कविता

‘समय’ श्री अनुपम जोफर शिक्षक, साहित्यकार,समाजसेवी कांकेर छ.ग.

साहित्यकार परिचय- श्री अनुपम  जोफर

जन्म- 18 अगस्त 1963 कांकेर छत्तीसगढ़

माता-पिता– स्व. नेलसन जोफर, श्रीमती पुष्पांजलि जोफर

शिक्षा- एम.काम,एम.ए. हिन्दी,एलएलबी,बीएड,डीपीएड,पत्रकारिता पाठ्यक्रम,बी.लिब,एन.आर.एम.,पीजीडीसीए।

प्रकाशन- कई संग्रह प्रकाशन हुआ है।

सम्मान पुरस्कार – 1997 में जिला युवा पुरस्कार, नवोदित रचनाकार सम्मान,बेस्ट टीचर्स अवार्ड, 1998 में कमल पत्र सम्मान, विनर अवार्ड, 2001 में बेस्ट प्रोग्राम डायरेस्क्टर अवार्ड, 2002 में फेलोशिप, राज्य शिक्षक पुरस्कार, 2005 में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, 15 फरवरी 2006 को पर्यावरण क्षेत्र में तरू भूषण सम्मान, 10 अप्रेल 2006 को सोशल सर्विस एवं शिक्षा क्षेत्र में डा. बी.आर.अंबेडकर गौरव सम्मान, 10 मई 2008 को सोशल सर्विस एवं एजुकेशन क्षेत्र में योगदान के लिए समरसता रत्न अवार्ड, 10 मई 2006 को ऋतंभरा सम्मान, वर्ष 2007 में लाईफ टाईम एजुकेशन एचीवमेंट पुरस्कार, 2009 में ज्वेल आफ इंडिया अवार्ड 2009 में ही बेस्ट वर्क इन डिपार्टमेंट अवार्ड, 2010 में योगपीठ भारत भूषण पुरस्कार तथा 2011 में ब्लड उोनेशन के क्षेत्र में इंडियन रेड क्रास सोसायटी द्वारा अवार्ड आफ ब्लड डोनेशन से सम्मानित किया गया।

सम्प्रति- व्याख्याता शा.उ.मा.वि.कोरर जिला-कांकेर छ.ग.

 

”समय”

तितलियां कहना चाहती है
तुम सबसे….
मैं समय हूं

मुझे समझो, जानो और पहचानो
और
रंग बिरंगे संसार के

मकरंदग को पीने की चेश्टा करो
तभी सार्थक हो पायेगी
जीवन और जीवन की धारा।

तितलियां कहना चाहती है
तुम सबसे
मैं समय हूं,

मुझमें समझ है स्वयं को जानने की
तभी तो
मैं रंग बिरंगे संसार में

विचरण करती हूं
मैं चाहती हूं
तुम भी समय को जान पाओ
ज्ञान के खुले आकाष में

विचरण कर पाओ
तभी सार्थक हो पायेंगी
जीवन और जीवन की धरा।
तितलियां कहना चाहती है

तुम सबसे
मैं समय हूं
यदि
तुम मेरे साथ न उड़ पाये
तो ठहर जायेगी जिन्दगी

उन्नति,प्रगति,अवरूद्व हो जायेगी
इसलिए
उठो,जागो और समय को पहचानो
तभी

सार्थक हो पायेगा जीवन
और जीवन की धारा
तब
हो पायेगा
उपवन
बहेलियों से स्वतन्त्र स्वच्छन्द

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