कविता काव्य

” दया का निर्झर” श्री विजय वर्धन वरिष्ठ साहित्यकार लहेरी टोला भागलपुर बिहार

साहित्यकार परिचय – विजय वर्धन

माता-पिता –स्वर्गीया सरोजिनी देवी, स्वर्गीय हरिनंदन प्रसाद

पत्नी – श्रीमती स्तुति रानी

जन्म – 10 .10. 1954

शिक्षा –बी .एस .सी .ऑनर्स, एम. एस. सी, बी. एड.

प्रकाशन – दो पुस्तकें प्रकाशित
1. मेरा भारत कहां खो गया
2. हमारा प्यारा भागलपुर

सम्मान- विभिन्न संस्थाओं से सम्मानित

संप्रति -भारतीय स्टेट बैंक से अवकाश प्राप्त

सम्पर्क – लहरीटोला,भागलपुर,बिहार मोबाइल -9204564272

 

” दया का निर्झर”

आशीष तुम्हारा सर पर है
फिर आज मुझे किसका डर है
जब भी उत्पीड़न मुझे मिला

 

दिल चीख उठा औ होठ हिला
तब तू ने चुपके से आकर
दुख दूर किया,सुरभित घर है

 

बिन मांगे तू ने सदा दिया
मैं विस्मित हूं सब काम किया
कैसे तेरा गुणगान करूं

 

कुछ शब्द नहीं चक्षु तर है
इतने पर भी विश्वास नहीं
मैं तेरा हूं यह आस नहीं

 

हर रोज कृपा की सरिता है
हर रोज दया का निर्झर है

 

 

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