आलेख

”वक्तव्य” स्व. श्रीमती इन्दिरा परमार वरिष्ठ साहित्यकार,धमतरी छ.ग.

साहित्यकार-परिचय -श्रीमती इन्दिरा परमार

माता-पिता –

जन्म – 14 नवम्बर 1942 ग्राम-छेलिया, जिला बरमपुर(उड़ीसा)

शिक्षा –

प्रकाशन – अच्छी आदतें और स्वास्थ्य, निदिया रानी, विभीन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाओं का नियमित प्रकाशन, बाल एवं प्रौढ़ साहित्य के लेखन में विशेष अभिरूचि, आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से रचनाओं का नियमित प्रसारण।

पुरस्कार / सम्मान – 

सम्प्रति- शासकीय कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल, धमतरी रायपुर में अध्यापन।

 

सम्पर्क – पीटर कालोनी,टिकरापारा धमतरी(छ.ग.)

 

”वक्तव्य”

गीत मेरी मूल विधा है। वैसे कविताएं भी लिखी है, लेकिन मैं अपने लिए उसे अभिव्यक्ति का एक मात्र माध्यम नहीं मानती। मैं गीतों को ही मन से सम्पूर्ण मनोभावों का ईमानदार वक्तव्य मानती हूं। इसलिए अलग से कोई वक्तव्य देने की आवश्यकता नहीं महसूस करती।

साफ और सहज लिखती हूं। शब्दों का घटाटोप मुझे पसन्द नहीं और न ही मैं शब्दों की फिजुलखर्ची में विश्वास करती हूं।

जिस परिवेश में रहती हूं। जो भी कुछ देखती सुनती हूं उसे ही गुनगुनाती हूं और लिख लेती हूं। अब तक परिचित बिम्बों एवं प्रतीकों का ही उपयोग मैंने अपने गीतों में किया है ताकि गीत किसी डाक्टर के नीरस नुस्खे की तरह न हो जाएं। मेरे कुछ गीत लोकरंगी धुनों पर आधारित है। कोशिश करती हूं कि मेरे गीतों में चित्रित अनुभूतियां भी प्रामाणिक रूप से लोक संपर्कित हों।

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