”सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ी गहनों से सोलह श्रृंगार कराया”
(मनोज जायसवाल)
काँकेर(सशक्त हस्ताक्षर)। रूपाली महतारी गुड़ी बहुउद्देशीय संस्था भिलाई की अध्यक्ष सुश्री शान्ता शर्मा छत्तीसगढ़ी सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक यात्रा में तीसरे बस्तर सम्भाग जिला दन्तेवाड़ा से नव कन्या को छत्तीसगढ़ी पारस्परिक गणवेश एवं सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ी गहनों से सोलह श्रृंगार करवाया।
जिसमें छत्तीसगढ़ की पारस्परिक साड़ी लुगरा,चुन्नरी,गजरा ,पोनीटेल,मांग टिका,गजरा, टिकली,काजल, झुमका, पहुंची,रूपीया माला,मुंदरी, नेलपालिश,चुरी,करधन,साटी,महुर लगा टिका आरती कर भोजन कराया साथ ही अपना जिला दन्तेवाड़ा से अपना सांस्कृतिक यात्रा आरम्भ की यह यात्रा अठारह जुन 2018 ग्राम नारकालो जिला अम्बिकापुर सरगुजा सम्भाग से आरम्भ किया।
वो दो सम्भाग में दस जिलों की यात्रा पूर्ण कर चुकी हैं उनकी यात्रा का थीम “पूर्ण छत्तीसगढ़ी अपनाव नशा मुक्त छत्तीसगढ़ एवं कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ के उपदेशों को ले कर चल रही है। उनकी संस्था के द्वारा यह गणेश को भेंट में दिया गया है ताकि आने वाली पीढ़ी छत्तीसगढ़ की संस्कृति को जान सकेंऔर संयम समय पर विभिन्न छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक उत्सव में यह गांव वेश को पहन कर लोगों को पहनने के लिए प्रेरित कर सके।
इन गहनो की मुख्य विशेषता है की छत्तीसगढ़ के सबसे प्रमुख गहना बन्दा या रूपीया मोहर मुलतह: छत्तीसगढ़ी में डिजाईन किया गया है जिसे शान्ता शर्मा ने स्वयं डिजाइन किया है सिक्के के एक पहलु में छत्तीसगढ़ी में जय छत्तीसगढ़ महतारी लिखा है सात सितारों में छत्तीसगढ़ की सात महान विदुषी महिलाओं को समर्पित किया गया है जिनमें कौशल्या मां, करमा माता, मिनी माता ,अवंती बाई लोधी, रानी दुर्गावती राज मोहिनी देवी श्रीमती गायत्री देवी शर्मावही गहने की दूसरी पहलू में छत्तीसगढ़ की प्राचीन साफ भाषा गोंडी में जे छत्तीसगढ़ महतारी लिखा गया है साथ पुरुष महा समाज सेवी को साथ सितारों में दर्शाया गया है जिनकी नाम श्रीगुरू घासीदास, शहिद वीरान सिह , गुण्डाधुर, सुंदरलाल शर्मा ,श्रीखूब चंद बघेल ठाकुर प्यारेलाल, मदनलाल शर्मा इस प्रकार से हैं धान की बालीयै को भी दर्शाया गया है यह छत्तीसगढ़ी श्रंगार भेंट देने का सातवां वर्ष है इस वर्ष संस्था ने यह भेंट टुमारोज फाउंडेशन बालगृह (बालिका) के अधिक्षिका सुश्री विद्या सरकार दन्तेवाड़ा में किया है….