कविता काव्य

”होली है” श्रीमती रानी शर्मा साहित्यकार समाजसेवी कांकेर छ.ग.

”होली है”

डाल-डाल फूले पलाश।
पीत रंग रंगे धरती,आया मधुमास।

आम्रकुंज कोयल कूके।
कलियन कलियन भौंरा करे गुंजार।

महुआ की मादकता बहकाये तन मन
किंशुकी दहकाये वन,याद आये साजन।

आया प्यार भरा होली का त्योहार।
लाया खुशियों का बौछार।

कर होलिका दहन, अवगुण करें राख
बाजे ढोल नगाड़े,सब मिल गायें फाग।

अब की होली पिय तुम आना।
संग प्रीत की अबीर लाना।

मन में न रहे कोई मलाल।
हर चेहरे पर मलें गुलाल।

आया प्यार भरा होली का त्योहार।
लाया खुशियों की बौछार।

 

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