”ओडिशा का प्रमुख रोजो पर्व आज” देवमनी माहतो तिलका नगर, सुंदरगढ़( ओडिशा)
(देवमनी माहतो)
रोजो पर्व आस्था और विश्वास का पर्व है। मान्यता है कि इसी दिन धरती माता रजोस्वला होती है। ज्येष्ठ महीना का अंतिम दिन मासांत आषाढ़ का प्रथम दिन संक्राती होता है। इसलिए झारखंड में रोजो पर्व को मासांत पर्व भी कहा जाता है। यह पर्व प्रति वर्ष अंग्रेजी माह के जून महीने में 14-15 तारीख को मनाई जाती है।
किसानो के बीच इस पर्व का खास महत्व है। दो दिन तक कृषक अपने कृषि उपकरणों को व्यवहार में नहीं लाकर उसकी पूजा करते हैं। मासांत और संक्रांती दो दिनो तक धरती पर किसी भी तरह से मिट्टी काटने, हल चलाने पर संपूर्ण रूप से वर्जित होता है।
दो दिन महिलाएं किसी फल को नहीं काटती। बच्चे दिन भर झूला का आनंद लेते है,किशोरी बालिकाएं झूलने के साथ रोजो गीत गाती है। गांव के आसपास जहां भी झूला लगा रहता हैं किशोरी बालिकाएं अपने दल बनाकर वहां पहुंचती है।झूले और गीतो का प्रतिस्पर्धा चलता है जिसमें एक दूसरे दल को परास्त करने का प्रयास करते हैं। इस मौके पर किशोरी बालिकाएं दूसरे दल के गीत का जवाब देने के लिए तुरंत गीत तैयार कर गाती है। जिसे सुनने पर एक अलग ही आनंद का अनुभव होता है। रोजो के बाद किसान खेती-बाड़ी, गोड़ाई,बोआई का काम 15 दिन तक करते है। जिसे बोया हुआ बीज तुरंत अंकुर कर पौधा का रूप लेता है।
इस पर्व को झारखंड उड़ीसा बंगाल में मुख्य तौर से मनाया जाता है जिसमें झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले में इस पर पर्व की चहल पहल अन्य राज्यो की अपेक्षा कुछ ज्यादा देखा जाता है। इस पर्व के दौरान सभी लोग नए कपड़े पहनने का आनंद लेते हैं। घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान, मिठाइयां बनाई जाती है मिठाइयों का आदान-प्रदान पड़ोसी मित्रों व परिवार के लोगों के बीच होता है। इस पर्व में मुख्य तौर पर चावल के आटे और गुड़ से मिठाइयां बनाई जाती है। पश्चिम सिंहभूम जंगल बहुल क्षेत्र होने से जगह-जगह पेडो़ पर झूले बांधे जाते हैं क्या शहर क्या गांव हर जगह त्यौहार के रंग में रंगी होती है।
बच्चों में काफी उत्साह देखा जाता है नए कपड़े ,झूले, मिठाइयां, बच्चों को आनंदित कर देते हैं। झारखंड, उड़ीसा,बंगाल मे जगह जगह पर छऊ नृत्य का आयोजन भी किया जाता है ।झारखंड और बंगाल में कई जगह इस नृत्य की प्रतिस्पर्धा भी की जाती है ।उड़ीसा में किशोरिया सज धज कर रोजो का पारंपरिक गीत गाते हुए झूले का आनंद लेते हैं यहां पर दूरदर्शन पर भी रोजो गीत के प्रतिस्पर्धा व विभिन्न प्रकार के आयोजन देखे जा सकते हैं।
उड़ीसा में कई संगठनो द्वारा रोजो क्विन प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जिसमें विजेता किशोरी को चयनकर्ताओं द्वारा रोजो क्विन पुरस्कार से सम्मानित किया जाता।