”प्रतिभा” सबको झुका देती है” श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)
”प्रतिभा” सबको झुका देती है”
कला संगीत जगत जो आपकी जीने की लालसा जगाती है, तो साहित्य आपके अच्छे पथ पर प्रशस्त होने का अच्छे जीवन जीने का शुभ संदेश। बाकी द्वेश,क्लेश,विद्वेश के लिए तो बात राजनीतिक मंच ही नहीं अब तो सामाजिक मंच भी बेहतर मंच साबित हो रहे हैं। किस कदर एक साथ कुर्सी में बैठ कर चाय पीने वाले एक दूसरे के लिए दुर्भावनापूर्ण कलुषित सोच रखते हुए समय आने पर देख लेने का विचार मस्तिष्क में मथ रहा होता है,यह किसी को नजर नहीं आएगा, लेकिन बहुत जल्द होने वाली लडाई में जब अलग-थलग पडते हैं तब लोगों को आश्चर्य होता है कि वे तो भाई-भाई जैसे चलते थे।
ऐसे कैसे हो गया? आम लोगों के लिए आश्चर्य जरूर लगे पर जो जुड़े हैं,उनके लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है। किसी पत्रकार, कलमकार के लिए तो और भी आश्चर्य की बात नहीं वे तो इनकी थोथी मित्रता के गवाही जो होते है,लेकिन इन्हें भी पार्टी नहीं बनना है। इस प्रकार का क्लेश,इस प्रकार की भावनाएं साहित्य कला संगीत में नही दिखायी देती। हालांकि राजनीतिक सर्पोटिंग के चलते पीडित इस जगत के लोग भी होते हैं,लेकिन इस बात को ये विषय कभी नहीं बनाते।
ऐसा धैर्य दूसरे क्षेत्र में दिखायी नहीं देता। क्या कारण है कि एक गरीब प्रतिभा को सिर आंखों पर लिया जाता है, पैसे वाले भी उनके चरणों में सिर झुकाते हैं, यह उनकी प्रतिभा के चलते ही है,वरना धन संपदा वालों के नाम देखते कोई प्रतिभा सिर नहीं झुकाते। यही चाहे कला संगीत हो या साहित्य लेखन कला की प्रतिभा जो हर किसी को झुकाने बाध्य करती है। किसी का धन संपदा,वैभवशाली होना यह उनकी बात,उन्हें सलाम! इस जगत में इसका कोई रोल नही है,आपको तौलना तौलाना है तो आप सत्ता के मंच पर जा सकते हैं,जहां आपका स्वागत होगा।
किसी लेखक,लेखिका के विचारोत्तेजक आलेख रचनाएं किसी के लिए टार्गेट नहीं होते। यह तो कलम है,जो सबसे परे चलती जाती है। साहित्य प्रतिभा के लिए कलम और कला संगीत प्रतिभा के लिए संगीत उनका साथी है। दोनों प्रतिभाओं को यह मत पूछिए कि आप कैसे गायन और लेखन कर लेते हैं,यह तो ईश्वर प्रदत्त है… बस… आपको यदि स्नेह रखते हैं तो बात कीजिए वरना चाटूकारिता हमारी फितरत में हमारे जगत में नहीं है।