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डॉ. विजय पंजवानी की कृति “दो मिनट का मौन” एवं एक नेत्र चिकित्सक के संस्मरण का हुआ विमोचन

(मनोज जायसवाल)
-कृतियों में है जिंदगी की खोई हुई लय-जया जादवानी
धमतरी(सशक्त हस्ताक्षर)। धमतरी जिला हिन्दी साहित्य समिति द्वारा आयोजित गरिमामय कार्यक्रम में शहर के प्रतिष्ठित नेत्र विशेषज्ञ डॉ. विजय पंजवानी की प्रकाशित कृति “दो मिनट का मौन”( काव्य संग्रह) एवं एक नेत्र चिकित्सक के संस्मरण (संस्मरण पर आधारित कृति) का विमोचन समारोह महालक्ष्मी ग्रीन्स हाउस राधा कृष्ण भवन में संपन्न हुआ।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कहानीकार एवं बहुमत के संपादक विनोद मिश्र (भिलाई), हास्य व्यंग्य के सुप्रसिद्ध कवि एवं हिन्दी साहित्य समिति के संरक्षक सुरजीत नवदीप की अध्यक्षता, दीपक लखोटिया प्रधान संपादक प्रखर समाचार धमतरी, प्रमुख वक्ता के रूप में देश की प्रतिष्ठित कहानीकार सुश्री जया जादवानी, सतीश जायसवाल बिलासपुर, डॉक्टर दिनेश मिश्रा नेत्र विशेषज्ञ रायपुर, विजय सिंह कवि एवं सूत्र के संपादक जगदलपुर, डॉक्टर वंदना पंजवानी नेत्र विशेषज्ञ मुंबई डुमन लाल ध्रुव अध्यक्ष जिला हिन्दी साहित्य समिति थे।

संग्रह का हुआ विमोचन
इस अवसर पर आमंत्रित अतिथियों का स्वागत प्रिया पंजवानी, नरेश पंजवानी, सुनीता पंजवानी, मंयक-जीना पंजवानी, अनिता सुशील बड़वानी, शारदा बड़वानी, प्रताप पंजवानी ने शाल, श्रीफल एवं पुष्प गुच्छ भेंटकर सम्मान किया। मंच में उपस्थित अतिथियों द्वारा डॉक्टर विजय पंजवानी की कृति दो मिनिट का मौन एवं एक नेत्र चिकित्सक के संस्मरण का विमोचन किया गया।

अजय मंडावी का सम्मान
तत्पश्चात कार्यक्रम में उपस्थित पद्मश्री सम्मान से सम्मानित काष्ठ शिल्पकार अजय मंडावी का जिला हिन्दी साहित्य समिति द्वारा पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मान किया गया। इस अवसर पर स्वागत उद्बोधन धमतरी जिला हिन्दी साहित्य समिति के अध्यक्ष डुमन लाल ध्रुव ने कहा-जीवन की अनुभूतियों को संवेदना के स्पर्श से काव्य के रूप में अभिव्यक्त करना कवि की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। कवि और कविता दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और इनका आपस में गहरा तदाम्य भी है।

 

लेखक ने अपनी कृति का किया वाचन
डॉ विजय पंजवानी की विमोचित कृति दो मिनिट का मौन और एक नेत्र चिकित्सक के संस्मरण मंगल कामना से सृजित हुआ है जो रचना की सार्थकता को बढ़ाती है। विमोचन पश्चात डॉ. विजय पंजवानी ने अपनी प्रतिनिधि रचना और एक संस्मरणात्मक लेख का पठन किया।

हैरत की बात–सुश्री जया जादवानी
कहानीकार सुश्री जया जादवानी ने कहा-डॉ. विजय पंजवानी दो मिनिट का मौन की कविताओं पर मेरे लिए ही नहीं अधिकतर सुनने वालों के लिए ये हैरत की बात है कि एक सिंधी कविता या कहानी लिखे? जब मैंने लिखना शुरू किया था तो मेरे घर वाले पूछते थे इससे क्या मिलेगा? वे उस वक्त नहीं बता पाई, इससे जिंदगी मिलेगी, जिंदगी की खोई हुई लय मिलेगी तो हम हर चीज को कुछ मिलने के हिसाब से सोचते हैं। अगर हम कह दें कि लिखते समय हम खुद से मिल लेते हैं तो कोई विश्वास नहीं करेगा।

वे हंसेंगे हमारी मूर्खता पर। हमारे यहां ऐसा कोई माहौल ही नहीं है, घरों में, न हम बनने देते हैं, कुछ अपवादों को छोड़कर। तो यह संग्रह देखकर मुझे जितनी खुशी हुई उससे ज्यादा यह संग्रह पढ़कर मेरी उम्मीद से अच्छी कविताएं हैं। दरअसल, पड़ोसी और मेरा घर, सटे- सटे हैं, फर्क सिर्फ इतना है, कि मेरे घर में कैक्टस के गमले हैं, और उसके घर के गमलों में बोनसाई है, बार-बार मन करता है, कि मैं ही पहल करूं, पर आगे जाते-जाते, नहीं जा पाता, बोनसाई सा रह जाता हूं।

साथ मिल चलेंगे तो राह बनेंगे–सतीश जायसवाल
सतीश जायसवाल ने कहा -डॉ.विजय पंजवानी ने जिस परिवेश में साहित्य की रचना की, समझने की कोशिश के साथ डायरी में समेटते गये,लिखते गये। धमतरी के रचनाकारों की संभावनाओं को उभारने व तरासने की आवश्यकता है। साथ मिलकर चलेंगे तो राह निकलेंगे। यह श्रेष्ठ समाज का ही प्रतिफल है।

संजीदगी से लेखन–डॉ. दिनेश मिश्र
डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा -डॉ. विजय पंजवानी जी ने सभी संघर्ष को संजीदगी से लिखा है। अपने माता-पिता,देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल, हरिशंकर परसाई के साथ बिताए हुए कुछ पल, चिकित्सकों के जीवन पर आधारित चुनौती, मरीजों के साथ बिताए क्षण को सरल शब्दों में समाहित किया गया है ।

विजय सिंह -हिन्दी साहित्य जगत में बहुतेरे कवि हैं। ऐसे समय में अच्छी रचना की आवश्यकता है। विजय पंजवानी की कविता में नई दृष्टि है, संभावना है, दूरदर्शिता है जो लेखक- कवि में नहीं होना चाहिए। कविताओं में आसपास के जीवन, उनका परिवेश, जीवन की जीती-जागती अनेक स्मृतियां हैं, अपनापन है जो पाठकों के पास ले जाती है।

धमतरी में रहना पसंद–डॉ. वंदना पंजवानी
डॉ. वंदना पंजवानी मुंबई ने कहा-स्वर्ग सा सुखद आफर मिले तब भी मैं धमतरी में रहना चाहूंगी। शैक्षिक, कलात्मक जीवन की हकीकत को उकेरे हैं जो तारीफ ए काबिल है। मेरा स्वभाव पापा डॉ. विजय पंजवानी की तरह सरल स्वभाव रहे, उनके जैसे एक सफल डॉक्टर बनूं। आपका और परिवार का सदैव आशीर्वाद मिले।

सृजन का अंकुर जन्म देती है– दीपक लखोटिया
प्रखर समाचार के प्रधान संपादक दीपक लखोटिया ने कहा -डॉ. विजय पंजवानी में विनम्रता, प्रेमभाव, सहजपन, अपनापन है। कविताएं छोटी जरूर पर गंभीर भाव छुपा हुआ है। सृजन का अंकुर नई विचारों को जन्म देती है। यशस्वी कवि नारायण लाल परमार, त्रिभुवन पांडे, सुरजीत नवदीप के बाद विशुद्ध रूप से शहर में बड़ा साहित्यिक आयोजन करने का श्रेय जिला हिन्दी साहित्य समिति के अध्यक्ष डुमन लाल ध्रुव को जाता है। इस तरह साहित्यिक गतिविधियों की सक्रियता बनी हुई है।

ये घर तेरा ना मेरा – सुरजीत नवदीप
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुरजीत नवदीप ने कहा विजय पंजवानी नाम बढ़िया है जो कभी हारा नहीं है। काम भी बढ़िया कर रहे हैं। यह शरीर भी पांच तत्वों से बना है ये घर तेरा है, न मेरा है, यह तो रैन बसेरा है, बूढ़े लोग चले गए यहां आसपास सांपों का डेरा है।

बडबोलेपन का शिकार– विनोद मिश्र
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं बहुमत के संपादक विनोद मिश्र ने कहा कि हिन्दी का भौतिक समाज बड़बोलेपन का शिकार है। दावे अपने-अपने ज्ञानी के सुरंग शब्द लिखा है जो उनकी सादगी, सरलता को दर्शाता है। दुस्साहस के साथ उन्होंने विनम्र भाव से लिखा है हिन्दी जगत में दुर्लभ है। मनुष्य, समाज के पीछे खड़ा होकर अपनी भाव अर्पित किया है। आगे उन्होंने साहित्यकार चंद्रधर शर्मा गुलेरी की पंक्तियों को रेखांकित करते हुए कहा कि फूल पत्तों की बात करें, फूल पत्तों की बात सुने। डॉ. विजय पंजवानी अपने अनुभव तजुर्बा को साहित्य के माध्यम से समाज में वापस लौट रहे हैं।

विमोचन कार्यक्रम के अवसर पर पिताजी सन्मुख दास पंजवानी ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन डॉक्टर सरिता दोशी ने किया वही अतिथियों एवं आत्मीय परिजनों के द्वारा द्वारा दिए गए बहुमूल्य समय के लिए आभार प्रदर्शन संरक्षक गोपाल शर्मा ने किया।

ये थे उपस्थित
पुस्तक विमोचन समारोह में मुख्य रूप से हीरा पंजवानी, नरेश पंजवानी, सुमिता पंजवानी, मदन मोहन खंडेलवाल, प्रोफेसर सुरेश देशमुख, अशोक खंडेलवाल, डॉ. जे. एस. खालसा, श्रीमती कामिनी कौशिक, श्रीमती पुष्पलता इंगोले, श्रीमती आरती कौशिक, डॉ.श्रीदेवी चौबे, डॉ. चंद्रशेखर चौबे, चंद्रशेखर शर्मा, दीप शर्मा, दीपचंद भारती, राजेंद्र सिन्हा, कुलदीप सिन्हा, आकाशगिरी गोस्वामी, हीरालाल साहू, मन्नम राना, प्रशांत कानस्कर, सहदेव देशमुख, महादेव टोप्पो (झारखंड), डॉक्टर शैल चंद्रा, श्रीमती कविता ध्रुव, श्रीमती संध्या सुभाष मानिकपुरी, श्रीमती शिल्पा मानिकपुरी, श्रीमती सीमा नेताम, सुश्री खुशबू नेताम, सुष्मिता अखिलेश, सुश्री राखी कोर्राम, लक्ष्मण हिंदुजा, वीरेंद्र सरल, मनोज जायसवाल, आत्माराम साहू, लोकेश साहू, रामकुमार विश्वकर्मा, सुरेश साहू, भोलाराम सिन्हा, अशोक पटेल, श्रीमती अनीता गौर, पार्वती वाधवानी एवं नगर के प्रतिष्ठित गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

 

 

 

 

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