(मनोज जायसवाल)
कांकेर(सशक्त हस्ताक्षर)। माता कौशिल्या की धरती छत्तीसगढ़ पर दशहरा पर्व भी अन्य पर्व की तरह पूरे धूमधाम से मनाया जाता है। प्रदेश के कई कोनों में परंपरा की सबकी अपनी विशिष्टता है। इसी कड़ी में बस्तर संभाग के प्रवेश द्वार कांकेर जिले का चारामा जहां से महज कुछ दूर इसी विकासखंड का सबसे जागरूक गावों की श्रेणी में आने वाले अरौद दशहरा पर्व की भी अपनी विशिष्टता लिए है,जिसके चलते ही आज यह प्रदेश में चर्चा का विषय बने होने के साथ ही दूर-दूर से लोग देखने आते हैं।
दशमी पर सभी जगह रावण दहन होता है,जहां अरौद में यह कार्यक्रम ग्यारहवीं तिथि को आयोजित होते आ रहा है। इस वर्ष उक्त 11 वीं तिथि पर सांस्कृतिक आयोजन तय नहीं हो पाने के चलते 7 अक्टूबर शक्रवार को यह आयोजन होने जा रहा है।
खाद्व एवं संस्कृति मंत्री होंगे मुख्य अतिथि
चारामा विकासखंड के अरौद में इस बार 83 वां महोत्सव मनाये जाने की तैयारी विगत दो माह पूर्व से की जा रही है। इस दशहरा पर्व पर मुख्य रूप से मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ प्रदेश के संस्कृति एवं खाद्व मंत्री अमरजीत सिंह भगत का आगमन होने जा रहा है। आयोजन की अध्यक्षता विधानसभा उपाध्यक्ष छत्तीसगढ़ एवं भानुप्रतापपुर विधानसभा के लोकप्रिय विधायक मनोज मंडावी की उपस्थिति में तय हुआ है। विशिष्ट तिथि के रूप में गौ सेवा आयोग के सदस्य नरेंद्र यादव के साथ ही हेमंत धुव (जिला पंचायत अध्यक्ष) हेमनारायण गजबल्ला उपाध्यक्ष जिला पंचायत कांकेर,बीरेश ठाकुर (सदस्य बस्तर विकास प्राधिकरण) सांसद मोहन मंडावी, इंटक के अश्वनी मिश्रा रायपुर, गौतम लुंकड़ वरिष्ठ कांग्रेसी छ.ग. मिथलेश शोरी जिला पंचायत सदस्य, दीपा सलाम सदस्य जनपद पंचायत,ठाकुर राम कश्यप अध्यक्ष ब्लाक कांग्रेस कमेटी चारामा आदि प्रमुख रूप से शामिल हो रहे हैं।
खराब मौसम नहीं करेगी प्रभावित
चित्र अरौद दशहरा मैदान के पास ही हनुमान के उड़ते आकाश मार्ग से आने की तैयारी में लगे गांव की तकनीकी टीम चित्र में देखी जा सकती है। सा कि इस वर्ष बार-बार खराब मौसम आयोजन में खलल डाल रहा है। लगातार बारिश हो रही है। इसे देखते हुए आयोजन समिति चिंतित है। क्योंकि आयोजन में रावण दहन आतिश बाजी में प्रयोग किए पटाखे में नमी आ जायेगी। लेकिन इसे लेकर भी जो तकरीबन 45 फीट के रावण को फ्रेम के माध्यम निर्माण किया जा रहा है,उसमें प्रयोग किए जाने वाले पटाखे को पालीथीन से ढंक कर फिट किया जा रहा है ताकि नमी का प्रभाव न पड़े। पटाखे की बत्ती तो वैसे भी इलेक्ट्रानिक रूप से स्वीच से विस्फोट किया जाना है। लेकिन अधिक बारिश यदि हुई तो निश्चित ही आयोजन प्रभावित होगा।
होती है हजारों की भीड़
पिछले दो वर्षों तक कोरोना काल के चलते आयोजन नहीं हुआ। इस वर्ष जब दो महीने पूर्व से ही तैयारियां प्रारंभ की जो अभी तक बारिश के चलते आयोजन का किरकिरी ना बने। अरौद ऐतिहासिक दशहरा अतीत के 83 वर्ष पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में काफी बदल गया है। कई पीढ़ियां गुजर चुकी है पर परंपरा यहां अक्षुण्ण बनाए हुए है। यह पर्व तब ज्यादा प्रकाश में आ गया जब वर्ष 2017 में तात्कालीन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेष बघेल का इसी मंच पर आगमन हुआ जहां पूरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य उपस्थित थे। जहां उनका जोशीला स्वागत हुआ। तकरीबन 20 हजार की भीड़ उन्हें देखने जानने भी पहूंची थी और वह शुभ मंच भी साबित हुआ कि भूपेष बघेल की सरकार बन गयी। जिस मंच से अरौद पुनः आने की बात उन्होंने कही दूबारा लोकसभा चुनाव के वक्त अरौद आगमन हुआ। क्षेत्र के लोगों ने तो अरौद को उनका गोदग्राम के नाम भी प्रचारित कर दिया। लोगों के बीच यह बात भी फैली हुई है कि अरौद दशहरा है तो मुख्यमंत्री जरूर आएंगे। लेकिन चुंकि मुख्यमंत्री के प्रोटोकाल को ध्यान में लेते मंच नहीं हो पाने के चलते मुख्यमंत्री को बुलाने का विचार ही लोगों ने नहीं बनाया। ऐसा बताया जाता है कि मुख्यमंत्री भूपेष बघेल भी अरौद के नाम से ही काफी जागरूक होते हैं। अपने गांव की तरह उन्हें भी अरौद वासियों से गहना नाता स्नेह बना कर रखा है। यही कारण भी है कि जब भी वे बस्तर क्षेत्र आए और अरौद का जिक्र हो तो लोगों से मिलने देर नहीं करते।
स्थानीय सहयोग से आयोजन
अरौद का यह आयोजन जिसका खर्च लाखों में है,गांव वालों की मेहनत,सभी गांव के कलाकार और संसाधन सब कुछ अथक श्रम करते हुए स्वयं वहन करते हैं। अरौद के साथ यहां के शासकीय सेवारत लोग जो गांव से बाहर होते हैं खुली हाथ सहयोग करते हैं। यही कारण है कि इतना बड़ा आयोजन हो पाता है। आयोजन के नाम पर कोई भी सरकारी सहयोग यहां नहीं होता। सिर्फ रात्रि में आयोजित सांस्कृतिक आयोजन ही सरकार के संस्कृति विभाग की ओर से प्रदान किए जाते हैं। इस तरह आपसी सहयोग से तकरीबन 3-4 लाख रूपये की राशि इसमें खर्च हो जाती है।
लोक रंग अर्जुंदा की प्रस्तुती
अरौद दशहरा महोत्सव संस्कृति महाकुंभ 2022 स्थल पर रात दिन तैयारी चल रही है। आयोजन स्थल पर जनप्रतिनिधियों के होर्डिंग भी एक सप्ताह पूर्व ही लगा दिया गया है। रात्रिकालीन सांस्कृतिक आयोजन की बेला में इस बार 7 अक्टूबर को ही दशहरा पर्व पर रावण दहन के बाद रात्रि 10 बजे से लोक रंग अर्जुंदा सांस्कृतिक मंच अपनी प्रस्तुती देगी। दशहरा समिती के अध्यक्ष चिंता राम साहू ने बताया कि इस बार यहां के कलाकारों की प्रस्तुती में भी बदलाव किया गया है। साथ ही इलेक्ट्रानिक पद्वति से लेस रावण के दहन एवं आतिशबाजी भी मुख्य आकर्षक होने जा रहा है। अपार भीड़ को देखते व्यवस्था देखी जा रही। शांति व्यवस्था हेतु हल्बा पुलिस को भी सुचना दी गयी है। गांव की गलियों में झांकियों के निकलते वक्त किसी को कोई परेशानी न हो इसे देखते हुए साफ सफाई लाईटिंग की व्यवस्था पूरी की जा रही है।