कविता काव्य देश

”राम लला का गीत” श्री जयप्रकाश सूर्यवंशी ‘किरण’ वरिष्ठ साहित्यकार‚ बैतुल(म.प्र.)

साहित्यकार परिचय 
श्री जयप्रकाश सूर्यवंशी ‘किरण’

जन्म-  25 जनवरी 1949 भयावाडी,बैतुल(म.प्र.)

माता,पिता- श्री बाबूलाल जी सूर्यवंशी, श्रीमती देवकी बाई सूर्यवंशी पत्नी-श्रीमती शारदा सूर्यवंशी

प्रकाशन –किरण की यादें(काव्य संग्रह)किरण की संवेदना(लघुकथा संग्रह)जीवन का संघ्(आत्मकथा)बिखरे मोती (अनमोल वचन-संकलन)योग विधा पर-योग दर्शन। (साझा संकलन)- आठ साझा संकलनों में रचनाओ का प्रकाशन।

सम्मान-करीबन 25 सम्मान प्राप्त।पत्र पत्रिकाओं में नियमित रचनाएं प्रकाशित
साहित्य, समाज, योग में अभिरुचि। प्रचार प्रसार समाज सेवा। योग संचालन

सम्प्रति-भारतीय रेल सेवा से निवृत्त वरिष्ठ साहित्यकार।

सम्पर्क-साकेत नगर 107 पोस्ट भगवान नगर महाराष्ट्र 440027 मोबाइल क्र.9423126211

 

 

”राम लला का गीत”
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श्री राम तेरा सहारा, ईश्वर तेरा ही सहारा ।
जब तक रहूं जहां में, नाम लेता रहूं तुम्हारा।
जब आया था, यहां पर, कोई था नहीं सहारा।
आकर हमें बताया, तेरा नाम प्यारा प्यारा।

तू ही जग का मालिक, तूही सबका सहारा!
कोई नहीं है यहां पर , तेरे सिवा हमारा।
आकाश हो या पाताल,सारे जहां में तू है।
तेरा ही नाम लेकर रहता है जग सारा।
राम तेरा ही सहारा,राम——–

तू ही दुःख हरता है तूही सुख कर्ता है
संकट में जब घड़ी हो , सभी ने तुम्हें पुकारा।
तुम राम नाम रट लो, करते रहो ओंकारा ।
किसी का नाम भज लो वहीं एक आधारा।
राम तेरा ही सहारा,राम——–

तू कर्म किये जा, हमेशा, रहे जब तक शरीर तुम्हारा।
,,किरण,,कह रहा भज लो नाम प्यारा।
राम लला के चरणों में,बीत जाय समय तुम्हारा।
जोभी गया हो शरण में, मिला उसे सहारा।
राम तेरा ही सहारा,राम——–

 

 

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