”अंतर्राष्ट्रीय परिचारिका दिवस”श्री तिलक तनौदी ‘स्वच्छंद’ वरिष्ठ साहित्यकार तनौद‚जांजगीर चाम्पा(छ.ग.)

तिलक तनौदी ‘स्वच्छंद’
पिता-श्री छत्तराम महिपाल
माता- श्रीमती छतबाई महिपाल
जीवन संगिनी– श्रीमती अंजू महिपाल
सन्तति-
२. प्रकाशित पत्रिका:-राष्ट्रीय हिंदी साहित्य अंचल मंच के मासिक पत्रिका (बिहार),किरण दूत(रायगढ़), कोलफील्ड मिरर (कलकत्ता), काव्य कलश वार्षिक पत्रिका(छत्तीसगढ़), विवेक एक्सप्रेस (मुंबई),मालवा हेराल्ड (उज्जैन,मध्यप्रदेश), साइंस वाणी पत्रिका(रायपुर)।
पिन :- 496001

”अंतर्राष्ट्रीय परिचारिका दिवस विशेष”
सेवा का पर्याय हैं परिचारिका (nurse), इनके मन मस्तिष्क में केवल और केवल सेवा भाव रहता है। ऐसा लगता है कि इनके रगों में सेवा ही बहती है।किसी भी स्थिति में, हरहाल ये लोगों की सेवा करने हमेशा तत्पर रहती हैं। इनके अंदर अपार सहनशीलता समाहित होती है, वे जिनका मानसिक संतुलन ठीक नहीं रहता,उनका अशोभनी गालीयाँ सहकर ये उनका अच्छे से ख्याल रखती हैं। इनके सोच से घृणा कोसों दूर रहता है। बीमार व्यक्ति जिन्हें लोग छूना नहीं चाहते उनका देखभाल ये उपचारिका सहजता से करती हैं।
लोगों के गुस्सा भरा सवाल का जवाब प्यारी सी मुस्कान के साथ देती हैं।स्वयं व अपने घर परिवार का परवाह किए बिना अति संक्रमित बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का देखरेख मन लगाकर करती हैं। ये परिचारिकाएँ विषम परिस्थितियों में भी अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा के साथ निभाती हैं, जिसका प्रमाण वैश्विक बीमारी कोरोना के समय स्पष्ट दिखा। ये त्याग, दया, करुणा और सेवा की प्रतिमूर्ति हैं।
अतः इन्हें अंतर्राष्ट्रीय माता कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है। आज “अंतर्राष्ट्रीय परिचारिका दिवस” व “अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस” की समस्त उपचारिकाओं को हृदय से बधाई ।
आप सभी वंदनीय हैं ,अद्भुत सेवा भाव के लिए आप सभी परिचारिकाओं (Nurses) का आभार।