है।
नेताजी सभी को शुक्रिया अदा कर उस स्थल से निकल पड़ते हैं।