-पति पत्नी दोस्त की तरह होना चाहिए पर…….
(मनोज जायसवाल)
कहना होता है कि पति पत्नी को जीवन में एक अच्छे दोस्त की तरह होना चाहिए। लेकिन यदि लोगों के कहे इस बात को लिया जाये, लेकिन समाज में ऐसा कम ही देखने मिल रहा है। होगा क्यों? एक दुसरे की जो तारीफ करना होता है, वह तो होता नहीं है।
पत्नियां भी नहीं निभा पा रही
ऐसा नहीं है कि इस मामले में सिर्फ पति का अहम और स्वयं वह व्यवहार कर पाने की कमी के चलते दोषी है, वरन पत्नियां भी तो नहीं निभा पाती। रोजमर्रा में घरेलु गृहणियों में तो इस बात की परिल्पना ही नहीं कीजिए। हां सोशल में सिर्फ पति पत्नी ही रिश्ते नहीं अपितु यहां तो हर रिश्तों में प्यार उमडते देखा जा सकता है।जो जमीनी धरातल में नहीं होता।
अगर धरातल में परिवार में सोशल पोस्ट जैसा व्यवहार अपनाए जाने लगे तो परिवार में टूट दृेश विदृेश दूर सांस्कारिकता से भर जायेगी। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पति पत्नी एक दोस्त की भांति होना आज की रोजमर्रा में बिल्कुल मृतप्राय हो चुकी है। अपितु आज भी महानगरीय जीवनचर्या में ऐसे कई जोडियां है, जो समाज में मिसाल बनी है।
सीख देते यह दम्पत्ति
‘लिम्का बुक आफ रिकार्ड’ में अपना नाम दर्ज कराने वाले अपने ही छत्तीसगढ के राजनांदगांव निवासी जोडे का परिचय बताने की जरूरत नहीं है, जो एक समान ड्रेस में देश के हर कोने में अपनी पहचान बनायी है। अगर यहां हम बात टीवी सीरियलों की करें जिसके अमुमन दर्शक महिलाएं होती है। सीरियलों में पुरूष दर्शक बनिस्बत कम होते हैं। अब उन सीरियलों में क्या क्या दिखाये जाते हैं। कि अगर सही में अच्छाई दिखाया जाती है, तो निश्चित ही पति पत्नी एक दोस्त की भांति जीवनचर्या में होना चाहिए। कहते हैं- प्रेम प्रेम सब कोई कहे प्रेम न जाने कोय। जो प्रेम को जानत है वो प्रेमी क्यों होय।
नीले पर्दे की अच्छाई स्वीकार्य नहीं
बावजूद इसके क्या कोई अपने को ढाल पाता है। कथानक में अच्छाई अपनाने की बात है, ना कि उस सीरियल के पात्र जैसा आपका व्यवहार हो। इलेक्ट्रानिक नीले पर्दे ही क्यों आज हर नगरों में बड़े-बड़े अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक कथाओं के माध्यम प्रेम को समझाने का प्रयास करते हैं। दाम्पत्य जीवन में प्रगाढ़ता के लिए प्रेम को तवज्जो देते अपनी कथा बताते हैं,जहां लाखों की भीड़ पंडालों पर होती है,लेकिन दुखद पहलू कि दैनिक जीवनचर्या में उसी रोजमर्रा में लोग आकर उसे भूल जाते हैं।
‘तलाक’ के मामले सबूत
‘वैवाहिक जीवन’ के प्रथम पायदान में ही तलाक होने लगे हैं। प्रत्येक समाज में तलाक के बढ़ते मामले चिंताजनक है। युगल पाणिग्रहण संस्कार में सात फेरों के वचन ले रहे होते हैं,जिनके नाम की हल्दी,मेंहदी लगायी जाती है, ऐसा क्या हो जाता है कि उस हल्दी मेंहदी और सात फेरे का कद्र न करते हुए महज दो दिनों में ही समाज में संबंध विच्छेद के लिए आवेदन लग जाता है। तलाक के बढ़ते मामले इस बात के सबूत हैं,कि युगल के बीच प्रेम नहीं है।आज की पीढ़ी के बीच उन परंपराओं के आध्यात्मिक विधान के प्रति कोई चिंता फिक्र नही है,उन्हें तो समाज के संबंध विच्छेद के निर्णय पर खुशी है। लेकिन परंपराओं के बीच वैवाहिक गठबंधन में अग्निदेव को साक्षी मान कर लिए फेरे और उसे ठुकराने का क्या दुष्परिणाम उन्हें भोगना भी पड़ सकता है,इस पर कोई गंभीर नहीं है।