(मनोज जायसवाल)
रख हौसला कि जरूर कदम चूमेगी कामयाबी।
तेरे दिन भी आएंगे, जब मंजिल पर तेरा ही सशक्त हस्ताक्षर होगा।
इन शब्दों के साथ भारतीय संस्कृति में पुरूषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही स्त्री ने उन जगहों पर भी शीर्ष स्थान बनाई है, जहां स्त्रियों के लिए असंभव करार दिया जाता रहा है। बानगी प्रस्तुत करती है, देश में छ.ग. के कांकेर जिलांतर्गत नरहरपुर स्थित शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के जीवनदीप समिति की स्वीपर कर्मी श्रीमती संतोषी दुर्गा जिन्होंने अब तक तकरीबन 699 पोस्टमार्टम करने का रिकार्ड बनाया है।
जन्म –श्रीमती संतोषी दुर्गा का जन्म 20 अक्टूबर 1989 को हुआ। वे पिता स्व. रतन सिंदुर तथा माता स्व. गुलापी बाई की प्रथम ज्येष्ठ संतान थी। कुल छःह बहन- संतोषी,इंदु,बिंदु,लक्ष्मी,रानी का भरापूरा संयुक्त परिवार रहा,जहां विवाह उपरांत अब अपने पति एवं बच्चों के साथ नरहरपुर स्थित घर में रहती है।
शिक्षा- विषम पारिवारिक परिस्थितियों एवं बड़ी पुत्री होने के चलते घर की तमाम जिम्मेदारियां इनके सिर रही। यही कारण है कि अदद रूप से किसी तरह प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद अपने पिता के कर्म क्षेत्र जो कि अस्पताल में स्वीपर पद पर थे,उनकी स्वास्थ्ययिक स्थिति को देखते हुए वर्ष 2004 से ही उनके सहयोग कार्य में लग गयी। दिसंबर 2008 को पिता ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। श्रीमती संतोषी दुर्गा अपने संघर्ष के प्रथम पायदान में मानती थी, कि ये दुनिया उन्हीं लोगों का संघर्ष जानती है,जो लोग सफल हो जाते हैं।
यह है, संघर्ष
यही कारण है कि अपने पिता जो लकवाग्रस्त थे, स्वीपर पद पर रहते टूट जाने वाली शारीरिक थकान के बावजूद परिवार की गरीबी और बच्चों के पालन पोषण को देखते पोस्टमार्टम करते अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटे। पिता अस्पताल जाते तब बालिका संतोषी भी साथ जाती रही। पिता को तमाम पोस्टमार्टम करते देखा और अनुभव लेते सीखी भी। शारीरिक थकान के बीच पिता शराब पीकर अपने जिम्मा की गमों को भुलाने का प्रयास करते जहां शराब के चलते घर का वातावरण भी तनावपूर्ण हो जाता।
श्रीमती संतोषी दुर्गा हमेशा पिता को शराब पीने मना करती थी,लेकिन पिता इस बात पर अड़े रहते थे कि बगैर शराब पीये कोई पोस्टमार्टम नहीं कर सकता। तब एक दिन पिता के साथ शर्त लगी कि जहां संतोषी ने कहा- पिताजी मैं आपको अब बिना शराब पीये पोस्टमार्टम कर दिखाऊंगी। क्या था! संतोषी दुर्गा ने दिखा दिया। इस प्रथम पोस्टमार्टम में बजरंगबली से विनती कर कि यह प्रथम पोस्टमार्टम कार्य है,विघ्न बाधा ना आये। हुआ भी प्रथम पोस्टमार्टम की तो अस्पताल में डाक्टरों से शाबासी दी और कहा कि आपने बिल्कुल सही किया है।
कडी में एक रोज ग्राम बाहनापानी में हादसा हुआ जहां कुल 6 लोगों की मौत हो गई। सभी मृत शवों का संतोषी ने पोस्टमार्टम किया। इसी दशक में ही क्षेत्र के ग्राम उमरादाह में कुंआ में डूब कर बच्चों की मौत हुई थी, जिसका पोस्टमार्टम किया। इस तरह अब तक तकरीबन 699 शवों का उसने सफलतापूर्वक पोस्टमार्टम किया है।
गौरवान्वित है,अस्पताल स्टाफ
श्रीमती संतोषी दुर्गा के इस उपलब्धि पर सशक्त हस्ताक्षर ने बीएमओ डॉं. प्रशांत कुमार सिंह से बात किया,जहां उन्होंने संतोषी के इस कार्य को गौरवान्वित करने वाला बताया। उन्होंने भी माना कि इनका शासन द्वारा इनका पद नियमित जरूर होना चाहिए। नर्सेस स्टाफ श्रीमती ज्योति ठाकुर, श्रीमती पूजा लोन्हारे,श्रीमती जासरीना जैन ने मुखातिब होते बताया कि मिलनसार,मृदुभाषी श्रीमती संतोषी दुर्गा हमारे अस्पताल का गौरव है, वर्तमान में श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन के लिए उनके आमंत्रण पर हमें भी खुशी और गर्व है।
पुरस्कार/सम्मान-
श्रीमती संतोषी दुर्गा को प्रदेश के विभीन्न गरिमामयी मंचों पर सम्मान किया गया है। इस फेहरिस्त में तात्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह के हाथों सम्मान, धमतरी में साहब ब्रिगेड द्वारा डॉ. गुप्ता अस्पताल से 11 हजार की राशि, कांकेर पुलिस विभाग द्वारा प्रशस्ति पत्र, राजनांदगांव के आडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में नारी शक्ति सम्मान शोभा सोनी अध्यक्ष छ.ग. राज्य समाज कल्याण बोर्ड,रायपुर द्वारा वर्ष 2016 में यह सम्मान शव परीक्षेपण(साहसी कार्य) क्षेत्र में। 17 दिसंबर 2017 को नरहरपुर में आयोजित कार्यक्रम में भी सम्मानित की जा चुकी है।
विवाह – श्रीमती संतोषी दुर्गा की शादी नरहरपुर में ही 04 दिसंबर 2009 को हुई। इनके पति रविंद्र दुर्गा जो विवाह प्रस्ताव लेकर आए थे। संतोषी के पोस्टमार्टम की खबरों पर घबरा गये। लेकिन दूसरी ओर संतोषी की इस साहसिक काय्र पर गभी भी महसूस किया। सकारात्मक विचार दोनों परिवारों में रहा कि 12 तक पढे लिखे रविंद्र की शादी संपन्न हो गई। पत्नी के साथ प्यार और कार्य के प्रति कर्तव्य को देखते इन्होंने संतोषी की मायका जन्म भुमि में रहने का निर्णय लिया और साथ आजीविका करते जीना उचित समझा।
संतान – श्रीमती संतोषी दुर्गा पति रविंद्र दुर्गा की दो पुत्री कु. धानी दुर्गा,कु. योगेश्वरी दुर्गा एवं एक पुत्र मास्टर अभिषेक के रूप में तीन संताने हुई। जिनकी शिक्षा दीक्षा नरहरपुर में चल रही है।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आमंत्रण
अयोध्या में नवनिर्मित भगवान श्रीराम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा आयोजन के लिए उन्हें बुलावा आया है,जहां जाने के लिए वे उत्साहित है। सशक्त हस्ताक्षर को अपने जीवनगाथा की प्रस्तुति लिखने के लिए अपने मन की बातें बताते हुए कहा कि- भगवान श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा आयोजन के लिए यह आमंत्रण भगवान श्रीराम की कृपा है। देश के प्रधानमंत्री मा.नरेंद्र मोदी जी का बहुत-बहुत आभार माना। इसके साथ 18 जनवरी को वे नरहरपुर से जा रही है। उन्होंने बताया कि उनकी सबसे बड़ी पीडा अपने आजीविका को लेकर है,जहां वर्तमान में अस्थायी स्वीपर पद के अल्प वेतन के चलते गुजारा मुश्किल हो रहा है,जिस पद को स्थायी करने के लिए कई दफा शासन प्रशासन में आवेदन किया है। अनुभव कार्य को तवज्जो नहीं देने के चलते उनका नियमितीकरण अब तक नहीं हो पाया है। उन्होंने आगे बताया कि अब मैं स्वयं अयोध्या के आयोजन में जाऊंगी तो प्रधानमंत्री को यह आवेदन दूंगी। मुझे आशा है,मेरी मांग इस बार जरूर पूरी होंगी।