आलेख

कविता क्या होती है? श्रीमती झरना माथुर,साहित्यकार देहरादून उत्तरांचल

कविता क्या होती है?
क्या उसकी कोई परिभाषा होती है?

जी हाँ।
शायद दिल की बात कहने का सशक्त माध्यम होती है।

शायद……

” मन के भावों का
शब्दों से श्रँगार कर
कलम द्वारा पन्नों पर
बिखेर देना ही तो
” कविता” होती है।

झर- झर बहते झरनों के संगीत को,कल- कल बहते नदी के पानी की आवाज़ को ,सन- सन बहती हवाओं के गीतों को,चिड़ीयो की चहचहाटो को,फूलों पे मंडराते भवरों के गुन्जन को,काली घटाओ के सौंदर्य को शव्दों में ढ़ाले तो “कविता” होती है।

ये कविता अनेक जज्बातो,एहसासों से भरी होती है।रसों,छन्दो और अलंकारो से शुशोभीत होती है।इसमे संयोग,वियोग,हास्य और श्रगार का समावेश होता है।
ये देश -भक्ति,मातृत्व,अबला तथा समाज तथा संस्कृति से परिपूर्ण होती है।इसी मे जीवन के सारे रस समाहित होते है और भावनाओं से ओत-प्रोत होती।

कविता कितनी समृध होती है।अपने आंचल में क्या-क्या समेट लेती है और परिपूर्ण होती है।कविता के बारे मे जितना कुछ कहे कह पाना असंभव सा लगता है।

मेरे हिसाब से कविता ही जीवन होती है,या जीवन का आधार होती है।इसके बिना जिन्दगी अधूरी सी होती है।

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