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“गिरौदपुरी धाम में पुस्तकों का विमोचन एवं कवि सम्मेलन सम्पन्न”

(मनोज जायसवाल)

रायपुर(सशक्त हस्ताक्षर)। सावन की रिमझिम फुहारों, सतनामकीगूंजएवं करतल ध्वनि के बीच सन्त शिरोमणि गुरु घासीदास की जन्म स्थली एवं तपोभूमि गिरौदपुरी धाम मन्दिरपरिसर में 7 अगस्त2022 को छत्तीसगढ़ कलमकार मंच के तत्वावधान में डॉ. किशन टण्डनक्रान्तिकेसम्पादनमेंप्रकाशित साझा काव्य संग्रह- ‘सतनाम हमर पहिचान’ और मौलिक कृति- ‘ग्राम्य-पथ’ कहानी संग्रह एवं ‘रंग बिरंगी पेंसिलें’ बाल कविता संग्रह तथा श्री सुरजीत द्वारा लिखी गई पुस्तक- ‘किशन टण्डनक्रान्ति: व्यक्तित्व एवं कृतित्व’ का विमोचन प्रधान पुजारी विजय गेंदलेतथा वरिष्ठ साहित्यकारों की गरिमामयी उपस्थिति में हर्षोल्लासकेसाथ सम्पन्नहुआ।
सर्वप्रथम साहित्यकारों द्वारा गुरु घासीदास की पावन स्थली में माथा टेककर पूजा अर्चना की गईतथा श्रीफल तोड़कर प्रसाद वितरण किया गया। तत्पश्चात मन्दिर परिसर में पुस्तकों का लोकार्पण एवं कवि सम्मेलन आयोजित हुआ।

कार्यक्रम का उम्दा संचालन गायक-कवि श्री जुगेश बंजारे धीरज ने किया।गुरुपूजाकेदौरानगुरुवन्दना की स्वर लहरी उनके श्रीमुख से गूंज उठी-
मनखे मनखेएक हवयजी, कहगे बाबा घासीदास।
सत्यनाम लासब झन मानौ, सत माराखौजी विश्वास।।
गुरु बाबा के नीतबातला, गाँठबांध के धर ले आज।
सत रसता जब चलबे संगी, सबके दिल मा करबेराज।।

तत्पश्चात डॉ. किशनटण्डन ‘क्रान्ति’ ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा- छत्तीसगढ़ कलमकार मंच का उद्देश्य सभी साहित्यकारों को एक मंच प्रदान करना है, जिससे कि साहित्य सृजन को पर्याप्त बढ़ावा मिलसके। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर बाबा गुरु घासीदास जी के शुभ आशीर्वाद से 42 कलमकारों का साझा काव्य संग्रह “सतनाम हमर पहिचान” का प्रकाशन कराया गया है। संकलन में शामिल सभी कलमकारों को पुस्तक की एक प्रति के साथ ‘सतनाम साहित्य सृजन सम्मान-2022’ प्रदान किया जा रहा है।बेशक, अच्छी भावना के साथ कार्य करने से अभीष्ट लक्ष्य की प्राप्ति होती है। मेरे द्वारा रचित ‘ईश-विनय’ की 20 पंक्तियाँमेरेमार्गदर्शीसिद्धान्तहैं।इससे मैं स्वयं भी प्रेरणा प्राप्त करता हूँ-
मेरे प्रभु, धन की अमीरी रहे ना रहे,
मन की फकीरी कभी मत देना,
मौत की अगन गवारा है लेकिन,
बिछोह की तपन कभी मत देना।

 

तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कार्यक्रम को गति प्रदान करते हुए मंच के संरक्षक डॉ. गोवर्धन मार्शल ने कहा कि समर्पण से ही सत्य की प्राप्ति होती है।सत्य ही ईश्वर का स्वरूप है। उन्होंने अपनीइनपंक्तियोंकेमाध्यमसेसबकोसतर्क किया-
गुरु ज्ञान भुलागेहे समाज, बनगेहावयओपरबुधिया।
सत केरद्दा मासंगठित होके, संघर्ष करे मा आगू बढ़िया।

 

पश्चात छत्तीसगढ़ के अगुआ बेटा के नाम से प्रसिद्धबूँदराम जांगड़े ने समाज को एकता के सूत्र में आबद्ध होने काआह्वानकरते हुए ये खूबसूरत पंक्तियाँ पढ़कर तालियाँ बटोरी-
जांगर थकगे समझाके तुंहला, फेरनइ होतवसचेत।
घरे- घर मा खींचातानी, काबर लड़तहवखुरखेत।।
अही बिषमता रहे मभाई, बोहावत रइहौधारे धार।
नइ तो लाख चतुराई करे म, बैरी नइ पातिनपार।

 

पश्चात, कोरबा जिले से पधारे साहित्यकार बेदराम जाटवर वेदांज ने ‘सतनामी के संसार’ पर यह भावपूर्ण रचना पढ़कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया-
सतनामी के संसार, जेहाहावयगमहान,
गुरु बाबा के शरण, गिरौदपुरी हावय धाम।
सादा हमर रंग रूप, सादा हमर पहिचान,
सादा हमर काम-बुता, सादा हमर खानपान।

सतनाम के सन्देशको आगे बढ़ाते हुए जांजगीर जिले के युवाग़ज़लकार मनोज खाण्डे मन ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच यह ग़ज़ल पढ़कर सबका ध्यान खींचा-
सतनाम संत जप लो, ले ध्यान में सभी जन,
सादा विचार रखना है, ज्ञान में सभी जन।
मन दूरकर अन्धेरा सबका इसी जगत में,
सत्कर्म साध लो तुम ईमान में सभी जन।

 

सत के पुजारी गुरु घासीदास के धाम में दसों दिशाओं में सत, श्वेत और सतनाम की सर्वत्र गूंज रही।इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए बिलाईगढ़ से पधारे आशु कवि श्री दिलीप खोटे नेउसे इन शब्दों में स्वर दिया-
संतन के चरणों म ग पारस, छुवतमउजरावयचोला।
देखत हे करनी धरनी जग, कोन ह रे समझावय तोला।।

 

समाजमेंगलत परम्पराओं के विरुद्ध शंखनाद करने वाले विख्यात कवि कार्तिक पुराण घृतलहरे ने यह जागरण गीत गाकर सबका मन मोह लिया-
झनआहवलेके कफन बर कपड़ा धरके,
नइ आवयओहा कोकरो काम, राख हो जाथेजरके।

 

तालियों की गड़गड़ाहट के बीच जन-जागरण को गति देते हुए बेमेतरा से आए कवि मणिशंकर दिवाकर गदगद ने ‘बेटी बचाओ’ पर अपनीइनपंक्तियोंसेसमाबांधदिया-
ना मारो बाबुल मुझे कोख में,
भविष्य में रोना पड़ेगा,
डूब जाओगे मेरे शोक में।

 

जब जन जागरण की बात हो तो रमेश कुमाररसियार जैसे विवेकशील कविभला पीछे कैसे रह सकता है, उन्होंने दो कदम आगे बढ़कर बहुत उम्दा तरीके से नवजागरण पर बल दिया-
अन्धविश्वास रूढ़िवादी ल, झनराखवपाल पोसके।
सबके माथा मलगाववजी, ज्ञान के चन्दन घोष के।।

 

रिमझिम फुहारों के बीच धुंधलाती शाम में कार्यक्रम को समापन की ओर ले जाते हुए छत्तीसगढ़ कलमकार मंच के संस्थापक- अध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ शासन महिला एवं बाल विकास विभाग के उपसंचालक डॉ. किशन टण्डनक्रान्ति ने कार्यक्रम में अपनी गरिमामयीउपस्थिति प्रदान करने वाले समस्तसाहित्यकारों, सतनाम धाम के पुजारी विजय गेंदले, संकलनकर्ता श्री सुरजीत, कार्यक्रम संचालक श्री जुगेश बंजारे धीरज, नवीनकुमारकुर्रे एवं तमाम सतनाम सन्तोंका आभार व्यक्त करते हुए कहाकि’सतनाम हमर पहिचान’ साझा काव्य संकलन के प्रकाशन का उद्देश्य सतनाम, सतनामी और सतनामियत का सम्पूर्ण विश्व में प्रचार-प्रसार करना है। उन्होंने सतनाम की पहचान इन शब्दों में बयां किया-
सतनाम आय हमर पहिचान, सत के महिमा करथन बखान।
सादा झण्डाअउसत के बानी, सतनाम हवय हमर निसान।।
लोटा म पानी अउमीठ जुबानी, चिनहारघलो हमरमितान।
तन छोड़ जाही एक दिन हंसा, ठीकनोहयजीगरब गुमान।।

 

छत्तीसगढ़ कलमकार मंच के तत्वावधान में गिरौदपुरी धाम मन्दिर प्रांगण में हर्षोल्लास के बीच पुस्तकों का विमोचन एवं कवि सम्मेलन का सफल आयोजन एक मिसाल बन गया।इससे उत्साहित होकर भविष्य में छत्तीसगढ़ कलमकार मंच के तत्वावधान में पुस्तकों का लोकार्पण एवं कवि सम्मेलन सतनाम धामों में करने का संकल्प लियागया, जिससे कि पुण्य लाभ प्राप्त किया जा सके।

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