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“प्रेरणा” श्रीमती कल्पना शिवदयाल कुर्रे “कल्पना” साहित्यकार बेमेतरा(छ.ग.)

साहित्यकार परिचय
श्रीमती कल्पना कुर्रे  
माता /पिता – श्रीमती गीता घृतलहरे, श्री हेमचंद घृतलहरे 
पति – श्री शिवदयाल कुर्रे
संतत–्‍  पुत्र – 1. अभिनव 2. रिषभ
जन्मतिथि – 19 जून 1988
शिक्षा-
प्रकाशन-

पेशा – गृहणी

पता – ग्राम – कातलबोड़़
पोस्ट – देवरबीजा,
तहसील – साजा,
जिला – बेमेतरा (छ.ग.)
संपर्क- मो. – 8966810173

“प्रेरणा”
तनु आज बहुत खुश है क्योंकि आज उसने अपने घर में पार्लर रूम और सिलाई, कढ़ाई मशीन की पूजा रखवाई है उसने पूरे गांव को नेवता दिया है उसमें आधे से अधिक परिवार उसके घर आए हैं।तनु ने सारी व्यवस्थाएं अच्छे से की है खाने पीने का विशेष ध्यान रखा है परिवार के साथ-साथ तनु की सहेलियां भी उसके खुशियों में शामिल हुए हैं शाम तक पूजा का कार्यक्रम अच्छे से संपन्न हो गया रात को सभी खाना खाकर अपने-अपने घर चले गए दिन भर काम और भागा दौड़ी से तनु थक गई थी ।

पर उसके चेहरे में एक अजीब सी चमक थी और उसकी खुशी उसके आंखों से झलक रही थी सबके जाने के बाद तनु आराम से अपने घर के आंगन में एक कुर्सी पर बैठ गई और अपने अंतर्मन में खो सी गई और उस अंधेरे गलियारे को सोचने लगी जहां उसने अपनी जिंदगी के कठिन दिन बिताए थे।कुछ ही साल पहले की बात थी जब तनु नई नवेली दुल्हन बन के अपने ससुराल में कदम रखा था नई बहू ने अपनी पहली रसोई में खीर बनाई थी जो की सभी को बहुत पसंद आया था तनु अपने पति के साथ बहुत खुश थी खुश भी क्यों ना हो नई-नई शादी और सास ननंद सभी तनु से बहुत प्यार करते थे पर यह खुशी हमेशा के लिए नहीं थी ।

तनु जल्दी मां बन गई दो बच्चों की मां , 18 साल की तनु ,दो बच्चे और परिवार की देखभाल और बच्चों का देख-रेख करने में उसे अपने लिए समय नहीं मिलता था बच्चे अभी बहुत छोटे थे उनकी बार-बार तबीयत खराब हो जाती उसके इलाज के लिए घर में कोई पैसे भी नहीं देते थे क्योंकि तनु का पति कामचोर था वह काम नहीं करता था बच्चों का ख्याल भी नहीं था उसे,दिन भर ताश के पत्ते और शराब ही उसकी दिनचर्या थी दिन भर इधर-उधर घूमते रहता शाम को, तो किसी दिन रात में घर आता था तनु बोलती बच्चों के लिए दवाई लाए हो क्या तो भड़क उठता, कहां से दवाई लाऊं कोई जरूरत भी नहीं है दवाई की धीरे से ठीक हो जाएंगे दोनों कहकर बात को टाल जाता।

तनु बहुत परेशान हो गई थी उसने बच्चों के इलाज के लिए अपने गहने गिरवी रखवा दिए धीरे-धीरे तनु के सारे गहने बिक गए जो भी गहने मायके से आए थे उसे गिरवी रखा था वह भी डुब गये तनु अपने पति से नाराज रहने लगे दोनों में मनमुटाव बढ़ गया तनु का पति दिनभर घर नहीं आता था क्योंकि घर में तनु उसे काम करने को बोलती तो वह झगड़ा करना शुरू कर देता।तनु बहुत परेशान होकर सोचने लगी क्यों ना मैं ही काम करूं, खेती का काम उसने पहले कभी नहीं किया था ।

 

फिर भी तनु मजबूर होकर खेत जाने लगी बच्चों को ननंद के पास छोड़कर तनु दिन भर के लिए खेत चली जाती थी कभी-कभी अंधेरा हो जाता उसे घर आते आते बच्चे उसे देखकर बहुत रोते ,दिन भर में शाम को बच्चों को देखकर तनु की आंखें भर आती थी फिर भी अपने बच्चों के लिए वह लगातार काम करती रही मिले पैसों से वह अपनी जरूर की चीजे राशन और बच्चों की दवाई लेती थी वह सोचती थी कि कितनी भी मेहनत करो उतना पैसा नहीं मिलता जितनी उसकी आवश्यकता थी चाहे कितना भी काम करूं पैसा कम ही पड़ जाता है इसलिए तनु ने सोचा मैं कुछ पैसा कर्ज लेकर एक सिलाई मशीन खरीद लेती हूं ।

दिन भर खेत जाऊंगी और रात में सिलाई करूंगी तनु ने वैसा ही किया सिलाई मशीन खरीदने के बाद तनु बहुत व्यस्त रहने लगी क्योंकि उसे सिलाई अच्छे से सीखना पड़ा उसे सोने खाने का वक्त नहीं मिलता सिलाई और खेत का काम ऊपर से बच्चों को संभालना पड़ता था इसलिए तनु ज्यादातर अपनी सिलाई में ध्यान देने लगी है तनु दूसरों के फटे पुराने कपड़ें 10 ,20 रुपए में सिलकर अपने खर्च चलाने लगी। फिर तनु ने कढ़ाई मशीन भी खरीद ली ,दोनों मशीने अच्छे से चलने लगी तनु की मेहनत और सच्ची लगन देखकर उसका पति भी सुधरने लगा तनु की मदद के लिए उसका पति भी थोड़ा बहुत काम करना शुरू कर दिया।

 

फिर तनु ने अपनी सहेलियों की सलाह से पार्लर सीखना शुरू किया उसने दो डेढ़ साल तक पार्लर का कोर्स किया कोर्स पूरा होने के बाद तनु ने अपना खुद का पार्लर खोल लिया पार्लर चल पड़ा उसका पति भी दुकान लगा कर बैठ गया समय बितता गया बच्चे बड़े होने लगे हैं दोनों ने नई सिलाई और कढ़ाई की मशीन खरीद ली अब पार्लर और मशीन तनु संभालती थी और दुकान तनु का पति और बच्चे देखते थे ।अब तनु खेत नहीं जाती थी उसे अपने पार्लर और मशीनों से फुर्सत ही नहीं मिलता इसी में उसकी अच्छी कमाई हो जाती थी पति बाहर का काम भी कर लेता था दोनों को अच्छा मुनाफा हो जाता था।

तभी दोनों ने अपने नए पार्लर रूम और मशीनों की पूजा रखवाई थी । तभी उसके बच्चों ने तनु को आवाज़ लगाई तनु जो अपनी जिंदगी के गहरे सागर में डूबी थी अचानक से चौंक गई वह अपने अंतर आत्मा में बसे उस भयानक जिंदगी से बाहर आ गई ,उस आंगन में बैठकर तनु ने अपनी पुरानी जिंदगी का पूरा आईना देख डाला।

 

आज तनु जो भी है उसमें उसकी अपनी पूरी लगन और मेहनत है उसने कभी हार नहीं माना वह आत्मनिर्भर बनी अपने पैरों पर खड़ी हुई आज वह कितनी ही महिलाओं की “प्रेरणा” है उसकी जिंदगी में जो भी खुशियां है अपने दम पर है।इसी तरह हर औरत भी अपनी जिंदगी में आत्मनिर्भर बने और अपने आप को बेबस ना महसूस कर एक आत्मनिर्भर महिला बनने की कोशिश करें इसके लिए तनु सभी को प्रेरणा देती है और उसकी मदद करती हैं।

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