कविता काव्य

वो कौन है? श्री सिकन्दर चीनू टण्डन साहित्यकार, मस्तुरी,बिलासपुर (छ.ग.)

साहित्यकार परिचय- श्री सिकन्दर चीनू टण्डन

जन्म : 03 जून 1993 ई. सन् मस्तूरी, जिला-बिलासपुर ( छ.ग.)

माता-पिता : डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति   श्रीमती गायत्री देवी

शिक्षा : एम. ए. (हिन्दी, राजनीति विज्ञान), बी.एड., पी.जी.डी.सी.ए.
अभिरुचि : 1. पर्यटन एवं सन्देश यात्रा करना ।
2. लीडरशिप वर्क ।
3. शैक्षिक, साहित्यिक, सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना ।
प्रकाशित कृति : 1. मेरी कलम से… (साझा काव्य-संग्रह)
2. अग्निपथ के राही (साझा काव्य-संग्रह)

सम्मान : 1. भारत माता अभिनन्दन साहित्य एवं समाज सेवा सम्मान ।
2. कलमकार साहित्य शिरोमणि सम्मान ।
3. कोरोना योद्धा सम्मान ।
4. क्रिकेट, फुटबाल, खो-खो, ऊंची कूद, लम्बी कूद, वाद-विवाद
प्रतियोगिता इत्यादि में अनेक बार प्रथम स्थान प्राप्त कर कुल
128 प्रमाण पत्र एवं मेडल अर्जित ।

सम्प्रति : 1. उद्देश्य कोचिंग सेंटर का संचालन ।
2. राष्ट्रीय एकता एवं भाईचारे का सन्देश देने भारत यात्रा पर ।

सम्पर्क : 1. मातृछाया दयापुरम मस्तूरी- 495551, जिला बिलासपुर ( छ.ग.)
2. टी-08, विशाल नगर रायपुर- 492006 जिला- रायपुर ( छ.ग.)
चलभाष : 75810 07482/ 83193 05370
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वो कौन है?

वो कौन है?
जिसके मजबूत कन्धे पर
पूरा एटलस का भार है,
श्रम-कण से सींच कर
सिरजाता सुन्दर संसार है।

वो कौन है?
जो चीरकर सीना धरती का
प्रचुर अन्न उपजाता है,
चाहे कोई भी रहे मौसम
तन-मन-धन खपाता है।

वो कौन है?
जो सारी वेदनाएँ सहकर भी
कलम का धर्म निभाता है,
सोये हुए संसार को
झकझोर कर जगाता है।

वो कौन है?
जिसके रग-रग में बसता
सारा हिन्दुस्तान है,
इस माटी से ही उपजे
माँ भारती की शान है।

वो कौन है?
जो बागों को सींचकर
धरती को स्वर्ग बनाता है,
फूल-फल-पत्ते तलक
सेवा में अर्पण कर जाता है।

वो कौन है?
जो मंगाकर लकड़ी जंगल से
हुनर अपना दिखलाता है,
कुर्सी टेबल पलंग सब कुछ
बदले में दे जाता है।

वो कौन है?
जो अपने घन की धमक से
लोहे को कँपकँपाता है,
हल फावड़ा छेनी कुदाली
कइयों औजार बनाता है।

वो कौन है?
जो ठोंकता है ईंट पर ईंट
औ’ कनसुरे को दबाता है,
सुन्दर-सुन्दर महल चौबारे
नील गगन तले सजाता है।

वो कौन है?
जो सोने- चांदी हर धातु से
मनभावन गहने बनाता है,
मानव के अंग-अंग में
प्यारी सुन्दरता बिखराता है।

वो कौन है?
जो तकली पर सूत कातकर
मनमोहक परिधान बनाता है,
लेकिन मजदूरी के रूप में
सिर्फ चन्द टके ही पाता है।

वह कौन है?
जो चमड़े पर औजार चला
कई-कई चीजें बनाता है,
जूते औ’ चप्पल भी गढ़कर
राह आसान बनाता है।

वो कौन है?
जो सारी दुनिया की खबर
जन-जन तक पहुँचाता है,
आग की दरिया तलक
हँसकर पार कर जाता है।

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