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भारतीय उद्याोग जगत के महानायक, महान मानवतावादी और परोपकारी: रतन टाटा डॉ. रामायण प्रसाद टण्डन वरिष्ठ साहित्यकार कांकेर छ.ग.

साहित्यकार परिचय-

डॉ. रामायण प्रसाद टण्डन

जन्म तिथि-09 दिसंबर 1965 नवापारा जिला-बिलासपुर (म0प्र0) वर्तमान जिला-कोरबा (छ.ग.)

शिक्षा-एम.ए.एम.फिल.पी-एच.डी.(हिन्दी)

माता/पितास्व. श्री बाबूलाल टण्डन-श्रीमती सुहावन टण्डन

प्रकाशन –  हिन्दी साहित्य को समर्पित डॉ.रामायण प्रसाद टण्डन जी भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में हिन्दी के स्तंभ कहे जाते हैं। हिन्दी की जितनी सेवा उन्होंने शिक्षक के रूप में की उतनी ही सेवा एक लेखक, कवि और एक शोधकर्ता के रूप में भी उनकी लिखी पुस्तकों में-1. संत गुरू घासीदास की सतवाणी 2. भारतीय समाज में अंधविश्वास और नारी उत्पीड़न 3. समकालीन उपन्यासों में व्यक्त नारी यातना 4. समता की चाह: नारी और दलित साहित्य 5. दलित साहित्य समकालीन विमर्श 6. कथा-रस 7. दलित साहित्य समकालीन विमर्श का समीक्षात्मक विवेचन 8. हिन्दी साहित्य के इतिहास का अनुसंधान परक अध्ययन 9. भारतभूमि में सतनाम आंदोलन की प्रासंगिकता: तब भी और अब भी (सतक्रांति के पुरोधा गुरू घासीदास जी एवं गुरू बालकदास जी) 10. भारतीय साहित्य: एक शोधात्मक अध्ययन 11. राजा गुरू बालकदास जी (खण्ड काव्य) प्रमुख हैं। 12. सहोद्रा माता (खण्ड काव्य) और 13. गुरू अमरदास (खण्ड काव्य)14. गुरूघासीदास साहेब (महाकाव्य) प्रकाशनाधीन हैं। इसके अलावा देश के उच्च स्तरीय प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी सेमिनार में अब तक कुल 257 शोधात्मक लेख, आलेख, समीक्षा, चिंतन, विविधा तथा 60 से भी अधिक शोध पत्र प्रकाशित हैं। आप महाविद्यालय वार्षिक पत्रिका ‘‘उन्मेष’’ के संपादक एवं ‘‘सतनाम संदेश’’ मासिक पत्रिका के सह-संपादक भी हैं। मथुरा  उत्तर  प्रदेश से प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘‘डिप्रेस्ड एक्सप्रेस’’ राष्ट्रीय स्तरीय पत्रिका हिन्दी मासिक के संरक्षक तथा ‘‘बहुजन संगठन बुलेटिन’’ हिन्दी मासिक पत्रिका के सह-संपादक तथा ‘‘सत्यदीप ‘आभा’ मासिक हिन्दी पत्रिका के सह-संपादक, साथ ही 10 दिसम्बर 2000 से निरंतर संगत साहित्य परिषद एवं पाठक मंच कांकेर छ.ग और अप्रैल 1996 से निरंतर जिला अध्यक्ष-पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजनपीठ कांकेर छ.ग. और साथ ही 27 मार्च 2008 से भारतीय दलित साहित्य अकादमी कांकेर जिला-उत्तर बस्तर कांकेर छ.ग. और अभी वर्तमान में ‘‘इंडियन सतनामी समाज ऑर्गनाईजेशन’’ (अधिकारी/कर्मचारी प्रकोष्ठ) के प्रदेश उपाध्यक्ष.के रूप में निरंतर कार्यरत भी हैं।

पुरस्कार/सम्मान – 1-American biographical Institute for prestigious fite *Man of the year award 2004*research board of advisors (member since 2005 certificate received)

2. मानव कल्याण सेवा सम्मान 2005 भारतीय दलित साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ 3. बहुजन संगठक अवार्ड 2008 भारतीय दलित साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ 4. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी  स्मृति प्रोत्साहन पुरस्कार 2007(बख्शी जयंती समारोह में महामहिम राज्यपाल श्री ई.एस.एल. नरसिंम्हन जी के कर कमलों से सम्मानित। इनके अलावा लगभग दो दर्जन से भी अधिक संस्थाओं द्वारा आप सम्मानित हो चुके हैं।) उल्लेखनीय बातें यह है कि आप विदेश यात्रा भी कर चुके हैं जिसमें 11वां विश्व हिन्दी सम्मेलन मॉरीसस 16 से 18 अगस्त 2018 को बस्तर संभाग के छत्तीसगढ़ भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेकर प्रशस्ति-पत्र प्रतीक चिन्ह आदि से सम्मानित हुए हैं।

सम्प्रति – प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, शोध-निर्देशक (हिन्दी) शासकीय इन्दरू केंवट कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांकेर, जिला-  कांकेर (छत्तीसगढ़) में अध्यापनरत हैं। तथा वर्तमान में शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर जगदलपुर छत्तीसगढ़ की ओर से हिन्दी अध्ययन मण्डल के ‘‘अध्यक्ष’’ के रूप में मनोनित होकर निरंतर कार्यरत भी हैं।

सम्पर्क मकान नं.90, आदर्श नगर कांकेर, जिला-  कांकेर, छत्तीसगढ़ पिन-494-334 चलभाष-9424289312/8319332002

भारतीय उद्याोग जगत के महानायक, महान मानवतावादी और परोपकारी: रतन टाटा

भारतीय उद्योग जगत के आदर्श और टाटा समूह के पूर्व चेयरमेन का बुधवार देर रात को निधन हो गया। 86 वर्षीय रतन टाटा का निधन देशभर में शोक की लहर लेकर आया है। उनका नाम भारतीय उद्योग के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। रतन टाटा ने न केवल टाटा समूह को वैश्विक पहचान दिलाई, बल्कि अपनी परोपकारी गतिविधियों से समाज की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। रतन टाटा के निधन से भारतीय उद्योग जगत में एक युग का अंत हो गया है। उनके विचार, उनके आदर्श और उनके द्वारा किए गए कार्य को हमेशा भारतीय उद्योग, समाज में ंिजदा रहेंगे।
रतन टाटा भारत के सबसे प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में से एक थे, जिन्हें न केवल उनके औद्योगिक योगदान के लिए जाना जाता है बल्कि उनकी दयालुता, मानवता और परोपकारिता पूर्ण कार्यो के लिए भी पूरे देश में सम्मनित किया गया।

प्रारंभिक जीवन आौर शिक्षाः-रतन टाटा का जन्म 28 सितंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। वह टाटा परिवार की तीसरी पीढ़ी से हैं। उनकी परिवरिश उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने की थी। उनकी शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल और बाद में इंग्लैण्ड के हार्वे स्कूल से हुई। रतन टाटा ने कार्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्क्चरल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेण्ट प्रोग्राम पूरा किया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी और हमेशा उच्च शिक्षा के महत्व को समझा और इसे बढ़ावा दिया।

 

दूरदर्शी उद्योगपतिः-रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्ीय स्तर पर भी अपने व्यापार का विस्तार करने में सक्षम हुआ। 1991 में जब वह टाटा समूह के चेयरमैन बने, तब उन्होंने उद्योग में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जिसमें से कुछ ऐतिहासिक साबित हुए। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई प्रमुख कंपनियों का अधिग्रहण किया, जैसे कि टाटा स्टील द्वारा कोरस, टाटा मोटर्स द्वारा जगुवार लैंड रोवर, और टाटा चाय द्वारा टेटली का अधिग्रहण। ये अधिगग्रहण न केवल टाटा समूह के विस्तार का हिस्सा थे, बल्कि उन्होंने भारतीय उद्योग को वैश्विक मंच पर स्थापित किया। रतन टाटा ने 2015 में आपकी स्टोरी में व्यक्तिगत निवेश किया। वह भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के प्रमुख निवेशकों में से एक थे और उन्होंने ओला, पेटीएम, कारदेखो और लेंसकार्ट जैसी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदी।

टाटा नैनों-आम आदमी की कारः-रतन टाटा की सबसे बड़ी उपलब्धि में से एक है टाटा नैनों कार, जिसे ‘‘आम आदमी की कार’’ कहा जाता है। उन्होंने इस कार को केवल एक विचार से शुरू किया था-हर भारतीय परिवार को एक किफायती कार उपलब्ध कराना। 2008 में उन्होंने दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनों को बाजार में उतारा, जिसकी कीमत लगभग एक लाख रूपये थी। यह परियोजना रतन टाटा की सोच और उनकी समाज के प्रति सेवा भावना को दर्शाती है।

मनवतावादी और परोपकारी कार्यः-रतन टाटा को उनकी परोपकारी गतिविधियों के विशेष रूप से जाना जाता था। टाटा ट्स्टस के माध्यम से, उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह न केवल देश के बड़े व्यापारिक घराने के मुखिया रहे, बल्कि उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि उनके द्वारा अर्जित संपति का बड़ा हिस्सा समाज की सेवा में लगाया जाये।

शिक्षा में योगदानः-रतन टाटा ने शिक्षा के क्षेत्र मे बड़े पैमाने पर योगदान दिया है। उन्होंने भारत और विदेश में कई शिक्षण संस्थानों को आर्थिक सहायता प्रदान की है। टाटा स्कॉलशिप के माध्यम से, भारतीय छात्रों को अमेरिका और यूरोप के प्रमुख विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने का अवसर मिलता है। उन्होंने अपने अल्मा मेटर कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल को भी बड़ा दान दिया है।

स्वास्थ्य और चिकित्सा में योगदानः-रतन टाटा का मानना था कि स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाएं समाज के हर वर्ग तक पहुंचनी चाहिए। उनके नेतृत्व में, टाटा ट्स्टस ने कैंसर रिसर्च और इलाज के लिए प्रमुख संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल भारत में कैंसर के इलाज का एक प्रमुख केंद्र है और यह टाटा परिवार की दीर्घकालिक परोपकारी दृष्टि का प्रतीक है। इसके अलावा, उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान राहत कार्यो में भी बड़ा योगदान दिया। टाटा ट्स्टस और टाटा समूह ने संयुक्त रूप से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के लिए हजारों करोड़ रूपये दान किए।

सरल जीवन शैलीः-रतन टाटा की सबसे अनोखी विशेषता उनकी विनम्रता है, वह एक बड़े उद्योगपति होने के बावजूद, अपनी सादगी और जमीन से जुड़े होने के लिए जाने जाते थे। वह बेहद शांत और सादगीपूर्ण जीवन जीते थे, जो उनकी परोपकारिता और मानवतावाद को और अधिक प्रभावी बनाता है।
पुरस्कार और सम्मानः-रतन टाटा को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई पुरसकारों और सम्मानों से नवाजा गया है। 2000 में उनहें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया, और 2008 में उन्हें पद्म विभूषण, भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान, प्रदान किया गया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल व्यावसायिक सफलता हासिल की, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी पूरा किया। इसके अलावा, दुनिया भर के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और संगठनों ने उन्हें उनके नेतृत्व और परोपकार के लिए सराहा है।

रतन टाटा न केवल एक सफल उद्याोगपति थे, बल्कि एक सच्चे मानवतावादी भी थे। भारतीय उद्योग को वैश्विक स्तर पर ले जाने का काम किया और साथ ही समाज के कमजोर वर्गो की मदद करने के लिए अपने संसाधनों का सही उपयोग किया। उनकी परोपकारी कार्यो की गूंज न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में सुनाई देती है।

रतन टाटा हमेशा हमारे समाज और उद्योग जगत के लिए आदर्श रहेंगे। रतन टाटा के प्रति हमारा सम्मान, और हम उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलते हुए समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने और निभाने का प्रयास करेंगे। उनकी जीवन गाथा एक सच्ची श्रद्धांजलि है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी रहेगी।

देश के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा जी जो हम सब के चहेते ह,ैं थे और रहेंगे। इस तरह से हमारी ओर से रतन टाटा जी को योरस्टोरी की पूरी टीम की तरफ से भावपूर्ण श्रद्धांजलि………

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