कविता काव्य देश

‘रावण दहन’ श्री कमलेश झा साहित्यकार नगरपारा भागलपुर बिहार

साहित्यकार परिचय :
श्री कमलेश झा
जन्म :  01 मार्च 1978 जन्म स्थान नगरपारा भागलपुर
माता,पिता: श्री कैलाश झा   श्रीमती  महाविद्या देवी
शिक्षा : एम बी ए मार्केटिंग इलेक्ट्रॉनिक ग्रेड्यूएट
प्रकाशन  :नई सोच नई उड़ान काविता माला,पापा एक याद  vol 1 से vol 7 तक  प्रिंसिपल ऑफ मैनजमेंट, और डिसीजन मेकिंग प्रोसेस एंड तकनीक
सम्प्रति : लेखन के कार्य से जुड़ा हुआ, देश के विभिन्न प्रान्तों से प्रकाशित अखवारों में करीब 8 दर्जन काविता का प्रकाशन
संपर्क 9990891378  मेल  Kamleshjha1378@gmail.com

‘रावण दहन’

दहन रावण से अब काम नही चलेगा जलान होगा मन के रावण को आज ।
समाज के इस विकृत मानसिकता को जड़ से ही खत्म करना होगा आज।।

रावण ने तो सीता हरा था उसके पीछे उसका प्रतिशोध ।
यहाँ तो रावण सीता हरता जिसका न कोइ प्रतिशोध।।

दस सिर वाले रावण को अपने ऊपर था अभिमान ।
यहां तो रावण नीच पतित है इसका ना कोई मान।।

मर्यादा देखो उस रावण का वर्षों तक सीता रही पवित्र ।
इस वहसी रावण को देखो रिस्ते भी करते अपवित्र।।

दोष यहाँ है बीजों का उसके तन में ब्रम्हा का खून ।
इस वहसी के खून में देखो न जाने मिले हैं कितने खून।।

पशुता का यह परिभाषा इसके अंदर न आत्म ज्ञान ।
पशुवत रहता आचरण इसका सामाजिकता का न इसको ज्ञान।।

हवस चढ़ा इस वहसी पर हवस के मद में है अंधा ।
ज्ञान शून्य यह मानव बस पशुवत आचरण है करता।।

नरपिशाच बने यह मानुष मानव नाम कलंक है ।
इसकी छाया भी पापी है यह मानव नाम कलंक है।।

दुत्कार मिले इसे समाज से समाज में कोई जगह न हो ।
इसके कुकृत्यों का सजा इसका चौराहे पर अंत हो।।

फिर दुःसाहस न कर पाए पापी इसको मिले ऐसी सजा ।
पाप घड़ा फोड़कर इसका मिले इसे इसके पापों की सजा।।

नारी से बस एक निवेदन मत झेलो इसका अत्याचार ।
इसके पापों का विरोध कर तुम दे दो इसको तत्काल सजा।।

आत्म सम्मान के इस जंग में संग खड़ा तुम्हारा समाज ।
त्रिशूल उठा अब वार करो खड़ा मिलेगा तुम्हारा समाज।।

शक्ति रूप तुम नारी हो तुममे शक्ति है अपार ।
अब इस कलयुगी रावण का संघार करना तुमको खुद ही आप।।।

 

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