काव्य

तुम प्रतिपल हो माँ श्रीमती आशा अतुल गुप्ता,साहित्यकार नौगांव छत्तरपुर मध्यप्रदेश

तुम
प्रतिपल हो….
जीवन के हर सुख
दुख में ,अनुभव में
हर आनन्द,उमंग मे

तुम प्रतिपल हो……।।
तुम
से ही अस्तित्व मेरा
तुम ने ही रचा मुझे
अपने खून से
गढ़ा मुझे

तुम प्रतिपल हो……..।।
. . तेरा
ही अक्स हूँ
तेरा ही रूप हूँ
तू ही आकार
तू ही साकार
मुझमें।

तुम प्रतिपल हो……।.।
यादों में
ख्वाबों में जीवन की
रातों में,उजाला बन
जीवन की राहों मेंं
ऊंगली थाम चलती हो।

तुम प्रतिपल हो…..।।
पतझड़ मे
सावन बन,
धूप में
ममता का साया बन,
आँचल सी
लहराती हो।

तुम प्रतिपल हो।…..।।
हवाओं में खुशबू सी
मुझमें ही
समाहित हो
एक अनछुआ
एहसास
जगाती हो

तुम प्रतिपल हो… ….।।
मेरे ही आस-पास
होने का एहसास
दिलाती हो
हाँ माँ*ये तुम ही हो
तुम ही प्रतिपल हो
रहती मेरे अंदर…….

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