‘प्रेम जिसे समाज भी नहीं तोड सकता’ मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)
(मनोज जायसवाल)
भारत का अतीत कई ऐसी ”प्रेम” कहानियों से भरी है,जिसके नाम कसमें खायी जाती है। इतिहास गवाह इस बात का भी है,जहां बडी-बडी सियासतें हिल गई वह कहानियां आज भी अमर है,अमिट है। ना जाने भारत के इतिहास में प्रेम के चलते कई युद्धें भी लडी गई प्रेम के नाम किसी स्त्री को पाने की हसरत के साथ। ‘प्रेम’ मिला भी,पर यह क्या इसके चलते कई निर्दोष लोगों की जाने भी चली गयी।
‘प्रेम’ और युद्ध का धरातलीय सच तो यह है कि भावनाओं का मेल या ठेस लगने के चलते यह होती है। प्रेम हमेशा समर्पण की चाह रखता है, पर मर्यादा की सीमा को परे रखना प्रेम का ही अंत कर देता है। मैं इतिहास का छात्र नहीं रहा। मैं साईंस के छात्र रहते प्रेक्टिकल में मेंढकों का कईयों बार ‘डिसेक्शन’ किया पर यह लेखन की विषय वस्तु नहीं बन सका। यदि बन सका तो देश के इतिहास में प्रेम और इसके नाम लडे गए युद्ध का।
उस स्वर्णिम अतीत पर जहां भारत में ही ‘महाभारत’ में शांतनु का सत्यवती से प्रेम का वर्णन मिलता है। प्रेम के ही संदर्भ सत्यवती और ऋषि पाराशर,कृष्ण और रूक्मिणी, अर्जुन और सुभद्रा का प्रेम,साम्ब और लक्ष्मणा का प्रेम,हिडिंबा और भीम,अर्जुन और उलूपी, कर्ण और द्रौपदी की प्रेम कथा,कृष्ण और राधा, राजा दुष्यंत और शकुंतला इसके साथ ही देश के स्वर्णिम अतीत में रजिया सुल्तान जमालुद्दीन, बाजीराव और मस्तानी, पृथ्वीराज संयुक्ता, शाहजहां मुमताज, मूमल और महेंद्र, अशोक और कौरवकी तमाम प्रेम कहानियां है।
भारतीय ‘समाज’ में यदि किसी की प्रेम के नाम अपनी पत्नी है,तो उसी पुरूष से प्रेम की अधिकारिणी अन्य स्त्री भी है। किसी पुरूष जिनकी अपनी जिंदगी है,जैसा स्त्री का भी। फिर किसी पुरूष की जिंदगी भला कैसे खरीदी जा सकती है। स्वतंत्र जीवन जीने के अधिकारी सहित उनके प्रति कई जो उनसे प्रेम रखते हैं,वे भी अधिकारिणी है। बहु पत्नी प्रथा शायद जीवन के इन उद्ेश्यों की पूर्ति करता है। आज आधुनिक समाज में भी प्रेम के कई किस्से सुना देखा जा सकता है।
बहु पत्नी के साथ ही आज तो प्रेम का यह स्वरूप इतना तक देखा गया है कि दूर पाकिस्तान से अपने बच्चों के साथ भारत आकर दूसरा विवाह रचा रही है तो भारत से पाकिस्तान या अन्य देश में युगल अपने प्रेम को परिणाम तक पहूंचा रहे हैं। पहले के मुकाबले आज ‘प्रेम’ में वो युद्ध नहीं हो रहे हैं,बल्कि समाज उनके मुताबिक समझौता करा कर निर्णय कर रहे हैं। प्रेम ऐसा विषय है,जिसे जिनसे हो जाये उसे कोई व्यक्ति तो क्या कोई समाज तोड नहीं सकता।