(मनोज जायसवाल)
पिछडा वर्ग को एकजुट होने की दरकार
पूरी तरह एकजुट होकर इतिहास के पन्नों पर संगठित हुए कांकेर जिले में चारामा से राजधानी रायपुर तक आरक्षण सहित कुछ मुद्दों पर निकाली पूर्व की पैदल यात्रा के कुछ समय बाद तक संगठन को ऊपर उठाने का भरपूर प्रयास किया गया पर वो जनबल हासिल नहीं हो सका जितना पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या है। लेकिन चारामा विकासखंड से ही सक्रियता से तब सामने आया सर्व पिछडा वर्ग समाज कांकेर की वृहत सभा के माध्यम पूरी तरह एकजुट होकर काफी सशक्त होकर उभरा है‚जिसे अब किसी भी तरह कमजोर आंकना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा होगा।
कांकेर की सभा आंदोलन से लौटी उत्साह
इस समय छत्तीसगढ़ मे पिछड़ा वर्ग का तीन संगठन काम कर रहा है। लेकिन जनबल के साथ सामने आने का कार्य यदि हुआ है तो सर्व पिछड़ा वर्ग समाज के बैनर तले ही हुआ है। चाहे राजनीति हो या समाज बस्तर संभाग में सक्रियता बस्तर प्रवेश द्वार चारामा से ही सामने आती है। पिछड़ा वर्ग बाहुल्य होने के चलते यहां के लोग सरल जरूर हैं,पर अपने अधिकारों की लड़ाई में हमेशा सामने आये हैं। विगत समय कांकेर में सर्व पिछड़ा वर्ग की सभा मुख्य रूप से जनबल की दृष्टि से बैठ चुके संगठन को नयी जान डाल दी। उम्मीद से भी ज्यादा कांकेर जिला मुख्यालय में भीड़ रही जहां प्रशासन को भीड़ सम्हालने में काफी मशक्कत करना पडा।
गंभीरता से प्रयास पर सफल नहीं
कांकेर जिले में सर्व पिछड़ा वर्ग संगठन को लेकर गंभीरता से कार्य हुआ,जहां इसके अंतर्गत आने वाले प्रत्येक समाज के लोगों को मिलाकर संगठन निर्मित कर सबको जवाबदारियां भी दी गयी। जवाबदारी का परिणाम रहा कि कांकेर की सभा सफल रही और तो और आज आरक्षण सहित अन्य मुद्दों को उठाता आ रहा है। आरक्षण जो पिछड़ा वर्ग की मुख्य मांग रही जिसे छत्तीसगढ़ केबिनेट में पास किये जाने के बाद राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं होने से निराश होना पड़ा। आज भी पिछड़ा वर्ग अपनी मांगों पर उद्वेलित है, आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर नहीं होने से मामला सिफर है।
उम्मीदों पर टिकी
फिर भी सर्व पिछड़ा वर्ग सम्माज आज भी सरकार के प्रयासों पर उम्मीद कायम किये है, उन्हें लगता है कि आज नहीं तो कल उनकी मांगे जरूर पूरी होंगी। इस समाज के भले ही कितने ही संगठन रहे पर सक्रियता इतनी सशक्त है कि इस पर सवाल नहीं उठाये जा सकते। गत दिनों ही कांकेर जिले के अंतागढ‚ भानुप्रतापपुर के कोरर‚चारामा आदि जगहों पर शासन प्रशासन को सर्व पिछडा वर्ग समाज के लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है।
राजनीतिक सांठगांठ का आरोप
कोई भी मुहीम जब पूरा होने की दिशा में अग्रसर होता है,तो समाज विरोधी तत्व या फिर जिनका नाम सामने नहीं आ रहा वे नकारात्मक बातों की ओर ले जाना चाहते हैं। इसके चलते राजनीतिक सांठगांठ का आरोप लगता है। अपनी नकारात्मक बातों की जीत के लिए निश्चित रूप से वो सियासी आरोप प्रत्यारोप का सहारा लेगा। इसे देखकर समाज के लोग ही यह आरोप लगाते हैं। जहां आरोप लगाने वाले भी सही है,और कई बातों के मद्देनजर वह भी सही होता है।
उम्मीदें कायम
पिछले कार्यकाल में छत्तीसगढ़ के संगठन में रीढ़ समझे जाने वाले साहू समाज से उम्मीदें तब जगी थी, जब चारामा विकासखंड के गौरीशंकर जैसे ऊर्जावान युवा समाज के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। यही नहीं कलार समाज चुनाव पर भी लोगों की निगाहें टिकी रही कि अब सामाजिक दृष्टि और विधानपूर्वक पिछड़ा वर्ग का संगठन बनेगा। ऐसा वर्तमान में तो जरूर बना पर सभाओं में कुछ नेताओं की अनुपस्थिती चर्चा का विषय बना। राजनीतिक रंग भला कैसे छूटेगा।
आशा कलार समाज से
आने वाले अप्रेल के अंत तक छत्तीसगढ़ के दूसरे बड़े समाज डंडसेना कलार समाज के महासभा यानि चुनाव को लेकर इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। चारामा विकासखंड मुख्यालय में कई दौर की मीटिंग के बाद पुरूषोत्तम गजेंद्र को सर्वसम्मति से बस्तर संभागीय डंडसेना कलार समाज अध्यक्ष के लिए दायित्व निर्वहन के लिए प्रस्ताव किया गया। युवा तुर्क पुरूषोत्तम गजेंद्र छात्र जीवन से संघर्षशील रहे हैं। चारामा महाविद्यालय मांग के संदर्भ उनकी सक्रियता और मांगों को पूरा कराने की बात आज पुनः याद दिलाने की नहीं है। इसके साथ ही जनपद सदस्य पद पर पूरी गंभीरता से चुनाव जीतना और जनता के सुख दुख में भागीदार रहना यह भी बताने की जरूरत नहीं है। जैसा कि पूर्व में ही इस आलेख में लिखा कि आरोप प्रत्यारोप लगते रहते हैं,लेकिन कलार समाज के विषय में लोगों का इतना मानना है कि इस बार डंडसेना कलार समाज संभागीय अध्यक्ष की कमान भी चारामा ब्लाक के समाजसेवी के नाम दर्ज हो। कई वो बातें हैं,कई वो खासियतें हैं जिसके चलते अब लोग चाहते हैं कि हर क्षेत्र में अपनी सक्रियता दर्ज कराने वाले चारामा विकासखंड असल में प्रतिनिधित्व का हकदार है।
परिवर्तन सत्ता का या? – महेश जैन
डंडसेना कलार समाज संभागीय अध्यक्ष का चुनाव अप्रेल अंतिम तक होने की बाते हैं,लेकिन अभी और कौन-कौन प्रत्याशी यानि कुल कितने प्रत्याशी मैदान में होंगे यह जानकारी नहीं है। गौरतलब यह भी कि वर्तमान अध्यक्ष महेश जैन का यह दूसरा कार्यकाल है और आने वाले तीसरे कार्यकाल के लिए भी वे पीछे नहीं है। वर्तमान संगठन के अमूमन पदाधिकारी उनके अपने पक्ष के हैं,तो अंदरूनी क्षेत्रों में भी पकड़ उनकी है। साफ शब्दों में उनका कहना है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में समाज को सशक्त करने का ही काम किया है,यदि कोई कह दे कि यहां पर आपने गलत किया तो उसे सुनने भी तैयार हैं और दूर करने भी। लेकिन हसरत इतना है कि जितना समाज के लिए अभी कार्य किया उतना ही कार्य और कर लेते ताकि नाम पूर्व कार्यकाल के समाजसेवकों जैसा होता। हालांकि वर्तमान तक का कार्य कुछ कम नही है। सशक्त हस्ताक्षर के माध्यम उनका यह भी कहना है कि सबको खड़े होने अपने विचार का अधिकार है,हम किसी पर टीका टिप्पणी नहीं करेंगे। लोग परिवर्तन के नाम बोल तो रहे हैं,लेकिन परिवर्तन सिर्फ सत्ता का ही होगा या सामाजिक व्यवस्था में कुछ परिवर्तन होगा?वैसे कहीं कोई गुंजाईश या कमी हमने नहीं छोड़ी।