
श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)
”सबके मन को भाए ये गजरा”
दक्षिण एशियाई महिलाएं जो अपने बाल के पीछे हिस्से पर फूलों की माला बांधती रही है,जिसे गजरा कहा जाता है। शादी जैसे विशेष उत्सवों पर पारंपरिक पोशाकों के साथ पहने जाना वाला यह चमेली,मोंगरा जैसे महकते फूलों से बनाया जाने वाला गजरा दक्षिणी भारत में मुख्यतः अनिवार्य फैशन के रूप में प्रसिद्व हुआ।
यहां शादी एवं अन्य उत्सवों पर गजरे के बगैर श्रृंगार नहीं होता। अतीत से अभी तक देखें तो फूल भगवान को चढ़ाया जाने वाला एक मुख्य पवित्र वस्तु होता है,जिसमें सुंदरता तो है ही खुशबु भी। स्वच्छ सुंदर खुशबू की तरह कामना लोग महिलाओं से करते हैं। बालों में लगे गजरे न स्वयं को अपितु घर को महका देती है।
धार्मिकता की कड़ी में यदि हम जाएं तो मॉं लक्ष्मी को फुल अति प्यारी है। भारत में महिलाओं को घर की लक्ष्मी कहा जाता है, लक्ष्मी को खुश करने हेतु भी लगाये जाने की परंपरा बनी।
महिलाओं का गजरा लगाना सुख समृद्वि की निशानी मानी जाती है। घर में खुशियों की बरसात होती है। इसके साथ ही जो महिला गजरा लगाती है उसके पास यदि उसका पति जाता है तो वो अपना सारी परेशानियां भूल जाता है।
सुहागन महिलाओं द्वारा गजरे लगाये जाने से कई शुभ कारण है। आम रूप से चमेली,गुलाब, गुलदाउदी,गुडहल के साथ ही दक्षिण भारत और अब छत्तीसगढ में मोंगरा का गजरा लगाया जाता है। गजरे लगाने के कई तरीके होते हैं, बालों के जुडे में गजरा लगे होना सबको भाती है।
चाहे वह हिन्दी फिल्म जगत हो या छत्तीसगढ़ मे माता सेवा जस गीतों में गजरा का वर्णन देखने मिलता है। पिछले कुछ समय से देखा जा रहा है कि न दक्षिण भारत में अपितु छत्तीसगढ़ में भी महिलाएं शादी विवाह जैसे शुभ आयोजनों में अपितु नियमित रूप से प्रयोग करने लगी है।फैंसी परिधान दुकानों में आर्टिफिशियल गजरा भी प्राकृतिक गजरे जैसा अहसास कराता उपलब्ध है। गजरा लगाना सिर्फ फैशन मान कर लगाने का विचार ना करते श्रृगार का मुख्य अंग मानते अपनाया जाना जरूरी है। अभी तक तो लगाने नहीं लगाने के ऊपर निर्भर करता है,लेकिन यह तय है कि आने वाले समय में इसका प्रयोग और भी आम हो जायेगा।