आलेख देश

समाजः ‘हम सवालों के साथ रहेंगे’ मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर छ.ग.

(मनोज जायसवाल)
किसी बड़े वीआईपी नेता,उच्चाधिकारी द्वारा अपने कार,हेलीकॉप्टर में बिठा देने,सभा मंच पर नाम उच्चारण कर देने, फोटो खिंचवा देने, आंचलिक समाचार पत्र की सुर्खियों उपस्थितजनों की कड़ी में नाम छप जाने आदि भर से आपकी महानता तय नहीं हो जाती। तय तभी होंगी जब आप स्वयं की प्रतिभा का परिचय देंगे।

दुनिया दिखावे के नाम किसी उच्चाधिकारी से संबंध बताते जबरदस्ती की हंसी की औकात वो उच्च शिक्षित अधिकारी या नेता यह जरूर आंक लेता है, कि तुम्हारी बौद्धिकता की औकात कितनी है। कहां तक शिक्षित हो! किसी संस्था,बड़े बैनर के नाम ही तुम अपनी पहचान बनाए हो खुद एक ब्रांड हो! चेहरा काफी है जवाब देने। यह भी सनद रहे कि ना सिर्फ तुम्हें अपितु तुम्हारे अपने संस्कार भी तुम्हारे दिखावे की हंसी और बातचीत से तुम्हारे संस्कार भी स्केन कर लिए जाते हैं।

किसी को रिश्ते के नाम, तो किसी को पहचान तो किसी को मीठे संबंध होने की रोलबाजी एक ना एक दिन दूसरों की महानता तुम्हें महान बनाने की छोड़ गर्त में में ढकेल देगी। अपने स्वयं की बौद्धिक  क्षमता है,उस हद में रहे। किसी को ठगने,किसी को ठगे जाने की तुम्हारी थोथी सोच,अपने को चतुर और दूसरों को कमतर समझे जाने की घृणित विचारों का परिणाम एक दिन स्वयं पर आयेगा।

तुम्हारी जितनी जागरूकता दिखावे और शोरगुल में है, उतना जिनके सामने तुम जो थोथी,रोलबाजी दिखावे कर रहे हो, वह सामने वाले के शांत रहने में है। क्योंकि दिखावा अधिकतर वे ही करते हैं,जिनमें कोई टैलेंट नहीं है। बिल्कुल उस सागर की तरह शांत! लेकिन जब ज्वार भाटा आता है,तब उस शांत जल का रौद्र रूप देखने मिलता है।प्रतिभाओं की महानता तो अंधेरों से भी बाहर उजियारा फैलाते हैं।

आज तुम जो सवाल कर रहे हो, अंतिम व्यक्ति को भी वहीं अधिकार है। समय पड़ने पर उन्हें भी सवाल करना आता है। पैनी कलम यदि किसी को आगे बढ़ाने प्रेरित करते बिठा सकती है तो मुकाम पर बिठा भी सकती है। कलम सबसे मजबूत शक्ति पहले भी रही आज भी है। देश में स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में कई समाचार पत्रों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। जब अखबार में खबर छापने की सजा भूमि को खोद कर जिंदा सीने तक मिट्टी में पाट देने अंग्रेजीयत की प्रताड़ना का शिकार हुए थे,समाज के हा ही अंतिम व्यक्ति जो महज समाचार पत्र कार्यालय में पेपर बांटने,गिनने के कार्य में लगा था। तमाम प्रताड़नाओं के बाद भी सवाल जारी रहा। विसंगतियों,असमानताओं पर जारी सवाल ने आजादी दिलायी।

ठीक यदि आज के समाज में विसंगतियां जारी रही तो सवाल उठते रहेंगे और हम सवालों के साथ होंगे।

LEAVE A RESPONSE

error: Content is protected !!